सेहतनामा- 70% लाइफ स्टाइल बीमारियों का कारण इंफ्लेमेशन:ये आखिर है क्या, क्यों होता है, आसान भाषा में समझिए इसका विज्ञान…!!

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इंफ्लेमेशन – आजकल यह शब्द अकसर सुनने को मिलता है। कोई हेल्थ वीडियो देखिए, पॉडकास्ट सुनिए, आर्टिकल पढ़िए, किसी बीमारी के बारे में रिसर्च करिए तो पता चलता है कि इसका कारण इंफ्लेमेशन है।

लेकिन ये इंफ्लेमेशन ठीक-ठीक होता क्या है?

बचपन में खेलते समय हम कितनी बार गिरते थे। चोट लगती थी, कभी हाथ, कभी पैर तो कभी चेहरे पर सूजन आ जाती थी। ऐसी ही सूजन हमारे शरीर के अंदर के बॉडी ऑर्गन्स में भी आती है। यह सूजन आमतौर पर दिखाई नहीं देती, पर महसूस की जा सकती है। कभी-कभी यह सूजन असहनीय दर्द का कारण भी बन सकती है या किसी क्रॉनिक हेल्थ कंडीशन का।

मेडिसिन की भाषा में इसे ही इंफ्लेमेशन कहते हैं।

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की एक रिपोर्ट कहती है कि 70% मॉडर्न लाइफ स्टाइल बीमारियों की जड़ में यही इंफ्लेमेशन है।

इंफ्लेमेशन हमारी बायलॉजी का जरूरी हिस्सा है। यह शरीर के स्वस्थ होने की निशानी है। जब कोई बाहरी कीटाणु हमला करता है या संक्रमण होता है या कोई चोट लग जाती है तो रिएक्शन में शरीर सूजन पैदा करता है। यह हमें हील करने में मदद करता है। यहां तक तो सिस्टम हेल्दी है।

लेकिन फर्ज करिए कि बिना किसी बाहरी हमले के, बाहरी बैक्टीरिया, वायरस और पैरासाइट अटैक के अगर सूजन होने लगे तो इसका अर्थ है कि हमारा शरीर अपने ऊपर ही हमला कर रहा है। फाइटर सेल्स अपना प्राइमरी इंटेलीजेंस खो रही हैं। दोस्त और दुश्मन के बीच फर्क नहीं कर पा रहीं और फ्रेंडली सेल्स को ही खा रही हैं। ये इंफ्लेमेशन खतरनाक है। यह ऑटो इम्यून बीमारियों से लेकर किसी क्रॉनिक डिजीज का संकेत हो सकता है।

आज ‘सेहतनामा’ में बात करेंगे इंफ्लेमेशन की। साथ ही जानेंगे कि-

  • यह किन स्थितियों में पैदा हो सकता है?
  • इंफ्लेमेशन कब खतरनाक साबित हो सकता है?
  • इंफ्लेमेशन का इलाज क्या है?

इंफ्लेमेशन क्या है?
इंफ्लेमेशन किसी बीमारी, चोट या ऐसी किसी चीज के प्रति हमारे शरीर की प्रतिक्रिया है, जो आपके शरीर का हिस्सा नहीं है। जैसे जर्म्स या टॉक्सिक केमिकल्स। यह हमारी इम्यून सेल्स का रिस्पॉन्स है।

इसे ऐसे समझिए कि जब हम बीमार होते हैं तो बुखार से पता चलता है कि हमारा इंफ्लेमेटरी सिस्टम सही काम कर रहा है। इस दौरान हमारे शरीर के भीतर इम्यून सेल्स और बाहर से आए जर्म्स के बीच लड़ाई चल रही होती है। इस लड़ाई में हमारे शरीर की सेल्स घायल होने लगती हैं तो इनके लिए शरीर द्वारा आर्मी डॉक्टर्स की एक टीम भेजी जाती है, जो इंफ्लेमेशन क्रिएट करके इमरजेंसी हॉस्पिटल बना देते हैं। फिर वे बाहर से आए जर्म्स को मारते हैं, अपनी घायल सेल्स का इलाज करते हैं, डेड सेल्स को खा जाते हैं और नई हेल्दी सेल्स बनाते हैं।

चूंकि इंफ्लेमेशन हमारे शरीर का सामान्य हिस्सा तो है नहीं, इसलिए इसमें दर्द महसूस होता है। सामान्य सूजन और दर्द इस बात का संकेत है कि हमारे शरीर में कोई मरम्मत का काम चल रहा है।

