छत्तीसगढ़ में आदिवासी बच्चों की घुड़सवारी ‘जंप’:पहली बार नक्सल प्रभावित जिले में हॉर्स राइडिंग ट्रेनिंग; नेशनल-ओलंपिक के लिए किया जा रहा तैयार…!!

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‘घोड़े पर बैठना, चलाना तो सीख चुका हूं। फिलहाल जंप, स्टंट की ट्रेनिंग कर रहा हूं। मुझे खुद पर भरोसा है कि कुछ दिनों के अंदर मैं बेहतर ढंग से घुड़सवारी सीख जाऊंगा। पहले नेशनल और फिर ओलंपिक खेलने जरूर जाऊंगा।’

यह कहना है, पनेड़ा गांव के जितेंद्र वेक का। वह जावंगा एजुकेशन सिटी स्थित आस्था विद्यालय में कक्षा 9वीं का छात्र है। जितेंद्र बताता है कि, 2 महीने पहले पता चला कि एजुकेशन सिटी में घुड़सवारी सिखाई जाएगी। इसके बाद पता लगाया और फिर रजिस्ट्रेशन करवा लिया। अब हर दिन सुबह और शाम घुड़सवारी के गुर सीखने के लिए आता हूं।

ये कहानी, सिर्फ जितेंद्र की नहीं है, बल्कि ऐसे बहुत से आदिवासी बच्चे हैं, जो छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में घुड़सवारी सीख रहे हैं। इन बच्चों को नेशनल और ओलंपिक के लिए ट्रेंड किया जा रहा है। बड़ी बात यह है कि, ये राज्य का पहला आदिवासी और नक्सल प्रभावित जिला है, जहां बच्चों को हॉर्स राइडिंग सिखाई जा रही है।

दंतेवाड़ा जिला प्रशासन ने हॉर्स राइडिंग सिखाने वाली रायपुर की एक संस्था से टाई-अप किया है। संस्था ने 10 से 12 विदेशी नस्ल के घोड़ों के साथ 2 ट्रेनर विजेता चौधरी और रूपल सिंह गोगादेव को दंतेवाड़ा भेजा है। जो 50 से ज्यादा बच्चों को सुबह-शाम मुफ्त ट्रेनिंग दे रहे हैं।

एजुकेशन सिटी में बनाया गया एरिना

एजुकेशन सिटी में एरिना यानी हॉर्स राइडिंग का मैदान बनाया गया है। इस मैदान में ही शुरुआती ट्रेनिंग और बेसिक जानकारी दी जा रही है। घोड़े पर शेडल , स्टेरफ बेल्ट लगाना और उतारना, फिर घोड़े पर चढ़ना सिखाया जाता है। यहां बेसिक ट्रेनिंग लेने के बाद जो सबसे बेहतर हो उन्हें पास के ही आस्था गुरुकुल मैदान में भेजा जाता है। जहां स्टंट सिखाया सिखाया जाता है।

दमदार हैं बच्चे,15 अगस्त को करेंगे हॉर्स शो

बच्चों को हॉर्स राइडिंग की ट्रेनिंग देने वाले विजेता चौधरी बताते हैं कि, जिले के आदिवासी बच्चे बहुत स्ट्रांग हैं। घुड़सवारी करना हर किसी के बस में नहीं होता। इन्हें बस मार्गदर्शन देना पड़ता है, ये मन से सीख रहे हैं। फिलहाल थोरो और हेनिवेरियन विदेशी नस्ल के घोड़ों से इन्हें ट्रेनिंग दी जा रही है। ये घोड़े दौड़ने और स्टंट के लिए होते हैं। जब बच्चों का इसमें हाथ जम जाएगा तो और दूसरे नस्ल के घोड़े लाए जाएंगे।

