इस ब्लैक होल की विशालता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इसका द्रव्यमान 10 से 100 मिलियन सूर्य के बीच हो सकता है। यानि इसके अंदर अरबों सूर्य समा सकते हैं। यह पृथ्वी से कितना दूर है।
अंतरिक्ष में ब्लैक होल वो रहस्यमयी दुनिया है, जिसका न आदि है और न अंत। यहां प्रकाश भी आर-पार नहीं हो सकता। इसके अंदर जो एक बार चला जाता है वो वापस कभी नहीं आ सकता। इसमें समय और स्थान की कोई सीमा नहीं है। नासा की टीम ने अंतरिक्ष में एक विशाल ब्लैक होल की खोज की है। एक भारतीय खगोलशास्त्री ने नासा के जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप की मदद से अब तक देखे गए सबसे दूर और विशाल ब्लैक होल का पता लगाया है। इस ब्लैक होल की विशालता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इसका द्रव्यमान 10 से 100 मिलियन सूर्य के बीच हो सकता है। यानि इसके अंदर अरबों सूर्य समा सकते हैं।
नासा के वैज्ञानिकों ने इस ब्लैक होल का नाम UHZ1 रखा है। आकाशगंगा में पाया जाने वाला यह ब्लैक होल अपने विकास के प्रारंभिक चरण में है। इसे पहले कभी नहीं देखा गया है। इसका द्रव्यमान आकाशगंगा की तरह अनंत है। नासा की टीम इसे महत्वपूर्ण खोज बता रही है। इससे यह पता लगाया जा सकता है कि ब्रह्मांड में सुपरमैसिव ब्लैक होल कैसे बने?
धरती से कितना दूर?
हार्वर्ड और स्मिथसोनियन के सेंटर फॉर एस्ट्रोफिजिक्स की रिसर्च टीम का कहना है कि इसकी पृथ्वी से 3.5 अरब प्रकाश वर्ष की दूरी है। यह आकाशगंगा क्लस्टर एबेल 2744 की दिशा में है। नासा ने इस ब्लैक की होल की तस्वीर अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर भी शेयर की है।
कितनी महत्वपूर्ण है खोज?
अंतरिक्ष में इस ब्लैक होल की खोज काफी महत्वपूर्ण मानी जा रही है। ऐसा इसलिए क्योंकि यह ब्लैक होल अभी अपने विकास के प्रारंभिक चरण में है। इसके अलावा इसे पहले कभी नहीं देखा गया है। इसलिए इसके अध्ययन से खगोलशास्त्री अंतरिक्ष और ब्लैक होल के बारे में और जानकारी हासिल कर सकते हैं।
क्या होता है ब्लैक होल?
ब्लैक होल अंतरिक्ष की वो अंधेरी दुनिया है, जिसमें भौतिक विज्ञान का कोई नियम नहीं चलता। यहां गुरुत्वाकर्षण इतना शक्तिशाली होता है कि जो अंदर चले जाए वो बाहर नहीं निकल सकता। ब्लैक होल को अंतरिक्ष का दानव भी कहा जा सकता है। प्रकाश भी इसके आर-पार नहीं जा सकता। यहां समय और स्थान की कोई सीमा नहीं है। किसी विशाल तारे की मौत हो जाने के बाद यह ब्लैक होल का निर्माण ले सकता है।