ED के अफसरों ने जांच के बाद जो रिपोर्ट EOW को दी है। इसमें शराब सिंडिकेट किस तरह से काम करता था इसका खुलासा हुआ है। EOW के अफसरों ने रिपोर्ट की जानकारी साझा की है। ED की रिपोर्ट के अनुसार एफएल 10 ए लाइसेंस अनवर ढेबर की तीन चहेते फर्म मेसर्स नैक्सेजेन पॉवर इंजीटेक प्रा.लि., मे. ओम साई वेबरेज प्रा. लि. और मेसर्स दीशिता वेंचर्स प्रा. लि. को दिया गया।
मेसर्स नैक्सेजेन पॉवर इंजीटेक प्रा. लि. फर्म के लाइसेंस धारक संजय मिश्रा और मनीष मिश्रा थे। मेसर्स ओम साई वेबरेज प्रा. लि. के संचालक अतुल कुमार सिंह और मुकेश मनचंदा थे। इसी तरह से मेसर्स दीशिता वेंचर्स प्रा. लि. के संचालक आशीष सौरभ केडिया थे।
तीनों फर्म के संचालक विदेशी मदिरा निर्माता कंपनियों से मदिरा लेकर राज्य सरकार को उपलब्ध कराकर 10 प्रतिशत लाभ कमाते थे। 10 प्रतिशत लाभ का 60 प्रतिशत सिंडिकेट को और 40 प्रतिशत लाइसेंस धारकों को प्राप्त होता था।
ED के अनुसार वित्तीय वर्ष 2020-21 से वर्ष 2022-23 तक मेसर्स ओम साई बेवरेजेस को कुल 90,45,97,654 रुपए, मेसर्स दीशिता वेंचर्स प्राइवेट लिमिटेड को 74,80,41,515, मेसर्स नेक्सजेन पॉवर इंजीटैक प्राइवेट लिमिटेड को 46,22,30, 501 रुपए का लाभ प्राप्त हुआ। इस तरह कुल 2,11,48,69,670 के लाभ में 60 प्रतिशत कमीशन सिंडिकेट को प्राप्त हुआ।
इसके अलावा निरंजन दास को डुप्लीकेट होलोग्राम की देशी मदिरा बिक्री में से 18 करोड़ रुपए की राशि मिलने की सूचना है। विजय भाटिया ओम साई बेवरेजेस के 50 प्रतिशत के पार्टनर है, उन्हें अवैध राशि का लाभ प्राप्त हुआ है।
ईडी के अफसरों ने जांच में लिखा है, कि अनिल टुटेजा, एपी त्रिपाठी, अनवर ढेबर के सिंडिकेट को संरक्षण देने का काम सेवानिवृत्त IAS विवेक ढांढ देते थे। इसके बदले में सिंडिकेट की ओर से उन्हें शेयर दिया जाता था।
आयकर विभाग ने 27 फरवरी 2020 को अनिल टुटेजा, एपी त्रिपाठी, अनवर ढेबर, सौम्या चौरसिया के निवास और फर्म के साथ-साथ सेवानिवृत्त IAS विवेक ढांढ के निवास पर भी सर्च कार्रवाई की। इसकी जांच रिपोर्ट अलग से ब्यूरो को दी गई है, इसमें जांच की जा रही है।
सेवानिवृत्त IAS विवेक ढांढ तत्कालीन राज्य सरकार के करीबी थे, इसलिए उन्हें रेरा के चेयरमैन के रूप में पदस्थ किया गया था। इसके अलावा ईडी ने एपी त्रिपाठी पर तत्कालीन आबकारी आयुक्त निरंजन दास और तत्कालीन मंत्री कवासी लखमा पर 50-50 लाख रुपए प्रतिमाह देने का आरोप लगाया है।
डिस्टलरी संचालकों से पूछताछ की अफसरों ने
अनवर,अरविंद और एपी त्रिपाठी से पूछताछ के बाद EOW के अफसरों ने तेलीबांधा इलाके में रहने वाले डिस्टलरी संचालकों को पूछताछ के लिए उठाया था। इन्हें तीनों आरोपियों के सामने बिठाकर अफसरों ने पूछताछ की थी। जिसमें EOW के अफसरों को इस सिंडिकेट से जुड़े आधा दर्जन से ज्यादा अन्य लोगों की जानकारी मिली है। जिन्हें जांच के दायरे में लाने की तैयारी अफसर कर रहे हैं।
आरोपियों से EOW के अफसरों ने इन पॉइंट्स पर पूछे सवाल
- शराब घोटाले में कौन-कौन सिंडिकेट शामिल हैं?
