भाजपा ने भूपेश बघेल को घोटालों के किंगपिन बताया ,मंत्री केदार कश्यप ने कहा -” किसी कीमत पर नहीं बचेगा पॉलीटिकल मास्टर”…!

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रायपुर। छत्तीसगढ़ के वन मंत्री केदार कश्यप ने ईडी समेत केंद्रीय जाँच एजेंसियों की कार्रवाईयों को राजनीतिक षड्यंत्र और प्रतिशोध की राजनीति बताने पर पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को आड़े हाथों लिया है।  कश्यप ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के किसी एक फैसले को लेकर जाँच एजेंसियों के दुरुपयोग के आरोप लगाकर बघेल अपने भ्रष्टाचार और धत्कर्मों के दाग धोने की फिजूल कवायद कर रहे हैं, ऐसे किसी प्रॉपगैंडा से भूपेश बघेल को कोई लाभ नहीं होने वाला है।

वन मंत्री श् कश्यप ने कहा कि हम न्यायालय का सम्मान करते हैं। उसके फ़ैसले पर कोई टिप्पणी नहीं कर रहे हैं। लेकिन किसी एक फ़ैसले को डूबते का तिनका बना लेने से भूपेश बघेल का कोई भला नहीं होने वाला है। अपने बस्तर दौरे में प्रधानमंत्री  मोदी ने स्पष्ट कहा है कि भ्रष्टाचारियों की असली जगह जेल है।  कश्यप ने कहा कि भूपेश सरकार के खिलाफ जितने भी मामले हैं, उनमें से लगभग किसी में भी आरोपियों को जमानत सुप्रीम कोर्ट तक से भी नहीं मिल पा रही है। इन मामलों का ‘पॉलिटिकल मास्टर’ कौन है, समूचे प्रदेश को पता है। अब तो जमानत मांगने पर इनके लोगों पर सुप्रीम कोर्ट जुर्माना तक ठोक रहा है। हाल ही में सौम्या चौरसिया की जमानत याचिका पर एक लाख का जुर्माना सुप्रीम कोर्ट ने लगाया है।  कश्यप ने कहा कि भ्रष्टाचार के कुछ मामलों में तो कोर्ट ने साफ कहा भी है कि इन घोटालों में प्रथम दृष्टया पर्याप्त साक्ष्य हैं, इसके बावजूद बघेल खुद को बेदाग बताने के लिए प्रतिशोध की राजनीति का बेसुरा राग आलापकर जिस तरह हाथ-पैर मार रहे हैं, वह हास्यास्पद ही है।

प्रदेश के वन मंत्री  कश्यप ने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री बघेल जरा अपनी याददाश्त पर जोर दें कि बदले की कार्रवाई और प्रतिशोध की राजनीति तो सत्ता में रहते हुए खुद बघेल कर रहे थे। विकास आदि के काम छोड़ बघेल पूरे पाँच साल केवल भाजपा नेताओं के खिलाफ, पत्रकारों के खिलाफ झूठे मुक़दमे दायर करते रहने में, एसआईटी आदि गठन करने में लगे रहे, यहां तक कि दिल्ली के नेताओं के खिलाफ किये ट्वीट पर भी वे भाजपा प्रवक्ताओं पर, पत्रकारों पर सौ-सौ मुकदमे लाद देते थे।  कश्यप ने कहा कि सत्ता का ऐसा दुरुपयोग इससे पहले किसी ने नहीं किया था। ऐसे तमाम मुकदमों को कोर्ट खारिज करता गया। कई मामलों में तो कोर्ट ने टिप्पणी तक की कि यह राजनीतिक बदले की कारवाई की गई है। कांग्रेस सरकार द्वारा गठित लगभग सारी एसआईटी भी कोर्ट ने रद्द कर दी थी। एक ओर जहाँ भाजपा सरकार द्वारा दर्ज सभी मामले कोर्ट में कायम हैं, वहीं दूसरी ओर कांग्रेस की भूपेश सरकार द्वारा दर्ज लगभग कोई भी मुकदमे किसी अदालत में नहीं टिके। भूपेश सरकार की ‘बदलापुर की राजनीति’ का इससे बड़ा साक्ष्य और क्या हो सकता है? अब बघेल और उनके लोग किस मुँह से भाजपा पर प्रतिशोध की राजनीति का आरोप लगा रहे हैं?

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