वैदिक मंत्रोच्चार और श्री बद्री विशाल लाल की जय के नारों के साथ रविवार को बद्रीनाथ धाम के कपाट खोले गए। इस दौरान 20 हजार से ज्यादा श्रद्धालु मौजूद थे। इससे पहले ब्रह्ममुहूर्त में मंदिर के बाहर गणेश पूजन हुआ। इसके बाद पुजारियों ने द्वार पूजा की। मंदिर का कपाट तीन चाबियों से खोला गया।
कपाट खुलते ही पहले दर्शन अखंड ज्योति के हुए। यह 6 महीने से जल रही है। इसके बाद बद्रीनाथ पर चढ़ा हुआ घी से बना कंबल हटाया गया। जो 6 महीने पहले कपाट बंद होने के समय भगवान को ओढ़ाया जाता है। इस कंबल को प्रसाद रूप में बांटा जाएगा। मंदिर के कपाट पिछले साल 14 नवंबर को बंद हुए थे। यानी 179 दिन बाद बद्रीनाथ के कपाट खोले गए।
6 से 8 बजे तक बिना श्रंगार वाले दर्शन
चारधाम तीर्थ पुरोहित पंचायत के महासचिव डॉ. ब्रजेश सती ने बताया कि सुबह 6 से 8 बजे तक भगवान के बिना श्रंगार के दर्शन किए गए। जिसे निर्वाण दर्शन कहते हैं। इसके बाद तकरीबन 8 बजे पहला जलाभिषेक हुआ और पहली पूजा प्रधानमंत्री के नाम से की गई। 9 बजे बालभोग लगाया गया। दोपहर 12 बजे पूर्ण भोजन का भोग लगेगा। ये ही भोग ब्रह्मकपाल भेजा जाएगा। भोग पहुंचने के बाद ही वहां पहला पिंडदान होगा।
पहले दिन 20 हजार से ज्यादा श्रद्धालु पहुंचे, 7 लाख लोगों ने रजिस्ट्रेशन कराया
- मंदिर को करीब 20 क्विंटल फूलों से सजाया गया है। पहले दिन दर्शन के लिए लगभग 20 हजार से ज्यादा लोग दर्शन के लिए पहुंचे।
- 11 मई की रात से ही हल्की बारिश होने लगी थी। इससे पहले मौसम विभाग ने 11 से 13 मई तक बारिश और बर्फबारी का अलर्ट जारी किया था। बद्रीनाथ धाम दर्शन के लिए 9 मई की शाम तक कुल 6 लाख 83 हजार लोगों के रजिस्ट्रेशन करवा लिया है।
तीन चाबियों से खुला कपाट का ताला
मंदिर कपाट का ताला तीन चाबियों से खुला। इनमें एक टिहरी राजदरबार, दूसरी चाबी बद्री-केदार मंदिर समिति के पास और तीसरी चाबी बद्रीनाथ धाम के रावल और पुजारियों के पास होती है, जिन्हें हक-हकूकधारी कहा जाता है।
इससे पहले 11 मई को सुबह भगवान बद्रीनाथ की डोली पांडुकेश्वर मंदिर से रवाना हुई। पालकी में गरुड़ जी और शंकराचार्य की गद्दी थी। पांडुकेश्वर मंदिर से डोली में कुबेर और उद्धव जी की चलित प्रतिमा भी शामिल हुई। डोली के साथ मंदिर के रावल ईश्वरी प्रसाद नंबूदरी और शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती थे। डोली 11 की शाम को मंदिर पहुंची।
बद्रीनाथ मंदिर का धर्मिक महत्व और इतिहास
1. उत्तराखंड के चमोली जिले में ये मंदिर समुद्र स्तर से 3,133 मीटर की ऊंचाई पर बना है। हर साल करीब 10 लाख श्रद्धालु बद्रीनाथ धाम पहुंचते हैं।
2. मंदिर में भगवान विष्णु की बद्रीनारायण स्वरूप की 1 मीटर की मूर्ति स्थापित है। इसे श्री हरि की स्वंय प्रकट हुई 8 प्रतिमाओं में से एक माना जाता है। मान्यता है कि भगवान विष्णु ध्यान करने के लिए एक शांत और प्रदूषण मुक्त जगह की तलाश में यहां पहुंचे थे।
3. इतिहास के मुताबिक बद्रीनाथ धाम को आदि शंकराचार्य ने 9वीं शताब्दी में स्थापित किया था। कहा जाता है कि आदि शंकराचार्य ने ही अलकनंदा नदी से बद्रीनाथ की मूर्ति निकाली थी।
