दुर्ग जिले के नर्सिंग होम एक्ट के नोडल अधिकारी डॉ. अनिल शुक्ला की अवैध गतिविधियों के बारे में डॉ. प्रभा पटैरिया और वीवाय हॉस्पिटल के डॉक्टर विश्वनाथ ने कुछ दिन पहले एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में रिश्वत मांगने और गलत कार्रवाई करने का आरोप लगाया था। आरोप लगाने वाली डॉ. प्रभा पटैरिया के संस्थान में आरोपी डॉ. अनिल शुक्ला ने छापेमारी के बाद नोटिस जारी किया है।
रिश्वत के आरोपी द्वारा छापेमारी
डॉ. प्रभा पटैरिया और वीवाय हॉस्पिटल के डॉक्टर विश्वनाथ ने कुछ दिन पहले एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में डॉ. अनिल शुक्ला पर रिश्वत मांगने और गलत कार्रवाई के आरोप लगाए थे। उनके उन गंभीर आरोपों के बाद 8 जून शनिवार को रूआबांधा जाकर आकृति क्लीनिक में छापा मारा। छापेमारी के दौरान डॉ. शुक्ला ने डॉ. प्रभा पटैरिया से क्लीनिक संचालन के लिए वैध दस्तावेज और डिग्री मांगी। साथ ही नोटिस देते हुए डॉ. अनिल शुक्ला ने डॉ. प्रभा पटेरिया पर आरोप लगाया है कि, उनके पास किसी भी प्रकार की कोई मेडिकल की ऐसी डिग्री नहीं है, जिससे वो एलोपैथी का उपचार कर सकें। डॉ. प्रभा पटैरिया ने सीएमएचओ कार्यालय से आकृति क्लीनिक चलाने के लिए नर्सिंग होम एक्ट का लाइसेंस नहीं लिया था। बिना लाइसेंस के क्लीनिक का संचालन करना नर्सिंग होम एक्ट के तहत दंडनीय अपराध है। इसे देखते हुए उन्हें तत्काल क्लीन को बंद करने का आदेश दिया गया है। इतना ही नहीं उनके पास जो डिग्री थीं उनसे वे आयुर्वेदिक उपचार कर सकती थीं, लेकिन वो एलोपैथी पद्धति से इलाज कर रही थीं।
बिना टीम के छापेमारी का अधिकार नहीं
राष्ट्रबोध के पास उपलब्ध नर्सिंग होम में छापा मारने का नियम और इसके लिए टीम गठन की नियमावली जोकि राजपत्र में प्रकाशित है उस नियमानुसार टीम का गठन किया जाना परम आवश्यक होता है। छापामार टीम ने कलेक्टर से लेकर सीएमएचओ आदि विभिन्न कार्यालयों के प्रतिनिधियों का शामिल होना आवश्यक होता है, लेकिन छापामारी करने वाले डॉ. अनिल शुक्ला अपने साथ नियमानुसार टीम लेकर नहीं जाते हैं। ऐसे में डॉक्टर अनिल शुक्ला द्वारा अपने साथ किसी संविदाकर्मी को साथ ले जाकर नियम विरुद्ध खुद की लीडरशिप में छापेमारी की अभी तक की गई सभी कार्रवाई अवैध मानी जा सकती है।
डॉक्टर प्रभा पटेरिया के बारे में…..
डॉ. प्रभा पटैरिया रूआबांधा बस्ती भिलाई में आकृति क्लीनिक का संचालन करती हैं। जबकि इससे पहले वो दुर्ग-भिलाई की कई नामी चिकित्सा संस्थान चंदूलाल चंद्राकर मेमोरियल हॉस्पिटल, कोठारी नर्सिंग होम और श्रीशंकराचार्य मेडिकल कॉलेज में भी वर्षों तक अपनी सेवाएं देती रही हैं। डॉ. प्रभा पटैरिया द्वारा संचालित आकृति क्लिनिक के बोर्ड में अपनी योग्यता BSC, BAMS, PGDYN और MHA लिखी है। जिस पर भी डॉक्टर अनिल शुक्ला ने एतराज प्रगट किया। ऐसे में हैरानी की बात ये है कि इतने बड़े-बड़े मेडिकल संस्थानों में वर्षों तक कोई डॉक्टर बिना डिग्री के कैसे अपनी सेवाएं दे सकता हैं।