भिलाई : सूर्या मॉल स्थित पीवीआर सिनेमा में दर्शकों को शो के दौरान महंगा खाने पीने का सामान खरीदने के लिए मजबूर किया जा रहा है। एक डायबिटिक पेशेंट ने राष्ट्रबोध को बताया कि उसे समय पर कुछ भोजन की आवश्यकता पड़ती है शो के दौरान जैसे ही पीवीआर सिनेमा में उसमें कुछ पैकेट से खाने की कोशिश की तो कर्मचारियों ने उसे रोक दिया। कहा कि बाहर से कुछ भी लाकर खान की इजाजत नहीं है। जब उसे पेशेंट ने पीवीआर सिनेमा के दुकान से पानी की बोतल खरीदी तो उसकी कीमत ₹80 थी इसी तरह पॉपकॉर्न के 250 रुपए उसे मांगे गए।
गौर करने वाली बात यह है कि पीवीआर सिनेमा के गेट में तैनात सुरक्षा करनी खाने-पीने की समान की बाकायदा चेकिंग करते हैं लेकिन डायबिटिक पेशेंट अपने साथ छुपा कर खाने की वस्तु ले गया था ।
यहां सबसे बड़ा सवाल यह भी खड़ा होता है कि आखिर पीवीआर सिनेमा संचालक को यह अधिकार किसने दिया कि वह लोगों के खाने-पीने की आजादी को अपनी दादागिरी से नियंत्रित कर सके।
ऐसी मनमर्जी भिलाई-3 के मुक्ता मल्टीप्लेक्स सिनेमा में भी चल रही है जहां एक कदम आगे बढ़कर जबरदस्ती पॉपकॉर्न खरीदने को मजबूर किया जाता है। मुक्त सिनेमा में तो 130 रुपए का टिकट 300 रुपए में दिया जा रहा है। टिकट के साथ 170 रुपए का पॉपकॉर्न लेने मजबूर किया जा रहा है। एक ग्राहक ने वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर वायरल किया है।
राष्ट्रबोध को मिली जानकारी के अनुसार ऐसी मनमर्जी पिछले कई महीनो से मुक्ता सिनेमा में डंके की चोट पर की जा रही है जहां टिकट के साथ पॉपकार्न के पैसे भी वसूल जा रहे हैं। ऐसा नहीं है की जिम्मेदार सरकारी अधिकारियों को ऐसी दादागिरी की जानकारी नहीं है। सब कुछ पता होने के बावजूद मुक्ता सिनेमा हो या पीवीआर इनके विरुद्ध जिला प्रशासन को सख्त कार्रवाई करने की आवश्यकता है।
उपभोक्ता फोरम लगा चुका है 75 हजार का जुर्माना
जोधपुर में संचालित एक मल्टीप्लेक्स का संचालक लोगों से 90 रुपए के टिकट की जगह 140 रुपए ले रहा था। इसमें उसने 50 रुपए पॉपकॉर्न के एड किए गए थे। ग्राहक ने उस टिकट को लेकर कंज्यूमर फोरम कोर्ट में शिकायत की थी। उपभोक्ता फोरम ने स्पष्ट किया कि मल्टीप्लेक्स की टिकट के साथ जबरन पॉपकॉर्न बेचने और बाजार रेट से अधिक पैसे वसूलने को अनुचित व्यापार व्यवहार है। ऐसे अपराध के लिए मल्टीप्लेक्स के विरुद्ध 75 हजार रुपए का हर्जाना लगाया था।
भिलाई की जागरूक जनता के साथ ऐसी खुलेआम दादागिरी करते हुए अवैध वसूली के विरुद्ध जिला प्रशासन को सख्त कार्रवाई करने की आवश्यकता है।