शहर के परिसीमन को लेकर बड़ा विवाद शुरू हो गया है। नगर निगम की राजनीति भी गरमा गई है। भाजपा पार्षद इसे वार्डों में विसंगति दूर करने के लिए जरूरी बता रहे हैं तो महापौर और उनकी एमआईसी इस पर कई सवाल उठा रही है। कांग्रेसी पार्षदों का कहना है कि पांच साल के भीतर दूसरी बार परिसीमन की जरूरत क्यों है? राज्य शासन के आदेश में परिसीमन के लिए 2011 की जनगणना को आधार बनाया जाता है, जबकि इस दौरान रायपुर की कई जनसंख्या बहुत ज्यादा बढ़ गई है।
सोमवार को महापौर परिषद की बैठक में करीब दो घंटे तक इसी मुद्दे पर बात होती रही। लगातार बहस के बाद फैसला लिया गया कि भाजपा और कांग्रेस के सात-सात सदस्यों की एक संयुक्त टीम इसकी आवश्यकता की जांच करेगी। एक-दो दिन में परिसीमन से जुड़े निगम अफसर इसकी सभी जानकारी पार्षदों को देंगे। इसके बाद ही परिसीमन को लेकर कांग्रेस पार्षद अपना स्टैंड लेंगे।
प्रदेश में कांग्रेस की सत्ता आने पर 2019 में कांग्रेस सरकार ने वार्डों का परिसीमन कराया था। परिसीमन की वजह से कुछ वार्ड पूरी तरह खत्म हो गए थे और कुछ नए वार्ड बने थे। उस वक्त भी हर वार्ड की जनसंख्या औसतन 17 से 18 हजार के बीच रखने की कोशिश की गई थी। इस बार परिसीमन में जनसंख्या क्या रहेगी इसे भी स्पष्ट नहीं किया गया है। इस वजह से इस फैसले का पुरजोर विरोध हो रहा है।
मेयर का चुनाव सीधे जनता करेगी इसलिए भी परिसीमन पर दे रहे जोर
प्रदेश में भाजपा की सरकार आने के बाद महापौर के चुनाव को प्रत्यक्ष तरीके से कराने पर जोर दिया जा रहा है। भाजपा के बड़े नेताओं ने इस ओर इशारा भी कर दिया है। मेयर का चुनाव प्रत्यक्ष तरीके से होने पर पार्षदों की संख्या बल का बहुत अधिक महत्व नहीं रह जाता। केवल सामान्य सभा में प्रस्ताव पास करने के लिए मेयर को बहुमत की आवश्यकता रहती है।
इसी बीच राज्य शासन के परिसीमन के आदेश के बाद से ही यह चर्चा शुरू हो गई है कि भाजपा सरकार निगमों में मेयर का चुनाव अप्रत्यक्ष तरीके से कराएगी। कांग्रेस इसी फार्मूले से 2019 के चुनाव में रायपुर समेत दस नगर निगमों में कांग्रेस महापौर बैठाने में सफल हुई थी। चुनाव में कांग्रेस के 34 और भाजपा के 29 और सात निर्दलीय पार्षद चुनकर निगम में पहुंचे थे। कांग्रेस ने एजाज ढेबर को अपना उम्मीदवार बनाया और उन्हें मेयर के इलेक्शन में 41 पार्षदों का समर्थन मिला था।
2019 में बड़ी गड़बड़ियां, सुधारना जरूरी
भाजपा पार्षद प्रवक्ता मृत्युंजय दुबे ने आरोप लगाया है कि 2019 के परिसीमन में बड़ी गड़बड़ियां की गईं थी। कांग्रेस वार्डों को जानबूझकर छोटा कर मतदाताओं को केंद्रित किया गया। मदर टेरेसा वार्ड में केवल 6 से 7 हजार और सुंदरलाल शर्मा वार्ड में 16 से 17 हजार मतदाता रखे गए। कामरेड सुधीर मुखर्जी वार्ड को खत्म कर मतदाताओं को सुंदरलाल शर्मा वार्ड में जोड़ा गया।
चौड़ीकरण, धरने पर बैठेगी कांग्रेस
एमआईसी की बैठक में शारदा चौक से तात्यापारा तक चौड़ीकरण नहीं होने पर बड़े आंदोलन का निर्णय लिया गया। इसके साथ ही बैठक में ई-बसों को लेकर भी चर्चा हुई। अफसरों ने जानकारी दी कि केंद्र सरकार ने इसका टेंडर जारी कर दिया है। जुलाई में टेंडर खुल जाएगा और सितंबर तक 100 ई-बसें रायपुर पहुंच जाएंगी। सभी रायपुर शहर में चलेंगी। बस स्टैंड और रेलवे स्टेशन से आने-जाने वाले लोगों को इससे बड़ी राहत मिलेगी।
पहले देखेंगे फिर करेंगे विरोध : मेयर
परिसीमन का अभी से विरोध नहीं करना चाहते। पहले देखेंगे कि परिसीमन से वार्डों की विसंगति दूर हो रही है या नहीं। परिसीमन से कांग्रेस पार्षदों के मतदाता प्रभावित होंगे या गैर जरूरी तरीके से वोटर काटे गए तो कड़ा विरोध करेंगे।
एजाज ढेबर, महापौर रायपुर
परिसीमन से विसंगतियां दूर की जाएंगी
कई वार्डों के कुछ हिस्से दूसरे वार्डों में चले गए हैं। इसलिए उन क्षेत्रों में काम की मंजूरी नहीं मिलती। लोग सुविधाओं से वंचित रह जाते हैं। एक क्षेत्र का पूरा इलाका एक वार्ड में ही होना चाहिए। परिसीमन से यह विसंगतियां दूर होंगी।
मीनल चौबे, नेता प्रतिपक्ष