- वर्ष 2017 में आबकारी नीति में संशोधन कर CSMCL के ज़रिए शराब बेचने का प्रावधान किसके कहने पर किया गया?
- क्या वर्ष 2019 के बाद क्या अनवर ढेबर के कहने पर अरुणपति त्रिपाठी को CSMCL का एमडी नियुक्त कराया गया था?
- घोटाले को अंजाम देने में कौन अधिकारी, कारोबारी और राजनीतिक रसूख वाले लोग शामिल हैं?
- उगाही की रकम का बंटवारा कैसे और कौन करता था?
- ईडी की जांच में यह घोटाला तीन स्तर ए,बी और सी पर हुआ है। क्या यह सच है?
- शराब सिंडिकेट ने मिलकर देशी शराब और अंग्रेजी शराब ब्रांड के होलोग्राम बनाकर बेहिसाब शराब दुकानों में बेची, जिससे सीधे तौर पर शासन को राजस्व की हानि हुई?
- पांच सालों में राज्य सरकार को कितने राजस्व का नुकसान हुआ?
- डिस्टलर्स और ट्रांसपोर्टर से सालाना कमीशन कितना मिलता था?
- इसमें राजनीतिक पार्टियों के किन नेताओं को कमीशन जाता था?
- उन तक पैसे कैसे पहुंचाए जाते थे और इनवेस्टमेंट से जुड़ी जानकारी पूछी गई।
ये भी आएंगे पूछताछ के दायरे में
EOW के अधिकारियों ने आबकारी विभाग में हुए घोटाले में तत्कालीन आबकारी मंत्री कवासी लखमा, पूर्व मुख्य सचिव विवेक ढांढ, पूर्व आईएएस अनिल टुटेजा समेत 70 से ज्यादा लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया है। इसके साथ अज्ञात कांग्रेस नेता और अज्ञात आबकारी अफसर भी मामले में आरोपी हैं। EOW के सूत्रों के अनुसार आने वाले दिनों में आरोपियों की संख्या में इजाफा होगा।
इन लोगों को जारी किया जाएगा नोटिस
- तत्कालीन आबकारी आयुक्त IAS निरंजनदास
- तत्कालीन सहायक जिला आबकारी अधिकारी जनार्दन कौरव
- तत्कालीन उपायुक्त आबकारी अनिमेष नेताम
- तत्कालीन उपायुक्त आबकारी विजय सेन शर्मा
- तत्कालीन सहायक कमिश्नर आबकारी प्रमोद कुमार नेताम
- तत्कालीन सहायक आयुक्त आबकारी रामकृष्ण मिश्रा
- तत्कालीन सहायक आयुक्त आबकारी विकास कुमार गोस्वामी
- तत्कालीन जिला आबकारी अधिकारी इकबाल खान
- तत्कालीन सहायक जिला आबकारी अधिकारी नीतिन खंडुजा
- तत्कालीन सहायक आयुक्त आबकारी नवीन प्रताप सिंग
- तत्कालीन जिला आबकारी अधिकारी मंजुश्री कसेर
- तत्कालीन सहायक आयुक्त सौरभ बख्शी
- तत्कालीन सहायक आयुक्त आबकारी दिनकर वासनिक
- तत्कालीन अतिरिक्त आयुक्त आशीष श्रीवास्तव
