130 करोड़ के प्रोजेक्ट की प्र​क्रिया एक माह में शुरू : 141 एकड़ में फार्मा पार्क 5000 लोगों को रोजगार…!!

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खनिज संपदा में संपन्न हमारे छत्तीसगढ़ में खनिज आधारित उद्योग हमारी पहचान रहे हैं। अब प्रदेश की उद्योग के क्षेत्र में एक नई पहचान और बनने जा रही है। वो भी नई राजधानी अटल नगर रायपुर से। दरअसल, प्रदेश का पहला फॉर्मा पार्क बनने जा रहा है। सेक्टर 22 में 141 एकड़ में बनने जा रहे इस पार्क में दवाएं और चिकित्सा उपकरण बनाए जाएंगे। एक अनुमान के मुताबिक इस नए प्रोजेक्ट से 5 हजार से ज्यादा युवाओं को सीधा रोजगार मिलेगा। प्रोजेक्ट की अनुमानित लागत 130 करोड़ आंकी गई है।

अफसरों के मुताबिक नवंबर से फॉर्मा पार्क की प्रारंभिक प्रक्रियाएं शुरू हो जाएगी। जिसमें लैंड डेवलपमेंट आदि काम होंगे। अगले साल मार्च से पहले दवा उपकरण निर्माता कंपनियों में से कुछ एक की यूनिट भी शुरू हो जाएगी। उद्योग विभाग के अफसर बताते हैं कि फॉर्मा पार्क में प्रदेश की दवा उपकरण निर्माता कंपनियों के साथ ही देश और दुनिया की कंपनियों को भी निवेश का न्योता दिया जाएगा। ताकि प्रदेश की राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी पहचान बने।

प्रदेश में 120 से ज्यादा दवा-उपकरण निर्माता कंपनियां, इनमें 85 होम्योपैथी-आयुर्वेद की

उद्योग विभाग के आंकड़ों के मुताबिक छत्तीसगढ़ में अभी एलोपैथी से जुड़ी दवाओं और उपकरण के निर्माण से जुड़ी 43 से अधिक स्थानीय कंपनियां है। वहीं 85 से ज्यादा कंपनियां होम्योपैथिक आयुर्वेदिक और यूनानी औषधियां बना रही हंै। दवा उपकरण निर्माता कंपनियों में 9 एम इंडिया, नर्मदा हर्बल, स्फियर बायोटेक, मोक्षित कॉर्पोरेशन, एस्पायर फॉर्मास्टुयिकल्स, ओशन आदि कंपनियां है। जो विभिन्न तरह की दवाओं से लेकर उपकरण आदि भी बनाती हैं। कोरोना काल के दौरान स्वास्थ्य विभाग की दवा उपकरण क्रेता कंपनी सीजीएमएससी ने भी निर्माता कंपनियों का एक सम्मेलन रायपुर में किया था। जिसमें देश और विदेश की करीब 200 से ज्यादा कंपनियां शामिल हुई थी।

हेल्थ इनोवेशन में भी अब हमारी नई छलांग

सरकारी और निजी दोनों में ही स्तर में प्रदेश हेल्थ इनोवेशन के क्षेत्र में अब तेजी से आगे बढ़ रहा है। एक साल पहले सरकारी दिल के अस्पताल एसीआई यानी एडवांस कार्डियक इंस्टीट्यूट के हमारे शहर के कार्डियोलॉजिस्ट स्मित श्रीवास्तव ने ऐसी स्मार्ट रिस्ट वॉच बनाई है। जो हार्ट अटैक के खतरे का पूर्वानुमान लगाने में सक्षम है।

हाल ही में नेहरु मेडिकल कॉलेज के मल्टी डिसिप्लिनरी रिसर्च यूनिट ने कोरोना की गंभीरता को आंकने वाला बायोमार्कर किट ईजाद किया है। एक निजी उपकरण निर्माता कंपनी ने देश का पहला केमिकल रहित पूरी तरह डिजिटल हीमोग्लोबिन मीटर बनाया है। जो 4 सेंकंड में एचबी और एचसीटी जांच करता है।

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