‘वर्ल्ड नो टोबैको डे’ पर तंबाकू को कहें NO:बढ़ेगा स्टैमिना, दिमाग करेगा तेजी से काम, उम्र 10 साल बढ़ जाएगी…!!

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आज पूरी दुनिया में अंतरराष्ट्रीय तंबाकू निषेध दिवस यानी वर्ल्ड नो टोबैको डे मनाया जा रहा है। इस साल की थीम है- ‘Protecting children from tobacco industry interference’ यानी तंबाकू उद्योग से बच्चों की सुरक्षा। यह आने वाली पीढ़ियों को तंबाकू के जहर से बचाने की विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की एक पहल है।

WHO के मुताबिक तंबाकू दुनिया भर में अब तक के सबसे बड़े सार्वजनिक स्वास्थ्य खतरों में से एक है। इसकी वजह से हर साल करीब 80 लाख लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ती है, जिनमें से 70 लाख मौतें सीधे तंबाकू के सेवन (गुटखा-सिगरेट आदि) के कारण होती हैं। बाकी तकरीबन 10 लाख मौतों का कारण होता है पैसिव स्मोकिंग।

भारत में इस वक्त 25.1 करोड़ से ज्यादा लोग तंबाकू का सेवन कर रहे हैं। इसमें 19.8 करोड़ से ज्यादा पुरुष और 5.3 करोड़ महिलाएं शामिल हैं। यह आंकड़ा 15 वर्ष या उससे अधिक उम्र के लोगों का है।

आज विभिन्न देश तंबाकू से होने वाली बीमारियों को लेकर जागरूकता अभियान चला रहे हैं। इन अभियानों के बावजूद भी लोग तंबाकू प्रोडक्ट्स के प्रति जागरूक नहीं हो रहे हैं।

इसलिए आज ‘सेहतनामा’ में बात तंबाकू के दुष्प्रभावों की। साथ ही जानेंगे कि-

  • तंबाकू की लत लगने के पीछे क्या कारण है?
  • बच्चों और गर्भवती महिलाओं को इससे क्या खतरा है?

कैंसर के अलावा कई गंभीर बीमारियों का खतरा
खैनी, गुटखा, पान मसाला जैसे धुआं रहित तंबाकू प्रोडक्ट्स धीरे-धीरे अपना असर दिखाते हैं। इनसे मुंह और गले का कैंसर होने का खतरा ज्यादा होता है।

जबकि बीड़ी, सिगरेट, हुक्का जैसे तंबाकू प्रोडक्ट्स में मौजूद निकोटीन सीधा हमारे ब्रेन पर असर करता है। इससे इंस्टेंट इफेक्ट दिखता है। लेकिन धुएं की वजह से हार्ट से जुड़ी बीमारियां, स्ट्रोक और फेफड़ों का कैंसर होने का खतरा ज्यादा होता है।

इसके अलावा तंबाकू का सेवन किसी भी तरीके से करने पर मसूड़ों की बीमारी, दांतों में सड़न और मुंह के अंदर ल्यूकोप्लाकिया (सफेद धब्बे) हो सकते हैं, जो कैंसर का कारण बन सकते हैं।

जो महिलाएं प्रेग्नेंसी के दौरान तंबाकू प्रोडक्ट्स का सेवन करती हैं, उनमें शीघ्र प्रसव और मृत शिशु के जन्म का खतरा बढ़ जाता है।

निकोटीन की वजह से लगती है लत
डॉ. प्रीति अग्रवाल बताती हैं कि बीड़ी, सिगरेट, हुक्का या किसी अन्य तरह के तंबाकू प्रोडक्ट्स में निकोटीन होता है। यह एक प्रकार का केमिकल है, जो ब्लड में घुलता है और दिमाग में डोपामाइन रिलीज करता है। डोपामाइन इंस्टेंट हैप्पी हॉर्मोन है, जिससे शरीर को इंस्टेंट एनर्जी और खुशी मिलती है।

लोगों को लगता है कि इससे उनकी काम करने की क्षमता बढ़ जाती है। साथ ही निकोटीन सीधे हमारे सेंट्रल नर्वस सिस्टम को अफेक्ट करता है, जिसकी वजह से तंबाकू या उससे जुड़ी चीजों की लत आसानी से लग जाती है।

