पाक पीएम बनकर भी शहबाज के साथ हो गया खेला, जानें बिलावल भुट्टो ने किस शर्त पर नवाज शरीफ से की डील…

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पाकिस्तान में आम चुनाव के लगभग दो हफ्ते बाद राजनीतिक अनिश्चितता के बादल आखिरकार खत्म हो रहे हैं।

आसिफ अली जरदारी की पार्टी पीपीपी और नवाज शरीफ की पाकिस्तान मुस्लिम लीग-एन ने सरकार बनाने के लिए आपस में हाथ मिला लिया है। दोनों के बीच डील फाइनल हो गई है।

इसका खुलासा खुद शहबाज और बिलावल ने साझा प्रेस कांफ्रेंस में मंगलवार देर रात को किया। दोनों दल अपने इस अपेक्षित गठबंधन सरकार को पीडीएम-2 कह रहे हैं।

हालांकि सरकार बनने से पहले ही देश में यह सवाल उठने लगे हैं कि क्या यह सरकार सफलतापूर्वक आगे बढ़ेगी। सरकार के नए फॉर्मूले में शहबाज शरीफ पीएम होंगे और आसिफ अली जरदारी राष्ट्रपति।

नवाज शरीफ और बिलावल के बीच हुई इस डील में ज्यादा फायदा बिलावल ले उड़े हैं। शहबाज के पास भले ही पीएम की गद्दी होगी लेकिन, वे बिलावल के आगे मजबूर होंगे। कैसे, आइए जानते हैं

पाकिस्तान में पीपीपी और पीएमएल-एन की बात करें ते पीडीएम के 16 राजनीतिक दलों ने 2022 में पूर्व पीएम इमरान खान की सरकार गिराई थी और शहबाज के नेतृत्व में सरकार का गठन किया। हालांकि उस वक्त पीपीपी और नवाज की पार्टी के बीच रिश्ते इतने मधुर नहीं थे।

यही वजह है कि इस वक्त चुनाव में दोनों दलों ने एक-दूसरे पर जमकर हमला बोला और अब चुनाव परिणाम सामने आने के बाद जब किसी भी दल के पास बहुमत नहीं है तो वे एक-दूसरे के साथ फिर साथ खड़े हो गए हैं। आलोचकों का कहना है कि पाकिस्तान के राजनीतिक इतिहास में पीडीएम-1 सबसे अलोकप्रिय सरकारों में से एक थी।

नवाज और बिलावल में क्या डील हुई
8 फरवरी के आम चुनावों के नतीजों के बाद से ही नवाज की पार्टी ने गठबंधन सरकार बनाने में रूचि दिखानी शुरू कर दी थी लेकिन, पीपीपी इस प्रयास में अनिच्छुक थी।

हालांकि, कई दौर की बातचीत के बाद मंगलवार रात दोनों पार्टियों की ओर से ऐलान किया गया कि मुस्लिम लीग और पीपुल्स पार्टी देश में अगली सरकार बनाएगी और नई सरकार के गठबंधन के तहत शाहबाज शरीफ प्रधानमंत्री होंगे और आसिफ अली जरदारी राष्ट्रपति होंगे।

बीबीसी उर्दू की रिपोर्ट है कि दोनों पार्टियां इस बात पर सहमत हुई हैं कि नेशनल असेंबली का स्पीकर मुस्लिम लीग-एन से होगा जबकि डिप्टी स्पीकर पीपुल्स पार्टी से होगा, जबकि उच्च सदन यानी सीनेट के चेयरमैन की सीट पीपुल्स पार्टी से होगी। उपाध्यक्ष पद का चुनाव राष्ट्र संघ द्वारा किया जाएगा।

नए सरकारी फॉर्मूले के तहत, खैबर पख्तूनख्वा और पंजाब के गवर्नर पीपुल्स पार्टी से होंगे, जबकि बलूचिस्तान और सिंध के गवर्नर नवाज के दल के होंगे। पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी का मानना ​​है कि नई सरकार का गठबंधन पिछली सरकार से बेहतर होगा।

बिलावल ने कैसे कर दिया खेला
औपचारिक तौर पर देखा जाए तो पीपीपी ने राष्ट्रपति पद कबूल किया है और शहबाज को पीएम पद मिला है। लेकिन, राजनीतिक परिदृष्य से देखा जाए तो राष्ट्रपति का पद भी कम महत्वपूर्ण नहीं।

आसिफ अली जरदारी को राष्ट्रपति बनाने के बाद ‘जोड़-तोड़ की राजनीति’ एक बार फिर सामने आएगी जो ‘न सिर्फ नवाज की पार्टी के लिए बल्कि सत्ता प्रतिष्ठान के लिए भी शहबाज को झटका दे सकती है।

इस बारे में अधिक बात करते हुए पत्रकार और विश्लेषक नुसरत जावेद ने कहा कि ‘अभी तक राष्ट्रपति का पद सांकेतिक माना जाता था, लेकिन अप्रैल 2022 के बाद से आए सभी संकटों ने साबित कर दिया है कि राष्ट्रपति अगर चाहें तो ‘संकट पैदा भी कर सकते हैं और संकट समाप्त भी कर सकते हैं।’

उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि अगर राष्ट्रपति चाहें तो अचानक फाइल उठाकर प्रधानमंत्री से सलाह दे सकते हैं कि अगला सेना प्रमुख कौन होगा? पूरी दुनिया जानती है कि इसे केवल राष्ट्रपति के हस्ताक्षर की आवश्यकता है और यदि वह चाहे तो राजनीतिक रूप से भी प्रतिष्ठान के साथ संबंध बनाए रख सकता है। इस पद को मौजूदा राष्ट्रपति आरिफ अल्वी ने अहम बना दिया है।”

उन्होंने हालिया गठबंधन के बारे में कहा कि ‘शाहबाज शरीफ और आसिफ जरदारी परिपक्व राजनेता हैं और इस समय दोनों को एक-दूसरे की जरूरत है।’

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