हमारा शरीर कई छोटी-बड़ी प्राकृतिक मशीनों का समुच्चय है। लिवर, किडनी, हार्ट, इंटेस्टाइन, लंग्स, ये सब एक तरह की मशीनें ही हैं। कृतिम मशीनों की तरह इन्हें भी फ्यूल यानी ईंधन की जरूरत होती है। ये फ्यूल मिलता है भोजन से। इस भोजन को पचाकर हमारा शरीर एनर्जी में बदलता है और हर अंग को जरूरत के हिसाब से बांट देता है। भोजन में कई तरह के न्यूट्रिएंट्स होते हैं। ऐसा ही एक मैक्रोन्यूट्रिएंट कार्बोहाइड्रेट है। यह हमें आमतौर पर चावल, रोटी और फलों से मिलता है। इसे कार्ब भी कहते हैं। यह कार्ब ऊर्जा का प्राइमरी सोर्स है।
बीते कुछ सालों में दुनिया भर में ओबिसिटी यानी मोटापे के केस तेजी से बढ़े हैं। मेटाबॉलिक साइंस के एक्सपर्ट्स मोटापे के लिए हाई शुगर और हाई कार्ब फूड्स को जिम्मेदार मानते हैं। टाइप-2 डायबिटीज और कई हेल्थ कंडीशंस के लिए भी कार्ब को कटघरे में खड़ा किया जाता है। इससे लोगों में ये मैसेज गया है कि कार्ब हमारी सेहत के लिए बेहद नुकसानदायक हैं, जबकि असल में ऐसा नहीं है। क्योंकि जैसे हर चमकने वाली चीज सोना नहीं होती, वैसे ही हर कार्ब नुकसानदायक भी नहीं है।
इसलिए आज ‘सेहतनामा’ में बात करेंगे कार्ब्स की। साथ ही जानेंगे कि-
- गुड कार्ब्स और बैड कार्ब्स क्या होता है?
- कार्ब्स हमारी सेहत के लिए क्यों जरूरी है?
- गुड कार्ब्स और बैड कार्ब्स के सोर्स क्या-क्या हैं ?
कार्ब दोस्त भी है दुश्मन भी
कार्ब दो तरह के होते हैं। सिंपल कार्ब और कॉम्प्लेक्स कार्ब। सिंपल यानी ऐसा कार्ब, जिसे पचाने के लिए हमारे शरीर को कोई खास मेहनत नहीं करनी होती है। ये भोजन की नली से होकर छोटी आंत में जाते-जाते ही तुरंत एब्जॉर्ब हो जाते हैं, तुरंत एनर्जी देते हैं और ब्लड स्ट्रीम में तेजी से घुलकर शुगर स्पाइक भी कर देते हैं।
कुल मिलाकर ये सब काम फटाफट करते हैं। फटाफट भूख मिटाते हैं, फटाफट फिर से भूख लगा भी देते हैं। न्यूट्रीशन के नाम पर ये शून्य हैं। जबकि कॉम्प्लेक्स कार्ब फाइबर से भरे होते हैं। आराम से एंजाइम्स के मिलते, घुलते, ब्रेक होते बड़ी आंत तक पहुंचते हैं, धीरे-धीरे पचते हैं, ब्लड शुगर को भी नहीं बढ़ाते और गट माइक्रोबायोम्स के दोस्त तो होते ही हैं।
क्या है सिंपल कार्ब?
हमें फाइबर, स्टार्च और शुगर से कार्ब मिलता है। इसमें शुगर से मिलने वाला कार्ब सिंपल कार्ब होता है। यह आसानी से पच जाता है और हमारे ब्लड स्ट्रीम में जाकर तेजी से ब्लड शुगर स्पाइक करता है। इसे सेहत के लिए बहुत अच्छा नहीं माना जाता है। जो चीनी हम खाने में इस्तेमाल करते हैं वह सिंपल कार्ब ही है। ऊपर से यह रिफाइंड शुगर है। इसलिए इसमें कार्ब के अलावा कोई न्यूट्रीशन नहीं होता है। किन-किन चीजों से सिंपल कार्ब मिलता है, आइए ग्राफिक में देखते हैं।
कार्ब जितना कॉम्प्लेक्स होगा, उतना अच्छा
- कॉम्प्लेक्स कार्ब में फाइबर की मात्रा ज्यादा होती है। इसलिए ये धीरे-धीरे पचते हैं। इन्हें खाने से देर तक पेट भरा रहता है, इसलिए वेट लॉस के लिए भी यह बेहतर विकल्प बन सकते हैं।
- यह टाइप-2 डाइबिटिक लोगों के लिए एनर्जी का अच्छा सोर्स हो सकते हैं क्योंकि कॉम्प्लेक्स कार्ब ब्लड शुगर लेवल भी मैनेज करते हैं।
- इनसे मिलने वाला फाइबर हमारे बाउल रेगुलेशन को बेहतर करता है और कोलेस्ट्रॉल को कंट्रोल करने में मदद करता है।
असल नुकसान प्रोसेस्ड कार्ब से है, जिसमें कार्ब के अलावा दूसरे न्यूट्रिएंट्स नहीं होते हैं। अगर यही कार्ब किसी प्राकृतिक सोर्स से मिल रहा है तो नुकसानदायक नहीं होगा। बशर्ते लिमिट में खाया जाए। क्योंकि प्रकृति इसे बैलेंस करने के लिए शुगर के साथ फाइबर और अन्य मिनरल्स भी मिलाती है।
आइए हाई कार्ब फूड्स की लिस्ट देखते हैं, जो हमारे स्वास्थ के लिए बेहद लाभदायक हैं, पॉइंट्स में देखते हैं।
किनुआ
- किनुआ एक पौष्टिक अनाज है। इसे हेल्थ कॉन्शस लोग खूब पसंद करते हैं।