4. इस मंदिर का वर्णन स्कंद पुराण और विष्णु पुराण में भी मिलता है। मंदिर के वैदिक काल (1750-500 ईसा पूर्व) में भी मौजूद होने के बारे में पुराणों में बताया गया है।
5. भगवान बद्रीनाथ का तिल के तेल से अभिषेक होता है। इसके लिए तेल टिहरी राज परिवार से आता है। बद्रीनाथ टिहरी राज परिवार के आराध्य देव हैं। मंदिर की एक चाबी राज परिवार के पास भी होती है।
6. बद्रीनाथ के पुजारी शंकराचार्य के वंशज होते हैं, वे रावल कहलाते हैं। केरल स्थित राघवपुरम गांव में नंबूदरी संप्रदाय के लोग रहते हैं। इसी गांव से रावल नियुक्त किए जाते हैं। इसके लिए इंटरव्यू होता है यानी शास्त्रार्थ किया जाता है। रावल आजीवन ब्रह्मचारी रहते हैं।
रिकॉर्ड तोड़ भीड़: यमुनोत्री के 4 किमी के रास्ते में 4 घंटे फंसे 8 हजार श्रद्धालु
चारधाम यात्रा के दूसरे दिन यानी शनिवार को केदारनाथ धाम में 22 हजार श्रद्धालु पहुंचे। गंगोत्री में आंकड़ा 5277 रहा।
उत्तराखंड की भौगोलिक परिस्थितियां आपको कभी भी संकट में डाल सकती हैं। शुक्रवार शाम यमुनोत्री धाम में यही हुआ। समुद्र तल से 10,797 फीट ऊपर जानकी चट्टी से यमुनोत्री मंदिर तक का 5-6 फीट चौड़ा और 4 किमी लंबा रास्ता बेहिसाब भीड़ में जाम हो गया।
चार धाम यात्रा का पहला दिन था, इसलिए ज्यादा से ज्यादा स्थानीय नागरिक अपने देवी-देवता के दर्शन के लिए पहुंचे थे। ऊपर से बाहरी श्रद्धालुओं के आने से हालात बिगड़ गए। एक दिन में रिकॉर्ड तोड़ 13 हजार पहुंचे। शाम 4 बजे करीब 8 हजार श्रद्धालु 4 किमी के रास्ते पर फंस गए। जबकि इस मार्ग की क्षमता एक बार में 1 से 2 हजार यात्रियों की ही है।
एक तरफ पहाड़ और दूसरी तरफ गहरी खाई। ऊपर से बारिश और कड़ाके की ठंड। भीड़ में बच्चे, बूढ़े, महिलाएं और सैकड़ों खच्चर थे। एक भी खच्चर बिदकता तो हजारों जानें मुश्किल में पड़ जातीं। 4 घंटे यही स्थिति बनी रही। आखिर में एसडीआरएफ ने मोर्चा संभाला और जानकी चट्टी आने वाले लोगों को रोका गया।
जो श्रद्धालु ऊपर फंसे थे, उन्हें मानव शृंखला बनाकर पहाड़ के किनारे-किनारे रास्ता बनाकर निकाला गया। जानकी चट्टी पर मौजूद ड्यूटी इंस्पेक्टर संतोष कुंवर ने बताया कि करीब 6 घंटे बाद रास्ता साफ हुआ। इसके बाद यमुनोत्री यात्रा रोक दी गई। शनिवार सुबह जब यात्रा शुरू हुई तो 8 से 9 बजे के बीच जानकी चट्टी से आगे फिर वही हालात बनने लगे।
शुरुआत में ज्यादा लोगों को आगे बढ़ा दिया था, लेकिन जब ऊपर से खबर आई कि हालात फिर बिगड़ रहे हैं तो तत्काल जानकी चट्टी पर बैरियर लगा दिया गया। हालांकि दोपहर करीब 12 बजे हालात सुधरे। इसके बाद दिनभर जाम नहीं लगा।
यमुनोत्री धाम यात्रा में पहुंचे पर्याप्त श्रद्धालु
उत्तरकाशी पुलिस ने यमुनोत्री धाम जाने वाले श्रद्धालुओं से अपील की है कि वे आज अपनी यमुनोत्री यात्रा स्थगित कर दें, क्योंकि यमुनोत्री धाम में क्षमता के अनुरूप पर्याप्त संख्या में श्रद्धालु पहुंच चुके हैं। अब ज्यादा श्रद्धालुओं को भेजना जोखिम भरा है।