पूर्व मंत्री और भाजपा के विधायक अजय चंद्राकर ने कांग्रेस को आतंकी संगठन बता दिया। पूर्व CM भूपेश बघेल के स्लीपर सेल वाले बयान पर चंद्राकर ने ये प्रतिक्रिया दी है। शनिवार को मीडिया से बात करते हुए चंद्राकर ने कह दिया- कांग्रेस आतंकी संगठन है। आतंकी संगठन से किसी को भी खतरा हो सकता है। देश में कांग्रेस आतंकवादी संगठन की तरह काम कर रही है। प्रशासन को इस पर ध्यान देना चाहिए। उन्होंने कहा कि कांग्रेस को पता है कि वह लोकसभा चुनाव हार रही है इसलिए वह दूसरे क्षेत्र के नेताओं को भेज रही है चुनाव लड़ने के लिए।
लोकसभा चुनाव से पहले अन्य पार्टियों के नेताओं के बीजेपी ज्वाइन करने पर अजय चंद्राकर ने कहा- बीजेपी में तो आना बहुत लोग चाहते हैं। गुण दोष के आधार पर पार्टी में लेंगे। कांग्रेस पार्टी में कोई लीडर और नीति नहीं है। एक परिवार का कितने दिन तक पूजा करेंगे। उन्होंने भूपेश बघेल पर हमला करते हुए कहा कि दुर्ग जिले की लीडरशिप को खत्म करना चाहते हैं।
‘कांग्रेस में कोई लीडर नहीं’
चंद्राकर ने कहा- सचिन पायलट कांग्रेस से उपेक्षित नेता हैं। बाकी जो बचते हैं। वह एक परिवार का गिरोह के हैं। गिरोह और पार्टी का नेता दोनों में अंतर है। बीजेपी के नेता सामाजिक लोग हैं। भूपेश बघेल ने पारिवारिक संस्था की तरह सरकार चलाई है। जिनको पूछा नहीं गया था उनके पास मौका है बोलेंगे ही। एक ही परिवार की पूजा करते-करते मानसिक रूप से लोग थक जाते हैं। नेताओं के कांग्रेस छोड़ने का एक महत्वपूर्ण कारण यही है।
लीडरशिप खत्म करने में लगे भूपेश
पूर्व मंत्री अजय चंद्राकर से भूपेश बघेल पर तीखा हमला किया है। दुर्ग जिले से कांग्रेस ने तीन नेताओं को अलग-अलग लोकसभा सीटों से उम्मीदवार बनाया गया है। अजय चंद्राकर ने इस पर कहा कि कांग्रेस कहीं नजर नहीं आ रही है। बस्तर से लेकर सरायपाली तक मैंने यात्रा की है। कांग्रेस को समझ नहीं आ रहा है वह क्या करें। कांग्रेस पार्टी ने प्रत्याशी घोषित कहां किए हैं। एक जिले के लोगों को दूसरे जिलों में बैठा दिया है। भूपेश बघेल दुर्ग की लीडरशिप को समाप्त करना चाहते हैं।नाथूराम के वशंज
कांग्रेस के संचार विभाग के प्रमुख सुशील आनंद शुक्ला ने अजय चंद्राकर के बयान पर पलटवार किया। उन्होंने कहा- नाथू राम गोडसे के वशंज.. वो गोडसे जो देश का पहला आतंकवादी था जिसने महात्मा गांधी की हतया की। उस गोडसे के अनुयायी अगर कांग्रेस को आतंकी संगठन कर रहे हैं तो ये हास्यास्पद है। अजय चंद्राकर मानसिक रूप से विचलित हो चुके हैं। मंत्री मंडल से उन्हें बाहर रखा गया। चंद्राकर की वरिष्ठता को दरकिनार करते हुए सरकार ने उन्हें दूध में गिरी मक्खी की तरह निकाल बाहर फेंका है, इससे वो विचलित हो गए हैं मीडिया के जरिए अपनी अति निष्ठा दिखाने की कोशिश कर रहे हैं।
ये है बघेल का स्लीपर सेल वाला बयान
पूर्व CM भूपेश बघेल के खिलाफ कुछ कांग्रेस के नेता ही उतर आए हैं। उन्होंने ऐसे लोगांे को कांग्रेस में स्लीपर सेल कहा उनका इशारा था कि ऐसे लोग स्लीपर सेल की तरह कांग्रेस में रहकर भाजपा के लिए काम कर रहे हैं। दरअसल ये विवाद तब आया जब राजनांदगांव लोकसभा से प्रत्याशी बदलने और भूपेश बघेल की टिकट काटने की मांग कुछ कांग्रेसियों ने की।
इस मामले में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने ऐसे नेताओं पर कहा मैंने तो मौका दिया था, इसमें दुष्प्रचार करने की क्या बात है। इसका मतलब है कि आपको पार्टी के हित से मतलब नहीं है आप दुष्प्रचार कर रहे हैं। दूसरी बात जो लेटर लिखा गया है, कांग्रेस पार्टी की अपनी व्यवस्था है, जिसके तहत किसको काम देना है, किसको नहीं देना है, उसकी प्रक्रिया है। उसमें अध्यक्ष, कोषाध्यक्ष का भी हस्ताक्षर होता है, साथ ही जिसको काम दिया जाता है, उसके साथ एग्रीमेंट किया जाता है।
सारी प्रकिया की गई है, अब ये जबरदस्ती का आरोप लगा रहे हैं. कुछ ऐसे लोग हैं जो कांग्रेस में स्लीपर सेल के रूप में काम कर रहे हैं. कांग्रेस को बदनाम करने के लिए ये सब कर रहे हैं, उसकी नियत कांग्रेस को मजबूत करने की नहीं है। यदि गड़बड़ी है तो आपको प्रॉपर शिकायत करने था, जिसमें कमेटी के गठन होता है और उसकी जांच की जाती है।
क्या है स्लीपर सेल
कई आतंकी घटनाओं पर आधारित फिल्मों या मीडिया रिपोर्ट्स में स्लीपर सेल सुनने को मिलता है। स्लीपर सेल यानी आतंकियों का वो दस्ता जो आम लोगों के बीच रहता है और आतंकियों के शीर्ष नेतृत्व से आदेश आने के बाद हरकत में आ जाते हैं। स्लीपर सेल में शामिल आतंकियों को पकड़ना काफी चुनौती भरा काम होता है, कारण कि ये आम लोगों के बीच आम आदमी की तरह रह रहे होते हैं।
लंबे समय तक ये आम जिंदगी जी रहे होते हैं। कई बार स्लीपर सेल में भर्ती आतंकियों को ये तक नहीं पता होता है कि वे क्या काम करने जा रहे हैं। महीनों तक वे जासूसी कर सूचनाएं इकट्ठा करते रहते हैं। कई बार उन्हें यह भी मालूम नहीं होता कि वो किसके लिए काम कर रहे हैं। इन्हें डीप कवर एजेंट भी कहा जाता है। आतंकी संगठन इसके लिए टेक्नोसेवी और साफ छवि वाले युवाओं की तलाश करते हैं, जिनका पुलिस में कोई रिकॉर्ड न हो. ऐसा इसलिए ताकि उनपर संदेह न जाए।