सूरजपुर जिले का बिहारपुर क्षेत्र…इस इलाके में कई ऐसे गांव हैं जहां पहुंचने के लिए सड़क नहीं है। मतदान के लिए यहां के लोगों को 5 से 15 किमी की दूरी तय करनी पड़ती है। ग्रामीण पगडंडी, कच्चे रास्तों से पैदल वोट डालने जाते हैं। लेकिन सड़क की समस्या से ज्यादा इस इलाके में हाथियों का डर है। बिहारपुर में लगभग 50 हाथियों का दल डेरा डाले हुए है। उनकी दहशत ऐसी है कि अंधेरा होने के बाद तो दूर लोग दिन में भी निकलने से डर रहे हैं। यही वजह है कि इस क्षेत्र में राजनैतिक दलों के कार्यकर्ता भी प्रचार-प्रसार के लिए नहीं पहुंच रहे हैं।
पार्टी समर्थक इस इंतजार में हैं कि मतदान के पहले अगर इलाके से हाथियों का दल दूसरी तरफ चला जाएगा, तब वे प्रचार करने गांवों में जाएंगे। यहां दूसरे चरण में 17 नवंबर को चुनाव होना है। वहीं प्रभावित इलाके के लोगों का कहना है कि वह जान खतरे में डालकर वोट देने नहीं जाएंगे। आमतौर पर मतदान के दिन यहां के ग्रामीण दाना-पानी लेकर घर से निकलते हैं और करीब तीन घंटे पैदल चलने के बाद मतदान केंद्र पहुंचते हैं। कोशिश रहती है कि अंधेरा होने से पहले हर हाल में घर वापसी हो जाए, लेकिन इस बार जाना ही मुश्किल दिख रहा है।
बाघ का भी खतरा
जंगली रास्तों में हाथियों के साथ बाघ का भी डर है। यहां कुछ दिन पहले ही बाघ ने सूरजपुर व कोरिया जिले की सीमा पर एक मवेशी को अपना शिकार बनाया था। लोग इससे भी डरे हुए हैं। ग्रामीण रामचरण पंडो ने बताया कि यहां जंगली जानवरों से सामना होने का डर हमेशा बना रहता है क्योंकि गांव गुरु घासीदास पार्क क्षेत्र में है।
300 में से 4 ने ही वोट डाले
खोहिर पंचायत के सरपंच फूल साय पंडो कहते हैं कि सड़क और मुलभूत सुविधाओं की कमी की वजह से 2018 के विधानसभा चुनाव में ग्रामीणों ने मतदान का बहिष्कार किया था, लूल और तेलाईपाठ के कुल 300 मतदाताओं में से महज चार लोगों ने मतदान किया। इसके बाद भी यहां सुविधाएं नहीं पहुंचीं।
भुंडा गांव के लोग 15 किमी चलकर वोट देने जाएंगे
भुंडा गांव में चेरवा जाति के करीब 20 परिवार रहते हैं। यहां के लोग वोट देने के लिए जंगलों से होते हुए 8 किमी दूर लूल गांव जाते हैं। तेलईपाठ के 75 वोटर 15 किमी पैदल चलकर वोट देने लूल गांव जाते हैं। वहीं बैजनपाठ के करीब 200 मतदाता वोट देने के लिए छह किमी दूर खोहिर जाते हैं। तेलईपाठ के ग्रामीण रामरूप ने मीडिया को बताया कि वे सालों से इसी तरह मतदान करने करीब दो-तीन घंटे पैदल चलकर मतदान केन्द्र तक जाते हैं।
हाथी प्रभावित हैं ये गांव दफ्तर में नहीं रहते अफसर
हाथियों से इस समय जुड़वानिया, सरोकी, पासाल, मोहर सोप, बसनारा, नौडीहा सहित करीब 10 से अधिक गांव प्रभावित हैं। बिहारपुर निवासी पप्पू जायसवाल कहते हैं कि बिहारपुर व महुली में गुरुघासीदास पार्क व वन विभाग का कार्यालय है। यहां अफसरों के आवास और रेस्ट हाउस तक हैं लेकिन अधिकारी नहीं रहते। इसके कारण मैदानी कर्मचारी भी गायब रहते हैं। उनका मोबाइल भी हमेशा बंद रहता है। जंगली जानवरों से कई बार सामना होता रहता है।