शहर की दो दर्जन से ज्यादा सड़कें ऐसी हैं जहां नाले या नालियों के ऊपर मेन होल खुले हुए हैं। निगम अफसरों ने साल की शुरुआत में दावा किया था कि शहर के किसी भी सड़क पर कहीं भी कोई मेन होल खुला नहीं दिखेगा। लेकिन चार महीने बीतने के बाद भी किसी भी मेन होल के ऊपर लोहे की जाली नहीं लगी है। अफसर अब कह रहे हैं कि लोकसभा चुनाव के काम में लग गए थे इस वजह अब यह काम आचार संहिता खत्म होने के बाद ही किया जाएगा।
मेन होल खुले होने की वजह से लोग हर दिन हादसे का शिकार हो रहे हैं। मेन होल के आसपास से गाड़ी निकालने की वजह से अधिकतर बार लोग गाड़ियों से गिर जाते हैं। कई बार तो उन्हें गंभीर चोट भी लग रही है। शहर के निजी अस्पतालों से मिली जानकारी के अनुसार हर दिन ऐसे लोग जरूर आते हैं जो इन मेन होल की वजह से दुर्घटना का शिकार हो जाते हैं।
शहर में गुिढ़यारी, राठौर चौक, गुरुनानक चौक, खालसा स्कूल के पास, तेलघानीनाका चौक, बैरनबाजार, न्यू शांति नगर, राजेंद्रनगर, बैजनाथपारा, देवेंद्र नगर, मालवीय रोड समेत कई वार्डों की मुख्य सड़कों की नालियों को खुला छोड़ दिया गया है। यह नालियां इतनी बड़ी हैं कि जरा सी चूक होने पर लोग गाड़ी के साथ इन पर गिर जाते हैं। सड़क के बड़े हिस्से में नालियां होने की वजह से लोगों को उसके आसपास से गुजरना होता है। इससे ट्रैफिक जाम भी होता है।
4 हजार किमी में नालियां, खुली जगहों पर खतरा
निगम से मिली जानकारी के अनुसार 70 वार्डों में करीब चार हजार किलोमीटर तक छोटी-बड़ी नाली फैली है। पिछली सरकार ने तीन साल पहले आदेश जारी किया था कि जहां भी नाली बनाई जाए, उसे तुरंत ढंका जाए। कई वार्डों मे नाली ढंकने का काम भी शुरू हो गया। लेकिन अधिकतर जगहों के मेन होल को ही ऐसे ही खुला छोड़ दिया। इससे परेशानी और बढ़ गई। इस तरह के खुले मेन होल की वजह से दो और चार पहिया चलाने वालों को काफी परेशानी होती है।
कई बार कार चालकों की गाड़ियों के चक्के इस मेन होल में चले जाते हैं। इस वजह से उनकी कारों को भी खासा नुकसान होता है। अक्सर बुजुर्ग भी इन खुले मेन होल में गिर जाते हैं, जिससे उन्हें अस्पताल में भर्ती कराने की नौबत आ जाती है।
जोन कमिश्नर और इंजीनियर जांचने भी नहीं जाते
रोड सुरक्षा नियमों के अनुसार सड़कों के बीच में बने मेनहोल और चैंबर हमेशा ढंके हुए रहने चाहिए। चैंबर कवर भी इस तरह डिजाइन किया हुआ होना चाहिए कि कवर लगने के बाद चैंबर और सड़क की ऊंचाई बराबर हो। ताकि ऊपर से गुजरने पर गाड़ियां अनबैलेंस न हों। इनकी मजबूत भी इतनी रहनी चाहिए कि बड़ी से बड़ी गाड़ी गुजर जाए तो वह टूटे न।
लेकिन शहर की सड़कों पर ज्यादातर जगहों पर मेनहोल खुले हैं। इतना ही नहीं कई जगहों पर चैंबर के कवर ही टूट गए हैं। टूटने के बाद उसे दोबारा कभी बनाया ही नहीं गया। दरअसल जोन कमिश्नर इस पर ध्यान ही नहीं देते। जोन कमिश्नरों की इसमें दिलचस्पी नहीं होने की वजह से जोन के इंजीनियर भी इसकी जांच करने नहीं जाते हैं।
मैनुअल के खिलाफ बने हैं
- सड़क पर मेनहोल या गड्ढे खुले नहीं छोड़े जाने चाहिए।
- मेनहोल अनावश्यक रूप से ज्यादा बड़े नहीं बनने चाहिए।
- कवर भी काफी मजबूत और सड़क के बराबर होने चाहिए।
- सीवर की सफाई मैनुअल नहीं कराई जा सकती, यह बैन है।
- सीवर या वाटर सप्लाई लाइन हमेशा सड़क के किनारे बनाए।
- गड्ढे या मेनहोल खुला हो तो चारों तरफ से बेरिकेडिंग करें।
(जैसा रोड इंजीनियरिंग के एक्सपर्ट
मनीष पिल्लीवार ने बताया)
समाधान- लिस्ट बनी अब लग जाएंगे
जिन सड़कों में मेन होल खुले हैं उनकी जोनवाइज सूची तैयार कर ली गई है। आचार संहिता खत्म होने के साथ ही जाली लगाने का टेंडर जारी कर दिया जाएगा। एक साथ सभी खुले मेन होल के ऊपर हर हाल में लोहे की जालियां लग जाएंगी। –अबिनाश मिश्रा, कमिश्नर निगम