रायपुर। स्टेडिमय में 2015 में ही हॉकी वर्ल्ड लीग मैच का आयोजन किया गया था। इसके बाद से आज तक यहां पर एक भी मैच का आयोजन नहीं किया गया है। स्टेडियम के उद्घाटन के बाद भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच तीन मैचों की टेस्ट सीरीज खेली गई थी। वर्ल्ड हॉकी लीग में 8 टीमों के बीच मुकाबला हुआ था। इसमें भारत, बेल्जियम, नीदरलैंड, जर्मनी, अर्जेंटीना, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और ब्रिटेन की टीम यहां आई थी। मेंटेनेंस का पैसा मांगने के लिए हमने इसे अनुपूरक बजट में शामिल किया है। इससे पहले तक इसके मेंटेनेंस के लिए टेंडर क्यों नहीं हो सका, इसकी जानकारी मैं नहीं दे सकती हूं। मैं अभी आई हूं, अब मेंटेनेंस के लिए हमने इसे अनुपूरक में डाला है। -तनुजा सलाम, संचालक, खेल एवं युवा कल्याण विभाग
स्टेडियम बनाने वाली कंपनी का तीन वर्ष तक टेंडर था। समय सीमा समाप्त होने के बाद कंपनी ने इसे खेल विभाग को हैंडओवर कर दिया। अब मेंटेनेंस की जिम्मेदारी खेल विभाग की है। पूरी प्रक्रिया टेंडर के जरिए होनी है, लेकिन विभाग ने टेंडर तक नहीं निकाला। टेंडर नहीं होने की वजह से मेंटेनेंस पूरी तरह से बंद है। सूत्रों का कहना है कि लापरवाही की वजह से ही यहां की कुर्सियां टूटने लगी हैं। टर्फ में सुबह शाम पानी देने वाला तक नहीं है। ग्राउंड के अगल-बगल घास उग गई है। जिम्मेदार ध्यान नहीं देते हैं।
राजधानी में 2015 में बने सरदार वल्लभ भाई पटेल अंतरराष्ट्रीय हॉकी स्टेडियम का हाल बेहाल है। इस स्टेडियम का निर्माण 18 करोड़ रुपए की लागत से किया गया है। लेकिन देखरेख के अभाव में यह स्टेडियम बदहाली की भेंट चढ़ गया है।
खेल विभाग के पास इसके देखरेख की जिम्मेदारी है। खेल विभाग का कार्यालय भी इसी स्टेडियम से लगा हुआ है, बावजूद इसके इस स्टेडियम का मेंटेनेंस नहीं किया जा रहा है। निर्माण के वक्त इस हॉकी स्टेडियम के मेंटेनेंस की जिम्मेदारी एजेंसी को दी गई थी। तीन साल बाद ही इसका टेंडर खत्म हो गया था। इसके बाद से ही टेंडर नहीं किया गया था। उस वक्त से खेल विभाग द्वारा इसका देरखेख किया जा रहा है। लेकिन खेल विभाग द्वारा इसके मेंटेनेंस के बाद भी इस स्टेडियम की स्थिति ठीक होने के बजाय लगातार खराब होते जा रही है।
अब खेल विभाग का कहना है कि इसके मेंटेनेंस के लिए अनुपूरक में डाला गया है। इसके बाद इसका मेंटेनेंस कराया जाएगा। खेल विभाग के कार्यालय से लगे हुए इस स्टेडियम में कुर्सियां खराब क्वालिटी की लगाई गई थी, यह दावा यहां काम करने वाले कर्मचारी और अधिकारी भी करते हैं। उनका कहना है कि धूप और बारिश के बाद इन कुर्सियों की हालत और खराब हो गई और सब टूट गए हैं।