- साइंटिफिकली यह सीड्स की कैटेगरी में आता है, जिसे लोग अनाज की तरह उगा और खा रहे हैं।
- पके किनुआ में 70% कार्ब होता है। यह हाई कार्ब फूड होने के साथ प्रोटीन और फाइबर का भी अच्छा सोर्स है।
- नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ में पब्लिश एक स्टडी के मुताबिक यह ब्लड शुगर को कंट्रोल करने और हार्ट हेल्थ के लिए लाभदायक है।
- इससे वजन कम करने में भी मदद मिलती है। यह गेहूं का बेहतर विकल्प है।
ओट्स
- ओट्स बेहद लाभदायक साबुत अनाज है, जिसे हम गांव में जई के नाम से जानते हैं। इसमें कार्ब्स के साथ कई विटामिन, मिनरल्स और एंटीऑक्सिडेंट भी मिलते हैं।
- कच्चे ओट्स में 70% कार्ब होता है। ओट्स में बीटा ग्लूकेन नाम का खास फाइबर भी प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। ये प्रोटीन का भी अच्छा सोर्स है।
- नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ में पब्लिश एक स्टडी के मुताबिक इसके सेवन से कोलेस्ट्रॉल लेवल कम हो जाता है और हार्ट डिजीज के खतरे भी कम हो जाते हैं। यह टाइप 2 डायबिटीज और मोटापे में भी लाभदायक है।
केला
- केला दुनिया में सबसे ज्यादा पसंद किए जाने वाले फलों में से एक है।
- एक बड़े केले में लगभग 30 ग्राम कार्ब होता है। यह स्टार्च और शुगर के रूप में होता है।
- इसके अलावा इसमें पोटेशियम और विटामिन B 6 और विटामिन C भी भरपूर मात्रा में होता है।
- पोटेशियम हाइपरटेंशन को कम करने और हार्ट हेल्थ में सुधार करने में मदद करते हैं।
- पके केले में रेजिस्टेंट स्टार्च और पेक्टिन होते हैं, जो पाचन तंत्र को भोजन पचाने में मदद करते हैं।
शकरकंद
- शकरकंद एक स्वादिष्ट रूट वेजिटेबल है।
- 100 ग्राम पके हुए शकरकंद में लगभग 20.7 ग्राम कार्ब होता है। यह कार्ब स्टार्च, शुगर और फाइबर के फॉर्म में होता है।
- शकरकंद विटामिन A, विटामिन C और पोटेशियम का भी अच्छा सोर्स है।
- यह एंटीऑक्सिडेंट से भरपूर होता है। एंटीऑक्सिडेंट ऐसे कंपाउंड हैं, जो क्रॉनिक डिजीज से बचाते हैं और फ्री रेडिकल्स को बेअसर करते हैं।
चुकंदर
- चुकंदर एक बेदह पौष्टिक बीट रूट है।
- चुकंदर को पूरी तरह से हाई-कार्ब फूड नहीं माना जाता। लगभग 100 ग्राम चुकंदर में 10 ग्राम कार्ब होता है। इसमें शुगर और फाइबर होता है।
- इसमें एंटीऑक्सिडेंट और प्लांट कंपाउंड्स के साथ विटामिन और मिनरल्स भी होते हैं।
- नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के मुताबिक चुकंदर में अकार्बनिक नाइट्रेट भरपूर मात्रा में होता है। यह शरीर में नाइट्रिक ऑक्साइड में बदल जाता है। नाइट्रिक ऑक्साइड हाइपरटेंशन को कम करता है और कई बीमारियों के जोखिम भी कम कर सकता है।
सेब
- सेब अपने खास मीठे स्वाद के लिए जाने जाते हैं।
- लगभग 100 ग्राम सेब में 14-16 ग्राम कार्ब होता है। सेब में कई विटामिन और मिनरल्स भी होते हैं।
- ये विटामिन C, एंटीऑक्सिडेंट और फाइबर का अच्छा सोर्स हैं।
- नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ की एक स्टडी के मुताबिक सेब खाने से ब्लड शुगर लेवल और हार्ट हेल्थ मेंटेन रहती है।
- एक्सपर्ट्स मानते हैं कि सेब का नियमित सेवन किया जाए तो कैंसर का खतरा कम हो सकता है।
संतरा
- खट्टे फलों में सबसे ज्यादा कोई फल पसंद किया जाता है तो वह संतरा ही है।
- ये मुख्य रूप से पानी से बना होता हैं। लगभग 100 ग्राम संतरे में 15.5 ग्राम कार्ब्स होता है। संतरा फाइबर का भी अच्छा स्रोत है।
- संतरा विशेष रूप से विटामिन C, पोटेशियम और विटामिन B से भरपूर होता है। इसके अलावा इनमें साइट्रिक एसिड, पॉवरफुल प्लांट कंपाउंड और एंटीऑक्सिडेंट होते हैं।
- संतरा खाने से हार्ट हेल्थ में सुधार होता है और किडनी स्टोन के इलाज में मदद मिलती है। इससे आयरन एब्जार्प्शन बढ़ सकता है।