भिलाई। क्या आपका बच्चा बेहद चंचल है? एक जगह पर नहीं बैठता। सवाल को पूरा सुने बिना ही उसका जवाब दे देता है या फिर बहुत अधिक बोलता है। बात-बात में गुस्सा होता है? यह सभी लक्षण बच्चों में अटेंशन डेफिसिट हाइपर एक्टिव डिसऑर्डर (एडीएसडी) की ओर इशारा करते हैं। बच्चे में स्वाभाविक चंचलता और एडीएसडी का फर्क समझाने दुनिया के शीर्ष दो फीसदी वैज्ञानिकों की सूची में शामिल भिलाई के डॉ. एजाजुद्दीन और उनकी टीम ने सेंसर बेस्ड विशेष उपकरण तैयार किया है, जो बच्चों की मूवमेंट को परखकर उनमें एडीएसडी की समस्या का तत्काल पता लगा सकेगा।
7 साल की रिसर्च के बाद अब इस प्रोजेक्ट को भारत सरकार ने यूटिलिटी पेटेंट जारी कर दिया है। ये रिसर्च भिलाई के रूंगटा आर-1 कॉलेज ऑफ फार्मास्यूटिकल साइंस एंड रिसर्च में पूरी की गई है। इसमें खुलासा किया गया है कि यदि बच्चा एडीएसडी से ग्रसित है, तो उसका इलाज तुरंत ही शुरू किया जाना चाहिए।
क्या है एडीएसडी
बच्चे स्कूल या ट्यूशन के काम में या अन्य गतिविधियों को नजरअंदाज करते हैं और लापरवाह गलतियां करते हैं। उन्हें खेल या बातचीत, व्याख्यान या लंबे समय तक पढ़ने के दौरान ध्यान बनाए रखने में कठिनाई होती है। सीधी बात करने पर भी वो सुनते नहीं हैं। कोई काम शुरू तो कर सकते हैं पर जल्दी ही उससे उनका ध्यान हट जाता है या फिर वो काम छोड़ देते हैं। जल्दबाजी करते हुए स्कूली सामान जैसे पेंसिल, किताबें, अन्य उपकरण, पर्स, चाबियां, कागज चश्मा जैसी चीजें बार-बार खो देते हैं।
नाइपर का भी मिला सहयोग
इस ऐतिहासिक रिसर्च में रूंगटा आर-1 कॉलेज के साथ नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फार्मास्यूटिकल साइंस एंड रिसर्च गुवाहाटी (नाइपर) के प्रोफेसर डॉ. अमित एलेक्जेंडर ने भी सहयोग किया है। इसके साथ एसवीकेएम संस्थान धुले के प्रोफेसर डॉ. कार्तिक नखाते ने भी अपने एक्सपर्टिज से इस तकनीक को विकसित करने में मदद की है।
कैसे काम करेगी नई तकनीक
डॉ. एजाजुद्दीन ने बताया कि इस तकनीक में सीसीटीवी, मोशन सेंसर्स, प्राक्सिमिटी सहित दर्जनभर सेंसर्स का इस्तेमाल हुआ है। बच्चे को किसी एक कमरे में निर्धारित समय के लिए बैठाया जाता है। अब यह डिवाइस बच्चे के बोलने, उठने बैठने, चलने, बॉडी मूवमेंट जैसे 100 से अधिक पैरामीटर्स को टैली करता है और एक ग्राफ बताता है। इस तकनीक से मिलने वाले नतीजों को और पुख्ता करने के लिए इलेक्ट्रो इनसैकलेग्राफी टेस्ट किया जाएगा। यह टेस्ट बिना किसी दर्द के बच्चे के मस्तिष्क में चल रही एक्टिविटीज बताएगा। दोनों टेस्ट के बाद नतीजे असामान्य आते हैं तो इसे एडीएसडी श्रेणी में रखेंगे।
हायपरएटिवी इंपल्सिविटी के लक्षण
ऐसे बच्चे अक्सर बैठे-बैठे हिलते डुलते और फुदकते रहते हैं। कक्षा में अपनी सीट छोड़ देना तब भी जब बैठना जरूरी हो। पूरा समय दौड़ना, इधर-उधर भागना, यहां वहां चढ़ना। दोस्तों के साथ खेलते हुए अपनी बारी का इंतजार न करना। छोटी-छोटी बात पर झगड़ा करने लगना जैसे सैकड़ों लक्षण दिखेंगे जो पैरेंट्स नजरअंदाज नहीं कर पाएंगे।