वाराणसी में ज्ञानवापी सर्वे की रिपोर्ट जमा करने के लिए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण यानी ASI ने कोर्ट से 15 दिन का वक्त मांगा है। ASI की तरफ से दाखिल इस एप्लिकेशन पर वाराणसी कोर्ट में शुक्रवार दोपहर सुनवाई की।
कोर्ट में जिला जज अजय कृष्ण विश्वेश ने ASI की अप्लीकेशन देखी और मौजूद अधिकारी को भी सुना। ASI के वकील ने बताया कि रिपोर्ट तैयार हो रही है लेकिन कुछ तकनीकी बिंदुओं को पूरा करने के लिए अदालत से 15 दिन समय की गुहार करते हैं। जिला जज ने कहा कि कल 18 अक्टूबर को एक्सटेंशन अप्लीकेशन पर सुनवाई करेंगे।
जीपीआर प्रिंट से अटकी ASI स्टडी रिपोर्ट
ASI की ओर से बताया गया कि जीपीआर (ग्राउंड पेनिट्रेटिंग रडार) की हैदराबाद लैब से प्रिंट रिपोर्ट नहीं मिल सकी है। इसको तैयार किया जा रहा है, कुछ अधिक समय लग सकता है इसलिए 15 दिनों का और वक्त मांगा गया है। दरअसल, कोर्ट ने ASI को 17 नवंबर को ज्ञानवापी सर्वे की रिपोर्ट सीलबंद लिफाफे में सौंपने का आदेश दिया था।
ASI ने 100 से ज्यादा दिन तक ज्ञानवापी परिसर का सर्वे किया। सर्वे के दौरान खंडित मूर्तियां, घड़ा, चिह्न जैसे 250 अवशेष मिले थे। इन्हें डीएम की निगरानी में लॉकर में जमा कराया गया था। इन सभी अवशेषों को भी कोर्ट में रखा जाना है।
केंद्र सरकार के स्पेशल गवार्निंग काउंसिल अमित श्रीवास्तव ने कहा कि अभी सर्वे की रिपोर्ट तैयार नहीं हो सकी है। इसलिए 15 दिन का अतिरिक्त समय कोर्ट से मांगा है।
ज्ञानवापी के वजूखाने को छोड़कर सर्वे का दिया था आदेश
ASI सर्वेक्षण की मांग को लेकर 16 मई को याचिका दायर की गई थी। इसे दायर करने वाली चार महिलाओं की अगुआई वकील विष्णु शंकर जैन की थी। हिन्दू पक्ष के वकील ने वहां हिन्दू मंदिर के प्रतीक चिह्न मिलने का दावा किया था। इसके बाद वाराणसी के जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश की कोर्ट ने 21 जुलाई 2023 को ज्ञानवापी परिसर के सील वजूखाने को छोड़कर बाकी सभी हिस्से और तहखानों के सर्वे का आदेश दिया था।
3 दिन बाद यानी 24 जुलाई को ASI की टीम ने सर्वे शुरू कर दिया था। हालांकि, मुस्लिम पक्ष यानी अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमिटी सर्वे के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया। इसके बाद उसी दिन यानी 24 की शाम को सुप्रीम कोर्ट ने सर्वे पर रोक लगा दी थी।
इसके बाद इलाहाबाद हाईकोर्ट और फिर सुप्रीम कोर्ट से ज्ञानवापी सर्वे की मंजूरी मिली। 4 अगस्त से ASI के देशभर से आए विशेषज्ञों ने सर्वे शुरू किया। 4 अगस्त से जारी सर्वे 16 नवंबर को पूरा हो गया। वाराणसी कोर्ट ने शुरुआत में सर्वे के लिए 28 दिन का वक्त दिया था। हालांकि, उसके बाद 3 बार ASI की मांग पर कोर्ट ने सर्वे का वक्त बढ़ाया।
5 पॉइंट्स पर रोक लगाने की अदालत से की गई थी मांग
- न्यायालय ने आदेश के बाद अब तक वजूस्थल को छोड़कर संपूर्ण परिसर के सर्वे के लिए ASI को कोई रिट जारी नहीं किया।
- प्रतिवादी को भी सर्वे की कोई लिखित या मौखिक सूचना नहीं दी गई। इसलिए प्रतिवादी की सहमति तक सर्वे रोका जाए।
- वादियों ने ASI के सर्वे के लिए होने वाले व्यय को भी अग्रिम धनराशि के रूप में जमा नहीं कराया, जबकि मांग करने के बाद यह अनिवार्य था, जो नियमावली का उल्लंघन है।
- वादीगणों को ASI के लिए पैरवी करने का भी कोई आदेश नहीं दिया गया। हालांकि, कोर्ट ने इन सभी को खारिज कर दिया।
- मुस्लिम पक्ष की ओर से ज्ञानवापी सर्वे में मीडिया कवरेज को लेकर रोक लगाने की मांग की गई थी। जिसे कोर्ट ने स्वीकार कर मीडिया कवरेज पर रोक लगा दी थी।
ASI की रिपोर्ट में इन सवालों के मिलेंगे जवाब
- क्या मस्जिद का निर्माण पहले से मौजूद मंदिर की संरचना के ऊपर किया गया है?
- ज्ञानवापी मस्जिद की पश्चिमी दीवार की उम्र और प्रकृति?
- मस्जिद के तीन गुंबदों और उसके नीचे के हिस्से की प्रकृति?
- इमारत की उम्र, निर्माण और दीवारों पर मौजूद कलाकृतियों की उम्र और प्रकृति का निर्धारण?
- मस्जिद के विभिन्न हिस्सों और संरचना के नीचे मौजूद ऐतिहासिक, धार्मिक महत्व की कलाकृतियां और अन्य वस्तुएं क्या हैं?
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