छत्तीसगढ़ में धर्मांतरण के विरुद्ध राज्य की भाजपा सरकार नए प्रावधान के साथ कानून बनाने जा रही है जिसका नाम दिया जा रहा है छत्तीसगढ़ धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम, जिसमें 17 बिंदु समाहित किए जा रहे हैं ।
यह जानकारी विधानसभा में देते हुए मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने बताया कि इसके लिए तीन राज्यों के कानून का अध्ययन किया गया है ! विधानसभा के पटेल में इस अधिनियम को रखने से पहले कुछ आवश्यक संशोधन किए जा रहे हैं।
धर्म बदलने के 60 दिन पहले देनी होगी सूचना
राष्ट्रबोध को विश्व सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, अधिनियम का ड्राफ्ट पांच पेज का है। जो व्यक्ति दूसरे धर्म में परिवर्तित होना चाहता है, उसे कम से कम 60 दिन पहले व्यक्तिगत विवरण के साथ एक फॉर्म भरना होगा।
इस फॉर्म को जिला प्रशासन कार्यालय में जमा करना होगा। जिला प्रशासन के अधिकारी आवेदन आने पर पुलिस विभाग से धर्मांतरण के कारणों का पता लगाएंगे। मामला संदिग्ध लगा तो पूरे मामले में जांच कराई जाएगी और दोषी पाए जाने पर सख्त कार्रवाई होगी।
ड्राफ्ट के अनुसार यदि प्रलोभन, बल, विवाह या कपटपूर्ण तरीके से किसी व्यक्ति का धर्म परिवर्तन करवाया जा रहा है, तो धर्मांतरण अवैध माना जाएगा। साथ ही धर्मांतरण के बाद, व्यक्ति को 60 दिनों के भीतर एक और डिक्लेरेशन फॉर्म भरना होगा।
इसका सत्यापन कराने के लिए उसे स्वयं जिला प्रशासन के अधिकारियों के सामने पेश होना पड़ेगा। धर्मांतरण के बाद व्यक्ति यदि इस नियम का पालन नहीं करता, तो जिला प्रशासन के अधिकारी उसके धर्मांतरण को अवैध करार दे सकते हैं।
आपत्ति पर अदालत में होगी सुनवाई
धर्मांतरण करने वाले व्यक्ति की जब तक स्पष्टीकरण और जांच पड़ताल की प्रक्रिया पूरी नहीं हो जाती, तब तक जिला प्रशासन नोटिस बोर्ड पर घोषणा पत्र पत्र की एक प्रति प्रदर्शित करेगा। धर्मांतरण करने वाले के परिजनों की अगर आपत्ति है, तो वे FIR दर्ज करवा सकेंगे। यह मामला गैर-जमानती होगा और सुनवाई सत्र अदालत में होगी।
कानून के उल्लंघन पर इतनी होगी सजा
नाबालिग, महिला, अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति के सदस्यों का अवैध रूप से धर्म परिवर्तन कराने का दोषी पाए जाने पर कम से कम 2 साल और अधिकतम 10 साल की जेल होगी। साथ ही न्यूनतम 25,000 रुपए का जुर्माना लगेगा।
अवैध तरीके से सामूहिक धर्म परिवर्तन में दोषी पाए जाने पर कम से कम 3 साल और अधिकतम 10 साल की सजा और 50,000 रुपए जुर्माना होगा।
कोर्ट धर्म परिवर्तन के पीड़ित को 5 लाख रुपए तक का मुआवजा भी मंजूर कर सकता है।
ड्राफ्ट में कहा गया है कि धर्मांतरण अवैध नहीं था, यह साबित करने की जिम्मेदारी, धर्मांतरण करने वाले और कराने वाले व्यक्ति की होगी।
इन राज्यों के अधिनियम को पढ़कर मसौदा हुआ तैयार
राष्ट्रबोध को पड़ताल में पता चला कि उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और हरियाणा में लागू धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम के नियमों का अध्ययन विभागीय अधिकारियों ने की है। इसके बाद छत्तीसगढ़ धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम का ड्राफ्ट तैयार किया है।
मध्य प्रदेश में धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम 27 मार्च 2021, उत्तर प्रदेश गैर कानून धर्म परिवर्तन अध्यादेश 27 नवंबर 2020 और हरियाणा में धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम 15 दिसंबर 2022 को लागू किया गया था।
क्या है धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम?
इस अधिनियम के तहत प्रत्येक व्यक्ति को अपनी पसंद के धर्म का पालन करने का अधिकार है। इस स्वतंत्रता को लोकतंत्र का प्रतीक माना जाता है। धर्म की स्वतंत्रता के अधिकार का अर्थ है कि प्रत्येक व्यक्ति को अपनी पसंद के धर्म का अभ्यास करने और उसका पालन करने का अधिकार है।
पूर्व सरकार में धर्मांतरण की संख्या इतनी
विधानसभा में मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने बताया था कि, कांग्रेस सरकार में धर्मांतरण के खिलाफ 34 मामले दर्ज किए गए, लेकिन BJP नेताओं का दावा है कि मामले इससे कहीं ज्यादा हैं। धर्मांतरण का मुद्दा छिड़ने के बाद कांग्रेस नेता भी इसमें बयानबाजी कर रहे है।
कांग्रेस नेताओं के अनुसार, 2003 से 2011 के बीच धर्मांतरण के मामलों में बढ़ोतरी हुई थी। दावा किया है कि, रमन सरकार के कार्यकाल में 80 हजार परिवारों का धर्मांतरण किया गया। 2011 के बाद जनगणना नहीं हुई, इसलिए आंकड़े स्पष्ट नहीं हैं।
छत्तीसगढ़ के 2023 के विधानसभा चुनाव में एक बड़ा मुद्दा था तब आप लगा था कि पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार ने मिशनरियों को परोक्ष समर्थन दिया ! खासकर बस्तर और सरगुजा जैसे वनांचल क्षेत्र में भाजपा को स्थानीय जनता का भरपूर समर्थन मिला और धर्मांतरण के विरुद्ध भाजपा के घोषणा और आरोप पत्रों को जनता ने खूब पसंद किया ! अब सरकार बनने के बाद नए कानून बनाकर भाजपा सरकार अपना वादा पूरा करने जा रही है !