भिलाई नगर निगम के अधिकारियों ने एक भू-स्वामी को जमीन का कब्जा दिलाने की जल्दबाजी में अपनी बनाई सड़क को खोद दिया। उस पर तार फेंसिंग करवा दी। जब शिकायत हुई, तो गलती का अहसास होने पर अधिकारियों ने रातों-रात उस तार फेंसिंग को हटाकर नई सड़क बना दिया। अब निगम आयुक्त ने मामले में जांच के निर्देश दिए हैं। दरअसल, मामला भिलाई नगर निगम के जोन-1 के जुनवानी रोड विवेकानंद नगर कोहका भिलाई वार्ड नंबर 7 का है। यहां मस्जिद से कुछ पहले मेन सड़क को जोड़ती हुई निगम की एक डामर रोड है। जो कि विवेकानंद नगर रोड को जोड़ती है।
अतिरिक्त तहसीलदार ने की थी सुनवाई
कबीरधाम जिले की निवासी किरण सिंह ठाकुर ने अतरिक्त तहसील कार्यालय में आवेदन लगाया था कि निगम की सड़क उसकी जमीन पर बनी है। इसलिए उसे उसका कब्जा दिलाया जाए। अतिरिक्त तहसीलदार ने मामले की सुनवाई करते हुए निगम आयुक्त को पत्र लिखा कि खसरा नंबर 1890 का कुछ भाग किरण सिंह के नाम पर है।
मुआवजा या जमीन वापस करने कहा था
उस जमीन पर नगर निगम भिलाई ने पक्की सड़क बना दी है। इस कारण वो उस जमीन पर अपना मकान नहीं बना पा रही है। इसलिए इस प्रकरण को इस प्रपत्र के साथ समाप्त किया जाता है कि आयुक्त नगर पालिक निगम भिलाई और जोन आयुक्त जोन 1 आवेदक की भूमि के संबंध में स्पष्ट निर्णय लें।
यदि आवेदक की भूमि पर नगर निगम ने रोड का निर्माण किया है, तो उस स्थिति में विधिवत मुआवजा राशि प्रदान करें या आवेदक को वापस उसकी भूमि का कब्जा दिलाएं।
पहले सड़क खोदा, फिर रातों-रात बनाई सड़क
इस मामले में निगम के अपर आयुक्त और जोन 1 के आयुक्त ने बिना निगम आयुक्त के निर्देश और राजस्व अधिकारी की अनुमति के उस सड़क पर बुलडोजर चला दिया। सड़क उखाड़कर वहां आवेदिका को कब्जा दिलाया। इसके बाद रातों-रात फिर से कब्जा हटाकर वहां नई डामर की सड़क बनाई गई।
निगम अधिनियम का किया गया उल्लंघन
निगम के नेता प्रतिपक्ष भेजराज सिन्हा का कहना है कि, नगर निगम के अधिकारियों ने रोड को खोद दिया। जब उसकी शिकायत हुई तो उसे फिर से बना दिया। ऐसा कर ना सिर्फ उन्होंने जनता का पैसा बर्बाद किया है, बल्कि निगम अधिनियम की अवहेलना की है।
निगम अधिनियम 1956 की धारा 317 के तहत जब कोई ऐसा प्रकरण आता है, तो पहले उसे निगम की सामान्य सभा में रखा जाता है। इसके बाद उसे बहुमत से पास कर राज्य शासन को स्वीकृति के लिए भेजा जाता है। क्योंकि वह निर्माण राज्य शासन के मद से बना है, इसलिए शासन की अनुमति जरूरी है।
निगम के अधिकारियों ने बिना किसी डर भय के निगम अधिनियम को ठेंगा दिखाते हुए पहले तो सड़क को उखाड़ा और फिर लाखों रुपए खर्च कर उस सड़क को बनाया। इसके लिए उन पर कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए।
जांच के बाद होगी कार्रवाई- निगम आयुक्त
इस मामले में निगम आयुक्त देवेश ध्रुव का कहना है कि, उनके संज्ञान में ऐसा प्रकरण आया है। जोन आयुक्त ने पहले सड़क को उखाड़ा फिर बना दिया है। सड़क को दोबारा किस मद से बनाया गया और उखाड़ने से पहले किसकी परमीशन ली गई, इसकी जांच की जाएगी। उसके बाद जो भी दोषी होगा, उसके खिलाफ नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी।