छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले में छठ पर्व की तैयारी लगभग पूरी हो गई है। इसका विशेष महत्व भिलाई शहर में देखने को मिलता है। छठ पूजा को देखते हुए भिलाई नगर निगम ने यहां के सभी तालाबों की साफ-सफाई के साथ ही लाइटिंग की व्यवस्था भी कर दी है। लोगों ने तालाब घाट पर वेदी भी तैयार कर ली है। व्रती महिलाएं आज रविवार शाम को अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देंगी।
छठ व्रती राजेश्वरी सिंह ने बताया कि छठ मइया की पूजा हर साल कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को होती है। चतुर्थी तिथि को नहाय-खाय के साथ छठ पूजा की शुरुआत होती है। नहाय खाय के अगले दिन खरना की पूजा होती है। इसके बाद से ही 36 घंटे का कठिन व्रत शुरू हो जाता है। छठ का पहला अर्घ्य षष्ठी तिथि को दिया जाता है। यह अर्घ्य डूबते हुए सूर्य को दिया जाता है।
जल में दूध मिलाकर तालाब के पानी में जाकर सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। मान्यता है कि ऐसा करने से आंखों की रोशनी बढ़ती है, आयु लम्बी होती है और आर्थिक लाभ भी होता है।
नई वेदी बनाने का काम पूरा, अब होगी पूजा
शहर के तालाबों में छठ को लेकर चहल-पहल शुरू हो गई है। शनिवार को छठ पूजा के लिए लोगों ने तालाब के किनारे वेदियां बनाने के साथ ही उसमें रंग-रोगन किया। जिससे छठ के दिन तालाब किनारे बैठने के लिए जगह सुरक्षित हो सके।
निगम प्रशासन लगा है व्यवस्था में
भिलाई नगर निगम के कमिश्नर रोहित व्यास ने सभी जोन कमिश्नरों को छठ तालाबों की साफ-सफाई और अन्य व्यवस्था करने के निर्देश दिए हैं। उसके बाद से सभी जोन आयुक्त ने सफाई कर्मियों को वहां लगा दिया है। सेक्टर 2 के तालाब में सफाई के बाद अब साफ पानी भी भरा जा रहा है। मिनी इंडिया भिलाई में छठ पर्व सबसे ज्यादा उत्साह के साथ मनाया जाता है। शहर के 12 से ज्यादा तालाबों में छठ पर्व की धूम रहेगी। यहां यूपी और बिहार के साथ-साथ छत्तीसगढ़ के लोग भी मिलकर छठ मनाएंगे।