प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ग्रीन हाइड्रोजन मिशन रफ्तार पकड़ता जा रहा है। फिलहाल देश के कई इलाकों में ग्रीन हाइड्रोजन का उत्पादन तो शुरू हो गया है, लेकिन अत्यंत ज्वलनशील और कीमत ज्यादा होने की वजह से लोग इसके उपयोग से कतरा रहे हैं। आईआईटी भिलाई ने इसका भी विकल्प तलाश लिया है। सीएनजी (कम्प्रेस्ड नेचुरल गैस) के साथ 15 प्रतिशत ग्रीन हाइड्रोजन को मिलाकर उपयोग करने में प्रायोगिक तौर पर सफलता हासिल कर ली है। अब इसे बड़े पैमाने पर उपयोग में लाने की तैयारी चल रही है। आईआईटी भिलाई के रसायन विभाग के सह प्राध्यापक डॉ. संजीब बनर्जी ने बताया कि मध्यप्रदेश सहित अन्य राज्यों में सीएनजी का चलन है।
दुर्ग, रायपुर, बिलासपुर, कोरबा में सीएनजी स्टेशन खुल रहे हैं। हाइड्रोजन की तुलना में सीएनजी कम ज्वलनशील होती है, इसलिए 85 प्रतिशत सीएनजी में 15 प्रतिशत हाइड्रोजन मिलाकर वाहनों और उद्योगों में उपयोग किया जा सकता है। धीरे-धीरे इसकी मात्रा बढ़ाई जा सकती है। सीएनजी से गाड़ी चलाने पर उसका माइलेज पेट्रोल की तुलना में अधिक होता है। इसमें हाइड्रोजन मिलाने पर माइलेज 20 से 25 किमी बढ़ सकता है।
पेट्रोल की तुलना में यह मिश्रण सस्ता या बराबर ही पड़ेगा। सुरक्षा की दृष्टि से इसे खतरनाक भी नहीं माना जाएगा। हालांकि ग्रीन हाइड्रोजन मिशन का लक्ष्य 2030 रखा गया है, लेकिन दोनों गैसों के मिश्रण से काफी पहले इसको हासिल किया जा सकेगा।
आईआईटी के डायरेक्टर प्रोफेसर राजीव प्रकाश ने बताया कि उद्योगपतियों को ग्रीन हाइड्रोजन के उपयोग के तरीके, उससे होने वाले फायदे बताए जाएंगे, ताकि वे बेखौफ होकर उपयोग कर सके। उन्हें बताया जाएगा कि भविष्य का ईंधन अब हाइड्रोजन ही है। उम्मीद है जल्द ही उद्योगों में इसका उपयोग बड़े पैमाने पर हो सकेगा।
हाइड्रोजन को सस्ता करने का प्रयास
यह इस तरह रहेगा कि फ्यूल सेल के रूप में कार में ही हाईड्रोजन पैदा कर सकेगा। वहीं, जरूरत के हिसाब से कारखानों में भी बड़ी-छोटी यूनिट बनाकर लगाई जा सकेंगी। हाइड्रोजन अभी 300 रुपए किलो यानी पेट्रोल से तीन गुना महंगी है।
आईआईटी की टीम आने वाले दिनों में नए प्रयोग कर रही है जिससे ग्रीन हाइड्रोजन के दाम 100-150 रुपए किलो तक पहुंच सकते है। एक लीटर पेट्रोल से जितनी गाड़ी चलती है, उससे कई किलोमीटर ज्यादा आधा लीटर हाइड्रोजन से चल जाएगी। मोदी सरकार के राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन का लक्ष्य 2030 तक 5 मिलियन टन का उत्पादन करना है।
पहले सिलेंडर देंगे, फिर खुद हाइड्रोजन बनाने वाला इलेक्ट्रोलाइजर
बनर्जी ने बताया कि पहले कार और अन्य सीएनजी से चलने वाले वाहनों में सीएनजी के साथ हाइड्रोजन एनर्जी का उपयोग किया जाएगा। जब इसका उपयोग बढ़ जाएगा तो वाहनों और उद्योगों में इलेक्ट्रोलाइर (हाइड्रोजन एनर्जी प्रोड्यूस करने वाला यंत्र) उपलब्ध कराया जाएगा, जिससे वाहनों में ही पानी का विघटन करके हाइड्रोजन एनर्जी पैदा की जा सकेगी। इसी प्रकार उद्योगों में भी खुद ही हाइड्रोजन का उत्पादन करेंगे और उपयोग करेंगे।
कई महीनों तक प्रयोग: हाइड्रोजन मिलाने से इंजन की क्षमता बढ़ गई
आईआईटी एक्सपर्ट ने लैब में कार के इंजन में इसका प्रयोग किया। पहले इंजन में सीएनजी के साथ बहुत कम मात्रा में हाइड्रोजन डाली गई। धीरे-धीरे इसकी मात्रा बढ़ाकर 15 प्रतिशत तक कर दी गई। यह प्रयोग कई महीनों तक चला। उपकरणों की मदद से जांच की गई तो इसमें कोई खतरा नजर नहीं आया। बल्कि हाइड्रोजन डालने के बाद इंजन चलने की क्षमता काफी बढ़ चुकी थी। एक्सपर्ट के अनुसार भविष्य में 50-50 सीएनजी और हाइड्रोजन उपयोग किया जा सकेगा।
प्रायोगिक सफलता मिली, पर्यावरण अनुकूल
ग्रीन एनर्जी के रूप में हाइड्रोजन एनर्जी एक बड़ा विकल्प है। इसके उपयोग से पर्यावरण को कोई नुकसान नहीं होगा। इसके उपयोग वाहनों में कैसे किया जाए। इस पर आईआईटी के एक्सपर्ट लगातार शोध कर रहे हैं। प्रायोगिक तौर पर बड़ी सफलता मिली।
-प्रो. राजीव प्रकाश, डायरेक्टर आईआईटी भिलाई