महाराष्ट्र में उद्धव सेना और शरद पवार की NCP तोड़कर बीजेपी ने सरकार बनाई है। उद्धव सेना छोड़कर आए एकनाथ शिंदे भले ही महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बने हैं लेकिन राज्य में इसे लेकर अंदर ही अंदर विरोध है। कहा जा रहा है कि गणपत गायकवाड और महेश की लड़ाई भी इसी का नतीजा है।
मुंबई : महाराष्ट्र में उद्धव सेना और शरद पवार की पार्टी को तोड़कर बीजेपी भले ही सत्ता सुख का आनंद ले रही है, लेकिन जमीनी स्तर पर इन दलों के कार्यकर्ता और पदाधिकारी गठबंधन को हजम नहीं कर पा रहे हैं। कल्याण हादसा सामने आने के बाद तीनों दलों के कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों के बीच इस तरह घटनाएं और भी जगहों पर सामने आ सकती है। जमीनी स्तर पर काम करने वाले बीजेपी के आम कार्यकर्ताओं ने सत्ता सुख के गठबंधन से दूरी बना ली है। बीजेपी को इसका खामियाजा आने वाली लोकसभा चुनाव में भुगतना पड़ सकता है।
उद्धव की शिवसेना को तोड़कर बीजेपी ने शिंदे के साथ सरकार बना ली। फिर शरद पवार की एनसीपी को तोड़कर सत्ता में ले लिया। तीनों दलों के उच्च नेताओं ने सत्ता सुख के लिए भले ही गले मिल गए हों, लेकिन आम कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों को रास नहीं आ रहा है।
बीजेपी बनाम शिंदे सेना
उल्हासनगर की घटना को बीजेपी के कार्यकर्ता कह रहे हैं कि यह तो अभी झांकी है, पिक्चर अभी बाकी है। उल्हासनगर के हिल लाइन्स पुलिस स्टेशन में घटी घटना की पृष्ठभूमि कोई अचानक नहीं बनी। सरकार बनने के बाद से शिंदे की शिवसेना और बीजेपी के कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों के बीच आए दिन ‘देख लेंगे’ की धमकी दी जा रही थी। युवा नेता और मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के सांसद पुत्र श्रीकांत शिंदे ने कई बार बीच-बचाव किया, लेकिन अंत यह हुआ कि बीजेपी के विधायक ने पुलिस स्टेशन के अंदर पुलिस के सामने सांसद पुत्र के करीबी पर गोली दाग दी।
एनसीपी के खिलाफ बीजेपी ने खोला मोर्चा
रायगड जिले में बीजेपी के आम कार्यकर्ताओं ने अजित पवार की एनसीपी के सांसद सुनील तटकरे के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। आज रविवार को पेण आम कार्यकर्ता बैठक कर रहे हैं। तटकरे को फिर से लोकसभा का टिकट देने का विरोध कर रहे हैं। ऐसे ही पुणे और पश्चिम महाराष्ट्र के कई जिलों में अजित पवार की पार्टी के सांसदों और विधायकों के प्रतिनिधित्व वाले मतदान क्षेत्र में बीजेपी का कार्यकर्ता विरोध कर रहा है। कोकण के कई जिलों में शिंदे सेना बनाम बीजेपी चल ही रहा है। मराठवाडा और उत्तर महाराष्ट्र में भी बीजेपी का आम कार्यकर्ता मौके का इंतजार कर रहा है। वह शिंदे या फिर अजित पवार की पार्टी के कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों के साथ खुद को एडजस्ट नहीं कर पा रहा है। दबे स्वर से बीजेपी का आम कार्यकर्ता विरोध कर रहा है, लेकिन मंत्रालय में विराजे मंत्रियों और नेताओं के सामने मुखर होकर बोलने के लिए तैयार नहीं है। परंतु वह इतना जरूर कहता हैं कि इन्हें चुनाव में दिखाएंगे।