दुर्ग : कलेक्टर सुश्री ऋचा प्रकाश चौधरी के निर्देशानुसार महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा कुपोषित बच्चों को सुपोषण की श्रेणी में लाने के लिए लगातार कार्य किए जा रहे हैं, जिसके कारण कुपोषण की स्थिति मध्यम श्रेणी में आ गया है। सी सेम कार्यक्रम के तहत सेम तथा मेम बच्चों की मेडिकल जांच कर सभी को मेडिकल किट प्रदाय के साथ-साथ जिन बच्चों में अति गंभीर कुपोषण पाया जाता है उनको एनआरसी में भर्ती कर समुचित उपचार दिया जाता है।
जिले के दुर्ग विकासखण्ड के अंतर्गत ग्राम उतई के एक साल का मोक्ष अति गंभीर कुपोषित श्रेणी का था। उम्र, वजन, ऊंचाई व लंबाई के अनुसार मोक्ष बहुत ही कमजोर एवं दुबला था। मोक्ष को सी सेम कार्यक्रम के अंतर्गत जुलाई 2023 में लिया गया। इस कार्यक्रम के तहत उम्र के अनुसार वजन या ऊंचाई व लंबाई के अनुसार वजन के आधार पर मध्यम या गंभीर रूप से कुपोषित एवं चिकित्सीय जटिलतारहित बच्चों को आंगनबाड़ी केन्द्रों के स्तर पर उपचार के लिए नामांकित किया जाता है, जबकि चिकित्सीय जटिलताओं वाले बच्चों को एनआरसी में भर्ती किया जाता है।
मोक्ष का चिकित्सीय परीक्षण कराया गया, जिसमें कोई भी जटिलता नही पाया गया। भूख परीक्षण में भी बच्चा पास रहा। मोक्ष की माता विद्या यादव मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान के तहत मोक्ष को नियमित आंगनबाड़ी में खाना खिलाने लाती थी। बाल संदर्भ शिविर में भी बच्चे को लेकर जाती थी। जो भी डॉक्टर के द्वारा परामर्श दिया जाता था उसे ध्यान से सुनती थी और अमल करती थी। रेडी टू ईट को नियमित रूप से आहार में बच्चे को खिलाती थी। पहले मोक्ष का वजन 8 किलो था जो अब बढ़कर 8.800 किलोग्राम हो गया है। तीन माह में 800 किलोग्राम की बढ़ोतरी हुई। आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और उनके परिवार के सहयोग से अब मोक्ष सैम से मैम की श्रेणी में आ गया है। अब मोक्ष अच्छे से खाना खाता और खेलता है, वजन बढ़ने से परिवार के लोग भी बहुत खुश हैं।