जरूरी नहीं है कि ये सूजन हर बार हमारे अच्छे के लिए ही हो। हमें यह तो पता नहीं होता है कि शरीर के अंदर क्या चल रहा है। कई बार ये हमारे स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा सकती हैं, इसलिए सतर्क होना भी जरूरी है।

कभी-कभी ऑटोइम्यून बीमारियां, आर्थराइटिस और इंफ्लेमेटरी बाउल डिजीज के चलते भी इंफ्लेमेशन हो सकता है। इस दौरान हमारी इम्यून सेल्स अपने शरीर की स्वस्थ कोशिकाओं पर ही हमला करने लगती हैं।

इंफ्लेमेशन 3 तरह के होते हैं-

  • एक्यूट इंफ्लेमेशन
  • क्रॉनिक इंफ्लेमेशन
  • सबएक्यूट इंफ्लेमेशन

एक्यूट इंफ्लेमेशन
यह इंफ्लेमेशन थोड़े समय ही रहता है, लेकिन गंभीर हो सकता है। यह आमतौर पर किसी चोट या संक्रमण के कारण होता है। सप्ताह-दो सप्ताह में ठीक हो जाता है। लेकिन इतने ही समय में किसी बड़ी बीमारी की वजह बन सकता है।

क्रॉनिक इंफ्लेमेशन
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यह सूजन आमतौर पर बहुत धीरे-धीरे बढ़ती और घटती है। यह ज्यादा गंभीर भी नहीं होती है। आमतौर पर 6 सप्ताह से अधिक समय तक रहती है। यह ऑटोइम्यून डिस्टर्बेंस और किसी तनाव के कारण हो सकती है।

सबएक्यूट इंफ्लेमेशन
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यह एक्यूट और क्रॉनिक इंफ्लेमेशन के बीच का एक प्रकार है। ऐसा इंफ्लेमेशन आमतौर पर 2-6 सप्ताह तक रहता है।

क्यों होता है इंफ्लेमेशन
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किसी चोट या संक्रमण के कारण एक्यूट इंफ्लेमेशन हो सकता है।

इसके अलावा हमारी लाइफस्टाइल और टॉक्सिक केमिकल्स भी इंफ्लेमेशन की वजह बन सकते हैं। ग्राफिक में देखिए।

  • सिगरेट और शराब से टॉक्सिक केमिकल्स निकलते हैं, जो हमारे शरीर को खासा नुकसान पहुंचाते हैं। इससे इंफ्लेशन हो सकता है, जो गंभीर क्रॉनिक डिजीज का कारण भी बन सकता है।
  • अल्ट्रा प्रॉसेस्ड फूड और ट्रांस फैट के ज्यादा सेवन से भी इंफ्लेमेशन हो सकता है। इससे गंभीर बीमारियां पैदा हो सकती हैं।

क्या है इंफ्लेमेशन का इलाज
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इंफ्लेमेशन किस स्तर का है, इससे तय होता है कि इलाज कराना है या नहीं। अगर यह सामान्य है और बहुत दर्द नहीं हो रहा है तो घर पर ही राहत मिल सकती है।

  • सूजन वाले हिस्से को ज्यादा से ज्यादा आराम दें।
  • हर चार घंटे में 15-20 मिनट के लिए बर्फ से सिकाई करें।
  • किसी कट, खरोंच या घाव की अच्छे से देखभाल करें।
  • अगर यह इंफ्लेमेशन लंबे समय तक रह जाए तो डॉक्टर से मिलें। वे जिंक, विटामिन्स या ओमेगा-3 जैसे सप्लीमेंट्स दे सकते हैं। अधिक दर्द या सूजन होने पर दवाएं दे सकते हैं।

कोकिलाबेन धीरूभाई अंबानी हॉस्पिटल मुंबई में एंडोक्रोनोलॉजी डिपार्टमेंट के हेड डॉ. धीरज कपूर कहते हैं कि अगर हम चाहते हैं कि हमें इंफ्लेमेशन से जूझना न पड़े तो अपनी लाइफस्टाइल और खानपान में जरूरी बदलाव करने होंगे। उन्होंने कुछ जरूरी बदलाव बताए हैं।

इंफ्लेमेशन है कई बीमारियों की वजह

डॉ. धीरज कपूर बताते हैं कि इंफ्लेमेशन की वजह से हॉर्मोनल बैलेंस बिगड़ जाता है, जो ज्यादातर लाइफस्टाइल डिजीज की वजह बनता है।

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