CGPSC भर्ती घोटाला… CBI ने जब्त किए दस्तावेज:सिलेक्टेड कैंडिडेट्स की आंसर-शीट, इंटरव्यू पैनल के डॉक्यूमेंट की होगी फॉरेंसिक जांच; फिर करेगी पूछताछ….!!

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छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग (CGPSC) की भर्ती में गड़बड़ी और भ्रष्टाचार के आरोप में CBI ने अपनी जांच शुरू कर दी है। आयोग से CBI ने कुछ दस्तावेज लेकर उन्हें फॉरेंसिक जांच के लिए भेजा है। अफसरों के मुताबिक, इसकी रिपोर्ट आने के बाद बयान लिए जाएंगे और आगे कार्रवाई होगी। दरअसल, CBI अफसर पिछले दिनों CGPSC के दफ्तर पहुंचे थे। वहां से उन्होंने 2020 और 2021 के डिप्टी कलेक्टर-डीएसपी की भर्ती परीक्षा में चयनित विवादित उम्मीदवारों के दस्तावेज और अभ्यर्थियों का इंटरव्यू लेने वाले पैनल सदस्यों की रिपोर्ट ली है।

मोबाइल की भी होगी जांच

आयोग के अध्यक्ष, सचिव, सदस्य, पैनल के सदस्य और विवादित कैंडीडेट्स के मोबाइल की जांच भी CBI कराएगी। मोबाइल की जांच के दौरान पांच साल का तकनीकी रिकॉर्ड अफसरों का खंगाला जाएगा। तकनीकी रिकॉर्ड में कॉल डिटेल, गूगल लोकेशन से लेकर वॉट्सऐप चैट
तक खंगाले जाने की तैयारी है।

25 अप्रैल को CBI जांच का नोटिफिकेशन

पीएससी घोटाले की सीबीआई जांच के लिए 25 अप्रैल को अधिसूचना जारी की गई थी। छत्तीसगढ़ गृह विभाग से जांच की स्वीकृति मिलने के बाद यह नोटिफिकेशन केंद्रीय गृह मंत्रालय ने जारी किया था। 25 अप्रैल को जारी अधिसूचना में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने बालोद जिले के अर्जुंदा थाना में दर्ज FIR को क्लब करते हुए जांच करने का निर्देश CBI अफसरों को दिया था।

पूर्व चेयरमैन समेत इनके खिलाफ नामजद FIR

FIR में आयोग के पूर्व चेयरमैन टामन सोनवानी, पूर्व सचिव जीवन किशोर ध्रुव, परीक्षा नियंत्रक सहित अन्य अफसरों और नेताओं का नाम है। 15 फरवरी को बालोद के एक अभ्यर्थी ने अर्जुंदा थाने में लिखित में शिकायत दी थी। अभ्यर्थी 2021 में PSC की परीक्षा शामिल हुआ था।

अभ्यर्थी ने अपनी शिकायत में बताया था कि, वह ​प्रिलिम्स और मेंस पास होने के बाद इंटरव्यू तक पहुंचा। उसका इंटरव्यू भी अच्छा गया, लेकिन चयन नहीं हुआ। जबकि कुछ लोग इंटरव्यू से तुरंत निकल गए। इसके बाद भी उनका चयन हो गया।

2021 में विज्ञापन हुआ था जारी

CGPSC ने 19 अलग-अलग विभागों के 210 पदों के लिए 2021 में भर्ती विज्ञापन जारी किया था। 2022 में आयोग ने परीक्षा पूरी की थी। 210 पदों में आयोग ने 625 अभ्यर्थियों को इंटरव्यू के लिए चयनित किया था। इंटरव्यू की प्रक्रिया पूरी करने के बाद आयोग ने अंतरिम सूची जारी की, तो अभ्यर्थियों ने विरोध करना शुरू कर दिया।

