प्रथम विश्व युद्ध के दौरान यरूशलम को 100 साल पहले भारतीय सेना ने कराया था आज़ाद…!

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आज से करीब 100 साल पहले की यह बात है जब प्रथम विश्व युद्ध चल रहा था। इस दौरान भारतीय सैनिकों ने ऑटोमन साम्राज्य को हराने वाले ब्रिटिश की सेनाओं को कई सारे शहर जीतने में पूरी मदद की थी…

7 अक्टूबर, 2023 को सूर्योदय से ठीक पहले हमास के सैकड़ों लड़ाके इजरायल में घुस चुके थे। ये गाजा की सीमा पार करके यहूदी देश में दाखिल हुए। उस सुबह गाजा बॉर्डर पर निगरानी कर रहे इजरायली सैनिकों को इसे लेकर कोई आइडिया नहीं था। न ही आसपास के कस्बों और किबुत्ज में रहने वालों ने ऐसा कुछ सोचा होगा। मगर, यह तो इजरायल के 75 साल के इतिहास में सबसे घातक खूनी हमला साबित हुआ। हमास इसे ‘ऑपरेशन अल-अक्सा फ्लड’ का नाम देता है। यह यरुशलम के पुराने शहर में स्थित मस्जिद से जुड़ा हुआ है जो कि इस्लाम का तीसरा सबसे पवित्र स्थल है।

हमास का कहना है कि यह हमला 2022 में मस्जिद पर पुलिस के हमले के जवाब में किया गया। यरुशलम में स्थित यह मस्जिद भारत से 4,000 किलोमीटर से अधिक की दूरी पर है। इसके बावजूद, इससे हमारे देश का गहरा इतिहास जुड़ा हुआ है। करीब 100 साल पहले की बात है जब प्रथम विश्व युद्ध चल रहा था। इस दौरान भारतीय सैनिकों ने ऑटोमन साम्राज्य को हराने वाले ब्रिटिशों को शहर जीतने में मदद की थी। यह इतिहास बेहद ही रोचक है और भारतीय सैनिकों की वीरता को सामने रखता है।

यरुशलम की आजादी के लिए लड़े 10 लाख भारतीय सैनिक
यरुशलम को आजाद कराने के लिए 1917 में 10 लाख से अधिक भारतीय सैनिकों ने अंग्रेजों के लिए लड़ाई लड़ी। यरुशलम पोस्ट में इसे लेकर एक रिपोर्ट पब्लिश हुई है। इसके अनुसार, 1914 और 1918 के बीच भारतीय सैनिक गैलीपोली, स्वेज नहर, सिनाई, फिलिस्तीन और दमिश्क में तुर्की-जर्मन सेनाओं से लड़े। साथ ही गाजा, यरुशलम, जाफा, हाइफा, नब्लस और मेगिद्दो में भी बड़ी लड़ाइयां हुईं। युद्ध में शहीद हुए भारतीय सैनिकों की याद में यहां कब्रिस्तान भी है।

पंजाबी, सिख, गोरखा और अविभाजित भारत के नौवजवान
प्रथम विश्व युद्ध के दौरान ताब्सोर के युद्ध में भी भारतीय सैनिक लड़े थे। 19-20 सितंबर, 1918 की लड़ाई बेहद अहम है। यह मेगिडो बैटल (Battle of Meggido) की शुरुआत थी। इन घटनाओं ने फिलिस्तीन में ऑटोमन सेनाओं पर एंटेंटे बलों की जीत में बड़ी भूमिका निभाई। इस लड़ाई में भाग लेने वाले ज्यादातर भारतीय सैनिक ही थे जिनमें पंजाबी, सिख, गोरखा और अविभाजित भारत के विभिन्न इलाकों के नौजवान शामिल थे। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने 2 साल पहले इन भारतीय सैनिकों की याद में उत्तरी इजरायल के रानाना में पट्टिका का अनावरण किया था।

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