पूर्व डीजीपी ने थानेदारों को अपने स्तर पर एक्शन प्लान बनाकर दुर्घटनाओं को रोकने के लिए कहा था। इसके बावजूद थानेदारों ने कोई पहल नहीं की। ट्रैफिक पुलिस के स्तर पर ही कुछ काम हुए हैं। राज्य स्तरीय लीड एजेंसी द्वारा बड़ी घटनाओं के बाद मौके पर जाकर निरीक्षण किया जाता है।
जो भी कारण सामने आते हैं, उसे दूर करने के लिए संबंधित एजेंसियों को लिखा जाता है। मुख्य सचिव और परिवहन सचिव द्वारा समय-समय पर इसकी मॉनिटरिंग भी की जाती है।
जहां हादसा हुआ वो भी डेंजर जोन वाले थाना क्षेत्र में
सबसे अधिक हादसे होने वाले जिलों में रायपुर व बिलासपुर शामिल थे। इनमें 8-8 थाने ऐसे हैं, जहां आए दिन सड़क दुर्घटनाएं होती हैं और इन्हें रोकने की जरूरत है। इसके अलावा दुर्ग के 5, राजनांदगांव व कांकेर के 3-3 थानों के नाम दर्ज थे।
- रायपुर: धरसींवा, तेलीबांधा, मंदिर हसौद,डीडी नगर, टिकरापारा, खमतराई, कोतवाली, गुढ़ियारी।
- बिलासपुर: हिर्री, कोटा, सीपत, मस्तूरी, रतनपुर, सकरी, तखतपुर, सिरगिट्टी।
- दुर्ग: सुपेला,पाटन,अमलेश्वर,मोहन नगर,पुलगांव।
- राजनांदगांव: राजनांदगांव बसंतपुर,बोरतलाब।
- कांकेर: कांकेर, कोरर, नरहरपुर।
थानों को 7 बिंदुओं का टास्क था
- ओवरलोड वाहनों की जांच। माल वाहकों पर सवारी बिठाने पर रोक। तेज रफ्तार व बिना बीमा की गाड़ी चलाने पर कार्रवाई।
- भीड़ वाले स्थानों पर रोड किनारे दुकान लगाने वालों पर प्रतिबंध। सार्वजनिक स्थानों पर यातायात सुरक्षा संबंधी प्रदर्शन करना।
- आवारा पशुओं पर नियंत्रण, ब्लैक स्पॉट चिह्नित करना। हाट-बाजार, स्कूल-कॉलेज के पास के लोगों से चर्चा करना।
ट्रैफिक पुलिस कर रही काम, खराब सड़कों के चलते भी हादसे
एक्शन प्लान नहीं आया पर ट्रैफिक पुलिस ने अपने स्तर पर काफी काम किया है। उन सभी थाना क्षेत्रों पर नजर रखी जा रहा है। सड़क हादसे की एक वजह खराब सड़कें भी हैं जिसे सुधारना निहायत ही जरूरी है। –संजय शर्मा, एआईजी, अध्यक्ष, सड़क सुरक्षा