प्रदेश में अब भाजपा के शासनकाल में ऐसे अफसरों की भी मूल विभागों में वापसी हो रही है जो बरसों तक दूसरे विभागों में रहकर बड़े पदों पर काम करते रहे। इन्होंने माध्यमिक शिक्षा मंडल, व्यापमं, मंत्रालय, नीति आयोग, संचालनालय आदि में अफसरी का सुख भी हासिल किया। पढ़ाने की बजाए, सरकारी गाड़ियों में घूमते रहे। सेवानिवृत्ति की कगार पर पहुंचे तो मूल विभाग याद आया।, ताकि तीन साल और नौकरी कर सकें। उच्च शिक्षा विभाग ने प्रतिनियुक्ति से वापस लौटे प्रोफेसरों को राजधानी में ही प्राचार्य बना दिया गया।
इधर, लगभग चार दर्जन प्रोफेसर प्राचार्य बनने का सपना देखते रह गए। वर्तमान में भी करीब डेढ़ दर्जन प्रोफेसर विभिन्न विभागों में प्रतिनियुक्ति पर हैं। माध्यमिक शिक्षा मंडल में करीब एक दशक तक उप सचिव और सचिव रहे प्रो. वीके गोयल को देवेंद्र नगर कन्या महाविद्यालय में प्राचार्य पदस्थ किया गया है। गोयल 2002 से 2005 तक उप सचिव विद्योचित और फिर 2018 से 24 तक सचिव रहे। राज्य बनने के बाद माशिमं में गोयल और जया तवारिस के साथ विवाद चर्चा में रहे।
माशिमं में गड़बड़ी और एबीवीपी के कार्यकर्ताओं द्वारा तोड़फोड़ इसी का नतीजा था। इसी तरह से डॉ.पंकज मेहता संचालनालय से नवीन महाविद्यालय अटल नगर में प्राचार्य और राज्य नीति आयोग में सहायक प्राध्यापक वत्सला मिश्रा नवीन महाविद्यालय अमलीडीह में पदस्थ की गई हैं। गोयल माशिमं से निकलकर व्यापमं में भी रहे। वहां भी विवादास्पद रहे। अब इनके स्थान पर प्रतिनियुक्ति के लिए अन्य सहायक प्राध्यापक जुट गए हैं।
वैसे आने वाले दिनों में प्रतिनियुक्ति वाले कुछ सहायक प्राध्यापकों के कॉलेज लौटने के संकेत हैं। इनमें संचालनालय में पदस्थ सुलोचना हबलानी, बीपी कश्यप, राज्य नीति आयोग में जे एस विरदी, मंत्रालय में राज लक्ष्मी सेलेट प्रमुख हैं। योगेश चौबे, किरण गजपाल आदि भी प्रतिनियुक्त पर हैं। ये सभी राज्य बनने के बाद से प्रतिनियुक्ति पर ही चल रहे हैं। कश्यप तो भाजपा शासन काल में हुए पीएससी भर्ती घोटाले में आरोपित रहे हैं। उनकी तीन वेतन वृद्धि रोकी गई थी।
कुछ इस तरह करते हैं पूरी प्रक्रिया
उच्च शिक्षा विभाग में तीन वर्ष के अतिरिक्त सेवाकाल का लाभ लेकर लौटने वालों में प्रोफेसर वीके गोयल भी शामिल हैं। 62 वर्ष तक प्रशासकीय पदों पर मंत्रालय, संचालनालय में रहकर बड़े पदों की सरकारी सुविधाएं के बाद अतिरिक्त तीन वर्ष का सेवा लाभ लेने के बाद प्राध्यापक, सहायक प्राध्यापक और प्राचार्य अपने मूल उच्च शिक्षा विभाग लौटते हैं।
जीएडी में सेवानिवृत्त आयु 62 वर्ष और उच्च शिक्षा विभाग में 65 वर्ष है। प्राध्यापक 55-56 वर्ष में सरकारी सुख सुविधाओं का लाभ लेने और हर वर्ष दो वर्ष में तबादले से बचने जोड़तोड़ कर मंत्रालय, संचालनालय और अन्य प्रशासनिक दफ्तरों में पदस्थापना करा लेते हैं।
60-61 के होने तक 8-10 वर्ष तक वहां काम करते हैं फिर 62 वर्ष में मूल विभाग लौट आते हैं। इससे उन्हें तीन वर्ष अतिरिक्त सेवा अवधि का भी लाभ मिल जाता है। वे प्रशासनिक पदों पर कार्य के दौरान वे फर्जी तरीके से एक पीरीयड लेना भी दर्शाते हैं, ताकि मूल विभाग में वापसी में दिक्कत न हो।