कांग्रेस सरकार में भी शिकायत की गई थी, लेकिन तब कह दिया गया था कि, जिसे आपत्ति है वो कोर्ट जा सकता है। सरकार ने एक्शन से इनकार कर दिया था। इसके बाद भाजपा ने आंदोलन किया और सरकार आने पर CBI जांच कराने तक की बात कही थी। प्रदेश में विधानसभा चुनाव जीतने के बाद साय मंत्रिमंडल का गठन हुआ और सीबीआई जांच की अनुशंसा की गई।

क्या कहते हैं एक्सपर्ट

शिक्षाविद् डॉ. जवाहर सूरी शेट्टी कहते हैं, CGPSC की परीक्षाओं पर कई‌ सवाल खड़े‌ हो रहे हैं। इसे बेहतर बनाने के लिए अध्यक्ष और आयोग के सदस्यों के चयन में राजनीति नहीं होनी चाहिए। ऐसे लोगों की नियुक्ति की जानी चाहिए जो निष्पक्ष हों और राजनीतिक गतिविधियों से उनका कोई सरोकार ना हो।

  • PSC की परीक्षा जो तीन चरणों में होती है। पहले दो चरणों में प्रारंभिक और मुख्य परीक्षाओं के लिए UPSC का पैटर्न अपनाना चाहिए।
  • इस पैटर्न में तीन पेपर बनाए जाते हैं। छापने के लिए गोपनीय जगह भेजी जाती है। उन तीनों में कौन सा पेपर दिया जाएगा, यह अध्यक्ष के अलावा किसी और को पता नहीं होता। इस तरह की चीजों से गोपनीयता बनी रहेगी।
  • छात्रों में यह विश्वास बना रहे कि मेरिट के आधार पर चयन हो रहा है। अगर ये कॉन्फिडेंस अभ्यर्थियों में होगा, तभी राज्य को अच्छे अफसर भी मिलेंगे राज्य के लिए और हमारी गुणवत्ता भी बनी रहेगी।

पहली बार इलेक्शन में रहा बड़ा मुद्दा

बीजेपी ने सत्ता में आने पर इस पीएससी मामले की जांच कराने और दोषियों पर कड़ी कार्यवाही करने का वादा किया था। वहीं पूर्व मंत्री ननकीराम कंवर ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका लगाई थी। फिलहाल मामला विचाराधीन है। छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव के दौरान पीएससी भर्ती में घोटला बड़ा मुद्दा बना था।

बीजेपी ने इस मुद्दे को सड़क से लेकर सदन तक उठाया। CM हाउस का घेराव किया गया था। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने आरोप पत्र जारी किया तो उसमें भी प्रमुखता से उल्लेख किया गया था। इससे पहले भाजयुमो के राष्ट्रीय अध्यक्ष तेजस्वी सूर्या ने भी राजधानी में हुई हुंकार रैली में PSC का मुद्दा जोर-शोर से उठाया था।

भाजपा के आरोपों पर कांग्रेस ने भी जारी की थी लिस्ट

इस मामले में भाजपा जब सरकार के खिलाफ आक्रामक रुख अपनाने लगी तो कांग्रेस ने भी एक लिस्ट जारी कर दी। इसमें बताया गया है कि भाजपा शासनकाल में भी भाई-भतीजावाद चलता रहा। उसने लिस्ट में उन लोगों के नाम लिखे, जिनका सिलेक्शन हुआ और वे किसी अधिकारी के रिश्तेदार थे। ये लिस्ट कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता सुशील आनंद शुक्ला ने जारी की थी।

कांग्रेस का दावा है कि अधिकारियों के बच्चों के अलावा कई सगे भाई-बहनों का चयन भी एक साथ PSC में हुआ है। सबसे ज्यादा ऐसे अभ्यर्थियों की संख्या PSC 2008 में रही है, जिसमें चयनित अभ्यर्थी सगे भाई या बहन हैं। ​​

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