हाईकोर्ट ने कहा:सड़कों पर मवेशी, पंचायतें अपनी ड्यूटी नहीं निभा रहीं

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रायपुर/बिलासपुर। सड़कों पर मवेशियों की वजह से हो रही परेशानियों को लेकर जनहित याचिकाओं पर सोमवार को चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस रवींद्र कुमार अग्रवाल की बेंच में सुनवाई हुई। इस दौरान सीजे सिन्हा ने कहा कि बरसात शुरू होते ही सड़कों पर मवेशी नजर आने लगे हैं। यह शहर ही नहीं, पूरे प्रदेश की समस्या है। अब यह गंभीर हो चुकी है। इसे संयुक्त प्रयास से ही समाधान किया जा सकता है। प्रदेश की सड़कों पर मवेशियों के जमघट से होने वाली होने वाली परेशानियों को लेकर वर्ष 2019 में जनहित याचिकाएं लगाई गई थीं। तब से लेकर अब तक हाई कोर्ट ने कई बार दिशा- निर्देश जारी किए हैं, लेकिन समस्या जस की तस बनी हुई है। चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा की बेंच ने मार्च 2024 में सुनवाई करते हुए राज्य सरकार, एनएचएआई से जवाब मांगा था।

सोमवार को सुनवाई के दौरान एडवोकेट अमित सोनी ने रायपुर में हुई घटना की जानकारी देते हुए बताया कि सड़कों पर बैठी गायों को तेज रफ्तार ट्रक ने कुचल दिया, जिसमें 4 गायों की मौत हो गई। हाई कोर्ट ने अखबार में छपी खबर का जिक्र करते हुए कहा कि अंडरब्रिज में मवेशी बैठे रहते हैं। हाई कोर्ट ने सुनवाई के दौरान राज्य सरकार, एनएचएआई और नगरीय निकायों के अधिवक्ताओं से समस्या दूर करने पर सुझाव मांगें, लेकिन किसी ने कोई जवाब नहीं दिया। एडवोकेट पलाश तिवारी ने अपने लैपटॉप पर चकरभाठा मोड़ से लेकर हाई कोर्ट भवन के सामने सड़क पर बैठे मवेशियों का वीडियो दिखाया। इस पर सीजे सिन्हा ने कहा कि पूरे शहर का यही हाल है। बरसात शुरू होते ही समस्या बहुत ज्यादा बढ़ गई है। सीजे ने कहा कि संयुक्त प्रयास से ही समस्या दूर की जा सकती है।

एनएचएआई की तरफ से पैरवी कर रहे एडवोकेट धीरज वानखेड़े ने कहा कि महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश में यह समस्या कम है। वहां लोगों में जागरूकता है। साथ ही दूध आय का साधन होने के कारण भी ग्रामीण अपने घरों में ही रखते हैं। सीजे ने इस दौरान कुछ तल्ख टिप्पणी भी की। दरअसल, सुनवाई के दौरान बताया गया कि खेतों में धान लगने के बाद किसान मवेशियों को खेतों की तरफ जाने नहीं देते। इस वजह से वे सड़कों की तरफ आती हैं। इस पर सीजे ने कहा कि शहर से बाहर निकलते ही सड़कों पर मवेशी नजर आने लगते हैं।

हर जगह किसी को नियुक्त नहीं किया जा सकता, लेकिन पंचायतें भी अपनी ड्यूटी नहीं निभा रही हैं। हर कोई अपनी सीट बचाने में लगा है, बहुत अजीबोगरीब स्थिति बन गई है। इस समस्या को कोई आदेश देकर दूर नहीं किया जा सकता।

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