आयुष्मान योजना के तहत इन्सेंटिव के भुगतान में एचओडी ने मिलकर जमकर बंदरबांट की। वर्ष 2021-22 और 2022-23 में 7.92 करोड़ रुपए इन्सेंटिव भुगतान किया गया है। 23 ऐसे कर्मचारियों को भी 18 लाख रुपए का भुगतान किया गया है, जो पात्र ही नहीं हैं। धोबी, नाई और बढ़ई को वार्ड ब्वॉय बताकर उनके खाते में राशि डाली। यही नहीं, क्लर्क को पैरामेडिकल स्टाफ बताकर भुगतान किया गया है। मीडिया ने जब उन कर्मचारियों से बात की, जिन्हें वार्ड ब्वॉय बताकर राशि का भुगतान किया गया है, तो उनका कहना था कि नियमित रूप से उन्हें राशि नहीं मिली है, बल्कि कभी-कभार दी गई, बाकी दूसरे कर्मचारियों को दी गई। यह सब एचओडी की मर्जी से हुआ है। इसके विपरीत इन्सेंटिव के पात्र कर्मचारियों को डेढ़ साल से भुगतान ही नहीं किया गया है। सिम्स के डीन डॉ. केके सहारे ने आयुष्मान के प्रभारी डॉ. चंद्रहास ध्रुव को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।
सिम्स के स्टाफ नहीं, फिर भी इन्सेंटिव भुगतान
तोशन निशाद, दिव्या, विश्वेश कुलकर्णी, गौरव सिंह, चंद्रकांत, अजय निर्मलकर, सुरेंद्र लहरे, जाह्नवी, कमलेश साहू, अभिषेक डेविड, राकेश दत्ता, अनिल, किंदल धीवर, अभिषेक, रवि मसीह, मिन्त्रा पात्रे स्टाफ नहीं हैं, फिर भी इन्सेंटिव दिया।
इन कर्मचारियों का पद बदलकर किया गया भुगतान
1. योगेश दिघ्रस्कर, मूल पद- स्टोर कीपर; पैरामेडिकल स्टाफ बताया।
2. अर्जुन सिदार, मूल पद- स्टोर कीपर; पैरामेडिकल स्टाफ बताया।
3. सुमन राय, मूल पद- स्टोर कीपर; पैरामेडिकल स्टाफ बताया।
4. उपेंद्र वर्मा, मूल पद- रिकार्ड क्लर्क; पैरामेडिकल स्टाफ बताया।
5. ममता वर्मा, मूल पद- रिकार्ड क्लर्क; पैरामेडिकल स्टाफ बताया।
6. खेमेंद्र सिंह, मूल पद- रिकार्ड क्लर्क; पैरामेडिकल स्टाफ बताया।
7. आरती गवेल, मूल पद- रिकार्ड क्लर्क; पैरामेडिकल स्टाफ बताया।
8. राजीव कुमार यादव, मूल पद- स्टोर कीपर; फार्मासिस्ट बताया।
9. सुमा बी., मूल पद- रिकार्ड क्लर्क; पैरामेडिकल स्टाफ बताया।
10. राजकुमार विश्वकर्मा, मूल पद- कारपेंटर; वार्ड ब्वाय बना दिया।
11. बसंत, मूल पद- बढ़ई; वार्ड ब्वाय बना दिया गया।
12. हेमंत कुमार, मूल पद- नाई; वार्ड ब्वाय बना दिया गया।
13. मनीष रजक, मूल पद- धोबी; वार्ड ब्वाय बना दिया गया।
14. दामोदर कश्यप, मूल पद- धोबी; वार्ड ब्वाय बना दिया गया।
15. कविता सिंह, मूल पद- टीबी विभाग में हेल्थ विजिटर; टेक्नीशियन बनाया।
16. धनेश्वरी साहू, मूल पद- रिकार्ड क्लर्क, पैरामेडिकल स्टाफ बनाया।
17. जगजीवन कांत, मूल पद- अटेंडर; ब्लड बैंक अटेंडर बताया।
18. रमाशंकर साहू, मूल पद- स्टोर कीपर; फार्मासिस्ट बताया।
19. गीता हलधर, मूल पद- लैब असिस्टेंट: लैब अटेंडर बनाया।
20. केदार कौशिक, मूल पद- ; पैरामेडिकल स्टाफ बताया।
21. लीलाधर गिलहरे, मूल पद- स्टोर कीपर; फार्मासिस्ट बताया।
22. समीक्षा विश्वकर्मा, मूल पद- ऑफिस असिस्टेंट; आई असिस्टेंट ṁबताया।
23. सरोज यादव, मूल पद- सहायक ग्रेड-3; पैरामेडिकल स्टाफ बताया।
बेहतर काम के लिए इन्सेंटिव देने का नियम
मरीजों के बेहतर इलाज प्रति रुचि बढ़ाने के लिए इन्सेंटिव योजना शुरू की गई। इसके तहत मरीजों के इलाज में जितना खर्च होता है, क्लैम करने पर उसकी 60 प्रतिशत राशि का भुगतान केंद्र सरकार संबंधित सरकारी अस्पताल को करती है। इसमें से 25 प्रतिशत राशि इन्सेंटिव के रूप में डॉक्टरों और स्टाफ के लिए अलग-अलग राशि तय की गई है। नियम के तहत अधिष्ठाता, अस्पताल अधीक्षक, सहायक अधीक्षक व नोडल अधिकारी आदि के इन्सेंटिव तय है।
जांच के बाद कार्रवाई
आयुष्मान योजना से इलाज कराने वालों की भीड़ रहती है। इसी की आड़ में फर्जीवाड़ा हुआ
आरटीआई में मिले दस्तावेजों के आधार पर हुआ खुलासा
{आयुष्मान योजना के तहत पद बदलकर इन्सेंटिव का भुगतान किया गया है।
-पद बदलकर भुगतान करना उचित नहीं है। ऐसा हुआ है तो गलत है। जानकारी ली जाएगी।
{स्टोर कीपर को फार्मासिस्ट बनाकर भुगतान किया गया है।
-ऐसा नहीं कर सकते हैं। जिस पद के लिए पैसा आता है, उसी पद के कर्मचारी को दिया जा सकता है।
{डॉक्टरों को दो-दो बार भुगतान किया गया है।
-डाक्टर पहले पद पर थे, हो सकता है प्रमोशन के बाद ऐसा हुआ होगा।
{सिम्स ने जिनको भर्ती नहीं किया है, ऐसे स्टाफ को भी भुगतान कर दिया गया है।
-पूरे मामले की जांच होने के बाद हकीकत सामने आएगी। इसकी जांच की जाएगी।
डॉ. सुजीत नायक, एमएस