टोबैको एडिक्शन एक खतरनाक स्थिति है क्योंकि एडिक्टेड व्यक्ति अगर अचानक इसका सेवन बंद कर दे तो भयानक विड्रॉअल सिंप्टम्स दिख सकते हैं। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि नर्वस सिस्टम निकोटीन का आदी हो चुका है। निकोटीन विड्रॉअल सिंप्टम्स में इस तरह के लक्षण दिख सकते हैं-

  • नींद न आना
  • चिड़चिड़ापन महसूस होना
  • गुस्सा आना
  • ध्यान केंद्रित न कर पाना
  • काम में मन न लगना
  • थकान महसूस होना

क्या है पैसिव स्मोकिंग
स्मोकिंग के दौरान निकलने वाला धुआं स्मोकिंग न करने वाले लोगों के लिए भी उतना ही खतरनाक है। ऐसा तब होता है, जब आपके पास कोई व्यक्ति स्मोकिंग कर रहा हो। मेडिसिन की भाषा में इसे सेकेंड हैंड स्मोकिंग या पैसिव स्मोकिंग कहा जाता है। इसके दो कारण हैं-

  • स्मोकर तो धुएं को सीधे इनहेल कर ही रहा है, लेकिन उसके आसपास जो व्यक्ति मौजूद है, वह भी उसी हवा में सांस ले रहा है। हवा में मौजूद सारे टॉक्सिन वहां बैठे हर व्यक्ति के फेफड़े में भी जाएंगे।
  • सिगरेट से निकलने वाले धुएं के साथ-साथ स्मोकर का छोड़ा धुंआ भी सांस के जरिए आसपास मौजूद लोगों के शरीर में जाता है। इस तरह सिगरेट न पीने के बावजूद आसपास के लोग पैसिव स्मोकिंग कर रहे होते हैं।

इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप खुद स्मोकिंग करते हैं या नहीं, अगर बीड़ी, सिगरेट या हुक्के का धुआं अन्य जरियों से आपके शरीर के अंदर जा रहा है तो ये नुकसानदायक है।

तंबाकू की जानलेवा लत से कैसे पाएं छुटकारा

नई दिल्ली के सीनियर फिजिशियन डॉ. बॉबी दीवान बताते हैं कि एक बार किसी को तंबाकू की लत लग जाए तो उसे छोड़ना मुश्किल हो सकता है, लेकिन यह नामुमकिन नहीं है। तंबाकू की लत से छुटकारा पाने के लिए ये कुछ टिप्स मददगार हो सकते हैं। जैसेकि-

  • किसी भी तरह की लत छुड़ाने के लिए सबसे जरूरी चीज है दृढ़ इच्छा शक्ति। यानी सबसे पहले उसी व्यक्ति को अपनी तरफ से शुरूआत करनी होगी। खुद से कमिटमेंट करना होगा कि फिर से कभी तंबाकू को हाथ नहीं लगाएंगे।
  • दूसरा तरीका है मेडिटेशन या ब्रीदिंग एक्सरसाइज। इससे दिमाग में होने वाले हॉर्मोनल बदलावों को कंट्रोल किया जा सकता है।
  • इसके अलावा साइकोथेरेपी और मेडिकल थेरेपी भी हैं, जिनकी मदद से तंबाकू की लत से छुटकारा पाया जा सकता है। साइकोथेरेपी में 5A (Ask, Advise, Assess, Assist, Arrange) नामक मोटिवेशनल थेरेपी होती है, जो किसी भी लत को छुड़ाने में काफी कारगर है। इसके अलावा कुछ दवाइयां भी इस लत को छुड़ाने में मददगार हो सकती हैं।

स्मोकिंग छोड़ने से तेज होता दिमाग, बढ़ता स्टैमिना
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स्मोकिंग छोड़ने से न सिर्फ शारीरिक बल्कि मानसिक स्वास्थ्य में भी पॉजिटिव बदलाव आता है। ज्यादातर लोगों को लगता है कि स्मोकिंग से स्ट्रेस और एंग्जाइटी दूर होती है, जबकि ऐसा बिल्कुल नहीं है।

ब्रिटेन की नेशनल हेल्थ सर्विस के मुताबिक स्मोकिंग से सिर्फ इस्टेंट आराम मिलता है। लेकिन वास्तव में स्ट्रेस और एंग्जाइटी को बढ़ाता है। हर सिगरेट दिल की धड़कन को बढ़ाती है और बेचैन का कारण बनती है।

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