बैरिकेंडिंग, लोहे की कीलें हटाई जाएं, अकाउंट्स भी करें अनब्लॉक; सुप्रीम कोर्ट पहुंचा किसान आंदोलन…

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सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार को याचिका दाखिल कर केंद्र सरकार को अपनी मांगों को लेकर लगातार शांतिपूर्ण धरना और प्रदर्शन कर रहे किसानों की उचित मांगों पर विचार करने का आदेश देने की मांग की गई है।

याचिका में केंद्र और राज्य सरकारों पर शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे किसानों के अधिकारों का हनन करने का भी आरोप लगाया है। 

याचिका में बैरिकेडिंग, लोहे की कीलें आदि की भी हटाने की मांग की गई है, जबकि किसान संगठनों से जुड़े सोशल मीडिया अकाउंट्स को भी अनब्लॉक करने की मांग की गई है। 

याचिका में दावा किया गया है कि किसान संगठनों द्वारा अपनी फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी और स्वामीनाथन समिति की सिफारिशों को लागू करने की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन के आह्वान के बाद केंद्र और कुछ राज्यों ने चेतावनी जारी की है और दिल्ली की सीमाओं का किलेबंदी कर दिया है।

इसके साथ ही याचिका में केंद्र व राज्य सरकारों को किसानों के साथ उचित और सम्मानजनक व्यवहार सुनिश्चित करने का भी निर्देश देने की मांग की है।

याचिका में कहा गया है कि किसानों को शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन करने का अधिकार है, ऐसे में केंद्र व संबंधित राज्य सरकारों को बिना किसी बाधा के किसानों को प्रदर्शन करने या दिल्ली में आने से नहीं रोकने का आदेश देने की मांग की गई है।

सुप्रीम कोर्ट में अधिवक्ता अनुभव के जरिए दाखिल याचिका में याचिकाकर्ता व सिख चैंबर ऑफ कॉमर्स के प्रबंध निदेशक अग्नोस्तोस थियोस ने याचिका में कहा है कि कुछ प्रदर्शनकारियों को विभिन्न राज्य सरकारों के पुलिस द्वारा जबरन गिरफ्तार किया गया या हिरासत में लिया गया। 

साथ ही कहा है कि केंद्र सरकार ने किसान संगठनों और इससे जुड़े लोगों के सोशल मीडिया खातों को ब्लॉक कर दिया।

याचिका में हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश की सरकारों पर किसानों के खिलाफ आंसू गैस, रबर की गोलियों और छर्रों का इस्तेमाल करने जैसे ‘आक्रामक और हिंसक उपाय उपायों के इस्तेमाल करने का आरोप लगाया है। साथ ही कहा कि इसकी वजह से काफी संख्या में किसानों को गंभीर चोटें आईं है। याचिका में दावा किया गया है कि चिकित्सा सहायता के अभाव में चोटें बढ़ गईं और मौतें भी हुईं। 

याचिका में दावा किया गया कि दिल्ली की सीमाओं पर किलेबंदी के चलते शत्रुतापूर्ण और हिंसक स्थिति पैदा हुई है। याचिका में केंद्र सरकार और संबंधित राज्यों को दिल्ली बार्डर पर सार्वजनिक और परिवहन वाहनों की मुक्त आवाजाही सुनिश्चित करने का आदेश देने की मांग की है।

याचिका में आरोप लगाया गया है कि पुलिस बल ने शांतिपूर्ण तरीके से अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन कर रहे किसानों पर बर्बर और क्रूर हमले किए हैं और इसमें काफी संख्या में किसान और उनके परिवारों को चोटें आई है, यहां तक की एक किसान की मौत हो गई है।

याचिका में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को किसानों और उनके परिवारों के उपर हुए हमले की जांच करने और रिपोर्ट पेश करने का आदेश देने की मांग की है।

याचिका में सुप्रीम कोर्ट से संबंधित सरकार और प्राधिकारों को पीड़ित किसानों और उनके परिवारों को समुचित मुआवजा देने का आदेश देने की भी मांग की है।

याचिका में केंद्र और हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और दिल्ली को प्रदर्शन कर रहे किसानों के खिलाफ हिंसा और बल प्रयोग करने से रोकने और बार्डर पर लगाए गए सभी बैरिकेडिंग और किलेबंदी जैसे लोहे की कील आदि को तुरंत हटाने का आदेश देने की मांग की है।

इसके अलावा याचिका में पुलिस बलों को किसानों के शांतिपूर्ण प्रदर्शन में बाधा नहीं डालने का आदेश देने की मांग की है। इसके अलावा, याचिका में सरकार और सक्षम प्राधिकारों को किसानों व इसके संगठनों के सोशल मीडिया खातों को अनब्लॉक करने का भी निर्देश देने की मांग की है।

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