छत्तीसगढ़ में स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी और डॉक्टरों की लापरवाही को लेकर हाईकोर्ट ने सख्ती दिखाई है, लेकिन हाईकोर्ट के आदेश की आड़ में स्वास्थ्य विभाग ने मीडिया के कार्यों पर हस्तक्षेप करते हुए सरकारी अस्पतालों में मरीजों की फोटो और वीडियोग्राफी पर ही प्रतिबंध लगा दिया है।
इस जनहित याचिका पर हाईकोर्ट के आदेश और निजता के अधिकार के नाम पर फोटो और वीडियोग्राफी पर रोक लगाने के लिए स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को आदेश जारी किया गया है। इस केस में शुक्रवार को हेल्थ सेक्रेटरी सहित स्वास्थ्य विभाग के अफसरों को शपथपत्र के साथ जवाब देना है।
प्रसव पीड़ा से कराह रही थी महिला
दरअसल, अंबिकापुर जिले के नवानगर उपस्वास्थ्य केंद्र में बीते 8 जून को डॉक्टर और नर्स गायब थे। इस दौरान प्रसव पीड़ा से कराहती महिला को परिजन अस्पताल लेकर पहुंचे थे। इस दौरान मितानिन ने डॉक्टर व नर्स को फोन लगाया, लेकिन उन्होंने फोन भी रिसीव नहीं किया।
इधर, दर्द से तड़प रही महिला को देखकर मितानिन ने फर्श पर लिटाकर प्रसव कराया।
हाईकोर्ट ने कहा- वायरल वीडियो पर रोक लगाएं, शासन ने फोटो-वीडियो पर लगाया प्रतिबंध
इस याचिका की सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस रमेश कुमार सिन्हा ने स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख सचिव, स्वास्थ्य संचालक, CMHO, सिविल सर्जन सहित समाज कल्याण विभाग को शपथपत्र के साथ जवाब प्रस्तुत करने के आदेश दिए हैं। यह भी निर्देशित किया था कि जिम्मेदार अफसर यह सुनिश्चित करें कि डिलीवरी के संबंध में जो वीडियो सोशल मीडिया में वायरल हो रहा है, उसे रोका जाए।
आदेश के परिपालन में स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव मनोज कुमार पिंगुआ ने चिकित्सा शिक्षा विभाग के आयुक्त, स्वास्थ्य संचालक, सभी मेडिकल कॉलेज के डीन, CMHO और सिविल सर्जन को आदेश दिया है कि सरकारी अस्पतालों में इलाज कराने वाले मरीजों की फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी नहीं कराया जाए।
इस तरह के फोटो-वीडियो वायरल करना संबंधित मरीज के निजता के अधिकार का उल्लंघन है। लिहाजा, सरकारी अस्पतालों में इलाज कराने वाले मरीजों का फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी नहीं कराया जाए।
लापरवाही पर हाईकोर्ट ने दिखाई है सख्ती
इस मामले की सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस की डिवीजन बेंच ने कहा कि यदि उपरोक्त स्थिति उप स्वास्थ्य केंद्र की है तो यह बहुत ही खेदजनक स्थिति है। राज्य सरकार दूरदराज के इलाकों में रहने वाली जनता को चिकित्सा सुविधाएं प्रदान करने के लिए भारी मात्रा में धन खर्च कर रही है।
स्वास्थ्य केंद्रों के प्रबंधन करने के लिए जिम्मेदार अधिकारी और कर्मचारी स्वयं अनुपस्थित हैं। वह भी तब जब उनकी सबसे ज्यादा जरूरत है। लापरवाह अफसरों और कर्मचारियों के खिलाफ कड़े कदम उठाने की जरूरत है।
कोर्ट ने यह भी कहा कि लोगों को चिकित्सा सुविधा का लाभ देने के लिए जिम्मेदारों के खिलाफ कड़े कदम उठाए जाने चाहिए। राज्य शासन की तरफ से अतिरिक्त महाधिवक्ता ने बताया कि प्रकरण में संबंधित चिकित्सा अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई की गई है। साथ ही जांच के आदेश भी दिए गए हैं।
पक्षकारों को आज देना है जवाब
इस मामले की शुक्रवार को सुनवाई होगी। इस दौरान हेल्थ विभाग के चीफ सेक्रेटरी, स्वास्थ्य संचालक, सरगुजा कलेक्टर, CMHO, जिला अस्पताल के सिविल सर्जन और BMO को जवाब प्रस्तुत करना है।