नितिन गडकरी की छवि के सामने फेल हैं सारे जातीय समीकरण, जानें नागपुर सीट का मिजाज…

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नागपुर शहर के बीचों-बीच पड़ने वाले शताब्दी चौक पर चुनावी लाउडस्पीकर का बहुत शोर है।

बसपा के नीले झंडे वहां सबसे ज्यादा लहरा रहे हैं, लेकिन तभी उधर से मनीष नगर की ओर केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी का काफिला निकलता है और लोगों की भीड़ उनकी तरफ उमड़ पड़ती है। वह आत्मविश्वास से भरे नजर आते हैं।

यह संसदीय सीट कई मायनों में महत्वपूर्ण है। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ का मुख्यालय यहां है और भाजपा के वरिष्ठ नेता तथा केंद्रीय राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी जीत की हैट्रिक बनाने की तैयारी कर रहे हैं।

तीसरे, इस सीट पर जातीय समीकरण हावी हैं। लेकिन जातीय समीकरणों पर गड़करी की छवि कहीं ज्यादा भारी पड़ रही है। उन्हें लोग एक ऐसे मंत्री, सांसद और नेता के रूप में देखते हैं, जिन्होंने शानदार सड़कें बनाकर न सिर्फ नागपुर, बल्कि सूबे और देश का भी विकास किया है।

विरोधियों के बीच भी साख
पार्टी के भीतर ही नहीं बल्कि विरोधियों के बीच भी गडकरी की साख उनकी स्वीकार्यता को बढ़ाती है। हालांकि कांग्रेस ने एक ओबीसी और अनुभवी उम्मीदवार विकास ठाकरे को उनके सामने उतारकर चुनौती पैदा करने की कोशिश की है लेकिन लोग साफ कहते हैं कि कोई और उम्मीदवार होता तो भाजपा की राह मुश्किल हो सकती थी लेकिन यहां तो गडकरी जी मैदान में हैं।

बता दें कि नागपुर में ओबीसी मतदाताओं की संख्या 50 फीसदी से भी ज्यादा होने का अनुमान है जिनमें ज्यादातर कुनबी और तेली हैं।

भाजपा ने अपने प्रचार में गडकरी की छवि को भुनाने का भरपूर प्रयास किया है, उनका नारा है… ‘कहो दिल से नितिन जी फिर से…।’

दूसरी ओर विकास
उद्धव ठाकरे केंद्र की विफलताओं को जनता के सामने रखने का प्रयास कर रहे हैं। वह नागपुर पश्चिम सीट से विधायक हैं। नागपुर पश्चिम सीट में ही संघ मुख्यालय भी पड़ता है और उनका आत्मविश्वास इतना लबालब है कि उन्होंने हाल में दावा किया था, संघ के कई लोग भी उनके पक्ष में वोट करेंगे।

नागपुर के लोग चुनाव में दिलचस्पी ले रहे हैं और पैनी नजर बनाए हैं। जीरो माइल इलाके के निवासी मोरेश्वर सी. धुने कहते हैं कि विकास ठाकरे के मैदान में उतरने से शायद पांच लाख मतों से जीत का लक्ष्य गडकरी पूरा नहीं कर पाएं, फिर भी अच्छे मतों से उनकी जीत पक्की है। एक खाद्य श्रंखला के संचालक एवं भाजपा में सक्रिय प्रणब घुगरे कहते हैं कि गडकरी शानदार मतों से जीत की हैट्रिक लगाने जा रहे हैं।

26 प्रत्याशी मैदान में 
नागपुर सीट पर वैसे तो 26 प्रत्याशी मैदान में हैं जिनमें ज्यादातर निर्दलीय व छोटे दलों के नुमाइंदे हैं। हालांकि यहां भाजपा, कांग्रेस के बाद तीसरे नंबर की पार्टी बसपा है।

बसपा ने योगेश पातीराम को प्रत्याशी बनाया है। पिछले कई चुनावों में बसपा यहां तीसरे नंबर पर उभरकर आई, पर उसके वोट घट रहे हैं। दरअसल, 15-20 दलित मतदाता इस सीट पर हैं जिनमें हिन्दू एवं बौद्ध दलितों की मिलीजुली संख्या है। दलित वोटर साढ़े चार लाख के करीब होने की संभावना है। 12 मुस्लिम वोटर भी हैं। 2009 में बसपा प्रत्याशी को 1.18 लाख मत मिले थे, लेकिन 2019 में 32 हजार से भीकम रहे।

सभी वर्गों का समर्थन मिलने का दावा
भाजपा का दावा है कि ओबीसी, दलित समेत सभी वर्गों का समर्थन गडकरी को मिल रहा है। भाजपा के अलावा उन्हें अपनी व्यक्तिगत छवि और साख का भी लाभ मिल रहा है।

हालांकि नागपुर के लोगों की गडकरी के साथ सहानुभूति भी है। लोग दबी जुबान में यह कहने से नहीं चूकते कि प्रदेश में कई नेता नहीं चाहते की गडकरी की शानदार जीत हो, लेकिन वह अपने मंसूबों में सफल नहीं हो पाएंगे।

नागपुर में गडकरी के विकास की चर्चा
सड़कें, मेट्रो, 1.15 लाख लोगों को उपचार में मदद, 40 हजार को दिल के ऑपरेशन में मदद, 300 लोगों को कृत्रिम पैर लगाए, एक लाख लोगों के आंखों का उपचार एवं चश्मे लगाना, हजारों लोगों को सुनने की मशीन उपलब्ध कराना, कोरोना के दौरान ऑक्सीजन प्लांट की स्थापना आदि प्रमुख है।

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