खूब नहा कर आज भगवान भी हुए बीमार, होंगे क्वारंटीन : देव स्नान पूर्णिमा से भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा का उत्सव शुरू…!!

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भगवान जगन्नाथ आज यानि देव स्नान पूर्णिमा को खूब नहाकर और भक्तों के बीच रहकर बीमार हो गए हैं। भगवान के संक्रमण का शिकार उनके परिवार के लोग ना हों इसके लिए उन्हें 14 दिन तक अलग कक्ष में रखकर क्वारंटीन किया जाएगा। अब भगवान सीधे 14 दिन बाद यानि 5 जुलाई को अपने भक्तों को दर्शन देंगे। जेष्ठ की पूर्णिमा से हर साल भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा का उत्सव शुरू गया है। मिनी इंडिया कहे जाने वाले भिलाई के जो लोग पुरी स्थित भगवान जगन्नाथ स्वामी के मंदिर नहीं जा पाते हैं वो सेक्टर 4 और सेक्टर 6 स्थित श्रीजगन्नाथ मंदिर में भगवान के दर्शन करते हैं। यहां भगवान को पूरे विधि विधान, मंत्रोचार और संगीतमय कीर्तन के साथ स्नान कराया गया। यहां भक्त वो सारी परंपरा को देख पाते हैं जो पुरी के श्री जगन्नाथ स्मामी मंदिर में होती है।

आज स्नान मंडप में भगवान जगन्नाथ को स्नान कराने के बाद आज से यह उत्सव शुरू हो गया। कहा जाता है कि कलियुग में भगवान जगन्नाथ ने धरती पर मानव रूप में अवतार लिया था। इसलिए देव पूर्णिमा के दिन वो हर साल स्नान के बाद बीमार पड़ जाते हैं। मंदिर में भगवान के बीमार पड़ने के बाद उनकी सेवा की जाती है। उन्हें दवा भी खिलाई जाती है।

आज देव स्नान पूर्णिमा के दिन सेक्टर 4 और सेक्टर 6 के श्रीजगन्नाथ मंदिर में जगन्नाथ पुरी की परंपरा के अनुसार भगवान जगन्नाथ को स्नान कराया गया। सेक्टर4 मंदिर समिति के महासचिव सत्यवान नायक ने बताया कि भगवान अपने भाई बलदाऊ और बहन सुभद्रा के संग महाप्रभु ने सुगंधित जल से खूब स्नान किया और स्नान के बाद भगवान ने गजवेष में भक्तों को दर्शन भी दिए। इससे पहले मृदंग, मंजीरे और ताशे और घंटो की मधुर आवाज के बीच महाप्रभु को विजय पोहंडी करते हुए श्रीमंदिर से स्नान मंडप तक लाया गया।

14 दिनों तक भगवान रहेंगे क्वारंटीन

कोरोना संक्रमण के बाद लोगों को क्वारंटीन होने के असली मतलब समझ आया और उन्हें 14 दिन तक क्वारंटीन रखकर काढ़ा पिलाकर ठीक किया गया। वहीं सनातन धर्म की बात करें तो आदिकाल में जब भगवान बीमार हुए तो उन्हें 14 दिन के लिए क्वारंटीन किया गया था। साथ परिवार को संक्रमण से बचाने के लिए उन्हें अलग कमरे में रखकर काढ़ा पिलाकर ठीक किया जाता है। यह परंपरा आदिकाल से आज भी चली आ रही है। अब महाप्रभु सीधे 5 जुलाई को भक्तों को दर्शन देंगे। इस दौरान मंदिर में घंटे भी नहीं बजाए जाएंगे और महाप्रभु पेट के बल उल्टे ही लेटे रहेंगे।

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