दीपावली से ठीक सप्ताहभर पहले यानी 4 नवंबर शनिवार और 5 नवंबर, रविवार को पुष्य नक्षत्र का दुर्लभ संयोग बन रहा है। दुर्लभ इसलिए, क्योंकि दोनों दिन 8 शुभ योग हैं। इन दोनों दिन सोने या रियल एस्टेट में निवेश का अक्षय लाभ मिलेगा। ऐसे में अगर आप सोना खरीदने या इसमें निवेश का प्लान बना रहे हैं तो ये सही समय हो सकता है।
हम आपको बता रहे हैं कि अगर आपको भी सोने में निवेश करना पसंद है तो फिजिकल गोल्ड जैसे ज्वेलरी या सोने के बिस्किट-सिक्कों के अलावा भी कई अन्य तरीकों से आप इसमें पैसा लगा सकते हैं। इसमें आपका पैसा भी पूरी तरह सुरक्षित रहेगा और पैसों की जरूरत पड़ने पर आप इस पर लोन या इसे आसानी से बेच भी सकेंगे।
1. गोल्ड एक्सचेंज-ट्रेडेड फंड्स (गोल्ड ETF):
सोने को शेयरों की तरह खरीदने की सुविधा को गोल्ड ETF कहते हैं। ये एक्सचेंज-ट्रेडेड फंड हैं, जिन्हें स्टॉक एक्सचेंजों पर खरीदा और बेचा जा सकता है। चूंकि गोल्ड ETF का बेंचमार्क स्पॉट गोल्ड की कीमतें हैं, आप इसे सोने की वास्तविक कीमत के करीब खरीद सकते हैं।
इसमें निवेश के लिए डीमैट अकाउंट जरूरी: गोल्ड ETF खरीदने के लिए आपको डीमैट अकाउंट खोलना होता है। इसमें NSE या BSE पर उपलब्ध गोल्ड ETF के यूनिट आप खरीद सकते हैं और उसके बराबर की राशि आपके डीमैट अकाउंट से जुड़े बैंक अकाउंट से कट जाएगी।
2. पेमेंट ऐप से भी सोने में निवेश:
अब आप अपने स्मार्टफोन से ही डिजिटल गोल्ड में निवेश कर सकते हैं। इसके लिए बहुत ज्यादा पैसा खर्च करने की भी जरूरत नहीं होती है। आप अपनी सुविधानुसार जितनी कीमत का चाहें, सोना खरीद सकते हैं। यहां तक कि 1 रुपए का भी। यह सुविधा अमेजन-पे, गूगल पे, पेटीएम, फोनपे और मोबिक्विक जैसे प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध है।
3. सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड भी अच्छा ऑप्शन:
सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड एक सरकारी बॉन्ड होता है, जिसे सरकार समय-समय पर जारी करती है। इसका मूल्य रुपए या डॉलर में नहीं होता है, बल्कि सोने के वजन में होता है। यदि बॉन्ड 1 ग्राम सोने का है, तो 1 ग्राम सोने की जितनी कीमत होगी, उतनी ही बॉन्ड की कीमत होगी। सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड में इश्यू प्राइस पर हर साल 2.50% का निश्चित ब्याज मिलता है। इसमें निवेश के लिए डीमैट अकाउंट जरूरी होता है।
इसे खरीदना है आसान: गोल्ड बॉन्ड खरीदने के लिए आपको किसी ब्रोकर के माध्यम से डीमैट अकाउंट खोलना होता है। इसमें एनएसई पर उपलब्ध गोल्ड बॉन्ड के यूनिट आप खरीद सकते हैं और उसके बराबर की राशि आपके डीमैट अकाउंट से जुड़े बैंक अकाउंट से कट जाएगी। इसमें ऑफलाइन भी निवेश किया जा सकता है।
4. फिजिकल गोल्ड:
फिजिकल गोल्ड में निवेश यानी ज्वेलरी या सोने के बिस्किट-सिक्के खरीदना। एक्सपर्ट्स ज्वेलरी खरीदने को सोने में निवेश करने का सही तरीका नहीं मानते हैं, क्योंकि इस पर जीएसटी और मेकिंग चार्ज देना पड़ता है। इसीलिए इसमें आपको पहले ही ज्यादा पैसे चुकाने पड़ते हैं। वहीं ज्वेलरी बनवाने पर आप 24 कैरेट सोने में निवेश नहीं करते हैं, क्योंकि 24 कैरेट शुद्धता सोने की ज्वेलरी नहीं बनती है। हालांकि आप सोने के बिस्किट या सिक्के में निवेश कर सकते हैं।
इस साल अब तक मिला 11% से ज्यादा का रिटर्न:
इस साल अब तक सोने की कीमत में शानदार तेजी देखने को मिली है। 1 जनवरी 2023 को सोना 55,359 रुपए प्रति 10 ग्राम पर था जो अब (31 अक्टूबर) 61,238 रुपए पर पहुंच गया है। यानी सिर्फ 10 महीने में ही सोने ने करीब 11% का रिटर्न दिया है।
ये बैंक FD, PPF और RD जैसी स्कीम्स पर मिलने वाले ब्याज से ज्यादा है। इसके अलावा शेयर बाजार (सेंसेक्स) ने भी इस साल अब तक (31 अक्टूबर) करीब 4.50% का ही रिटर्न दिया है जो गोल्ड के रिटर्न का आधा भी नहीं है।
IIFL सिक्योरिटीज के वाइस प्रेसिडेंट अनुज गुप्ता कहते हैं कि शेयर बाजार में जारी उतार-चढ़ाव के कारण सोने को सपोर्ट मिल रहा है। इसके चलते दीपावली तक सोना 62 हजार रुपए प्रति 10 ग्राम तक जा सकता है। इसके अलावा आगे भी इसके दाम में तेजी जारी रह सकती है।
सोने पर मिलता है 6 अंकों का हॉलमार्क कोड:
- हमेशा ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड (BIS) का हॉलमार्क लगा हुआ सर्टिफाइड गोल्ड ही खरीदें। जैसे आधार कार्ड पर 12 अंकों का कोड होता है, उसी तरह से सोने पर 6 अंकों का हॉलमार्क कोड मिलता है। इसे हॉलमार्क यूनीक आइडेंटिफिकेशन नंबर यानी HUID कहते हैं।
- सोने का सही वजन और खरीदने के दिन उसकी कीमत कई सोर्सेज (जैसे इंडिया बुलियन एंड ज्वेलर्स एसोसिएशन की वेबसाइट) से क्रॉस चेक करें। सोने का भाव 24 कैरेट, 22 कैरेट और 18 कैरेट के हिसाब से अलग-अलग होता है। 24 कैरेट सोने को सबसे शुद्ध सोना माना गया है
- सोना खरीदते वक्त कैश पेमेंट बड़ी गलती साबित हो सकती है। UPI (जैसे भीम ऐप) और डिजिटल बैंकिंग के जरिए पेमेंट करना अच्छा रहता है। आप चाहें तो डेबिट या क्रेडिट कार्ड के माध्यम से भी पेमेंट कर सकते हैं।
- कई लोग सोने को निवेश की तरह देखते हैं। ऐसे में जरूरी है कि आपको सोने की रीसेल वैल्यू के बारे में पूरी जानकारी हो। साथ ही संबंधित ज्वेलर की बायबैक पॉलिसी पर भी स्टोर कर्मचारियों से बातचीत कर लें।