- तत्कालीन जिला आबकारी अधिकारी अशोक कुमार सिंह
- आबकारी अधिकारी मोहित कुमार जायसवाल
- उपायुक्त नीतू नोतानी
- तत्कालीन सहायक आयुक्त आबकारी रविश तिवारी
- आबकारी अधिकारी गरीबपाल दर्दी
- आबकारी अधिकारी नोहर सिंह ठाकुर
- सहायक आयुक्त सोनल नेताम
- अनुराग द्विवेदी, मेसर्स अनुराग ट्रेडर्स
- अमित सिंह, मेसर्स अदीप एग्रोटेक प्राइवेट लिमिटेड
- नवनीत गुप्ता
- पिंकी सिंह, प्रोप्राईटर आदिप एम्पायर्स
- विकास अग्रवाल उर्फ सुब्बू
- त्रिलोक सिंह ढिल्लन, मेसर्स ढिल्लन सिटी मॉल प्राइवेट लिमिटेड
- यश टुटेजा
- नितेश पुरोहित
- यश पुरोहित
- अभिषेक सिंह, डायरेक्टर मेसर्स नेक्सजेन पॉवर इंजीटेक प्राइवेट लिमिटेड
- मनीष मिश्रा, मेसर्स नेक्सजेन पॉवर इंजीटेक प्राइवेट लिमिटेड
- संजय कुमार मिश्रा, सीए, मेसर्स नेक्सजेन पॉवर इंजीटेक प्राईवेट लिमिटेड
- अतुल कुमार सिंह, श्री ओम साईं, बेवरेजेस प्राइवेट लिमिटेड
- मुकेश मनचंदा, श्री ओम सांई, बेवरेजेस प्राइवेट लिमिटेड
- विजय भाटिया, भिलाई
- आशीष सौरभ केडिया, मेसर्स दिशिता वेंचर्स प्राइेवट लिमिटेड
- सिद्धार्थ सिंघानिया, मेसर्स सुमीत फैसलिटीस लिमिटेड एवं टॉप सिक्योरिटीस फैसिलिटी मैनेजमेंट
- बच्चा राज लोहिया, मेसर्स इंगल हंटर सॉल्युशन लिमिटेड एवं पाटर्नर
- अमित मित्तल, मेसर्स ए टू जेड प्राइवेट लिमिटेड एवं सहयोगी
- उदयराव, मेसर्स ए टू जेड प्राइवेट लिमिटेड
- लक्ष्मीनारायण बंसल उर्फ पप्पू बंसल
- विधु गुप्ता, प्रीज्म होलोग्राफी एवं सिक्योरिटीज प्राइवेट लिमिटेड
- दीपक दुआरी
- दिपेन चावड़ा
- उमेर ढेबर
- जुनैद ढेबर
- अख्तर ढेबर
- अशोक सिंह
- सुमित मलो
- विकास अग्रवाल
नई ECIR दर्ज की है ED
कथित शराब घोटाले में सुप्रीम कोर्ट से झटका खाने के बाद ED एक बार फिर एक्शन लेने की तैयारी कर नई ECIR (इंफोर्समेंट केस इंफॉर्मेशन रिपोर्ट) दर्ज की है। इसके बाद फिर से धरपकड़ शुरू होगी। नई ईसीआईआर की ईडी के अफसरों ने तैयारी शुरू कर दी है।
अफसर नई रिपोर्ट के लिए केस से जुड़े उन कमियों को तलाश रहे हैं, जिसकी वजह से सुप्रीम कोर्ट ने केस को ही खारिज कर दिया था। अब ऐसी कमियों को दूर कर नई ECIR कायम की जाएगी, जिससे वे किसी भी कोर्ट में अपने केस को मजबूती से रख सकें।