कुछ बच्चे बहुत जल्द ही स्टंट करने लगे हैं। इस 15 अगस्त तक हमारी कोशिश है कि करीब 15 से 20 बच्चों को तैयार कर हॉर्स शो दिखाएंगे। उसके बाद सितंबर में मध्य प्रदेश में होने वाले इवेंट और अगले साल दिल्ली में होने वाले हॉर्स शो में भी यहां के बच्चों को भेजेंगे।

बड़े शहरों में लगती है बड़ी रकम
ट्रेनर ने बताया कि, यदि हॉर्स राइडिंग सीखने के लिए बच्चे बेंगलुरु, मुंबई, पुणे, दिल्ली या फिर राजस्थान जाएं तो सिर्फ मंथली फीस ही 50 से 60 हजार रुपए होती है। यदि अपनी पसंद के घोड़े चुने और उसी पर सवार होकर हॉर्स राइडिंग सीखना चाहें तो एक राइड यानी एक दिन में 2 से 3 घंटे के प्रशिक्षण के ही 4 से 5 हजार रुपए लगते हैं। इसके अलावा अन्य इक्यिपमेंट्स में और पैसे खर्च होते हैं। यह काफी महंगा स्पोर्ट्स है।

बेसिक के बाद एडवांस सीखेंगे बच्चे
जावंगा एजुकेशन सिटी एकलव्य खेल परिसर के अधीक्षक रजनीश ओसवाल ने कहा कि, एजुकेशन सिटी के बच्चे हॉर्स राइडिंग सीख रहे हैं। जिसमें आस्था स्कूल, एकलव्य खेल परिसर, सक्षम, कस्तूरबा, नव गुरुकुल के बच्चे शामिल हैं। 2 स्लॉट में इन्हें ट्रेनिंग दी जा रही है। बेसिक के बाद टेन पेकिंग, हडल्स समेत अन्य तरह के स्टंट सीखेंगे।

कलेक्टर बोले- स्पोर्ट्स से जोड़ रहे
ये एक ऐसा स्पोर्ट्स है जो कॉन्फिडेंस बिल्डिंग के लिए भी हेल्पफुल साबित होता है। यहां के बच्चों के लिए ये नया स्पोर्ट्स है। खास बात है कि जिले के आदिवासी बच्चों में बाहर के अन्य बच्चों की अपेक्षा नेचुरल स्टेमना ज्यादा होता है। किसी भी चीज को सीखने की ललक भी इन्हें बहुत अच्छी होती है। हमारी कोशिश है कि इस हॉर्स राइडिंग प्रोजेक्ट को हम लंबे समय तक चलाएं, ताकि यहां के बच्चे नेशनल और उससे आगे खेलने जा सकें।

क्या है जावंगा एजुकेशन सिटी?
दरअसल, कुछ साल पहले दंतेवाड़ा के गीदम के जावंगा गांव में एजुकेशन सिटी बनाई गई है। यहां नक्सल प्रभावित क्षेत्र के बच्चे, नक्सल पीड़ित, अनाथ बच्चों के लिए आस्था स्कूल, दिव्यांग बच्चों के लिए सक्षम, पॉलिटेक्निक कॉलेज, एकलव्य खेल परिसर, कस्तूरबा गांधी कन्या स्कूल, कन्या हायर सेकेंडरी स्कूल खोले गए हैं।

एजुकेशन सिटी परिसर में कुल 17 संस्थाएं संचालित हैं। जहां हिंदी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं में नर्सरी से लेकर टेक्निकल एजुकेशन तक की सुविधा है। यह छत्तीसगढ़ और बस्तर संभाग का पहला एजुकेशन हब है, जहां एक ही परिसर में स्कूल से लेकर कॉलेज तक खोले गए हैं।

देश में इसे एक मॉडल की तरह लिया गया था, जिसके बाद बाकी जिलों में भी एजुकेशन सिटी बनाई गई। पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत देश की कई हस्तियां इस एजुकेशन सिटी का विजिट कर चुकी हैं।

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