भिलाई। प्रदेश में स्वास्थ्य सुविधा को हाइटेक और सुगम बनाने की प्लानिंग की जा रही है। इसमें दूरदराज के गांवों, खासतौर पर जहां अस्पताल मेडिकल न हो, ऐसे क्षेत्रों में छोटे दवा कंटेनरों का उपयोग, ड्रोन टैक्सी तकनीक, स्वास्थ्य सेवा एप जैसी तकनीकों का उपयोग कैसे किया जा सकता है, इस पर चर्चा की गई।
प्रदेश में लोगों को दी जा रही स्वास्थ्य सुविधाओं के भविष्य को लेकर आईआईटी भिलाई में सेमीनार का आयोजन किया गया। जहां मुख्य अतिथि स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण तथा चिकित्सा शिक्षा मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल ने कहा कि स्वास्थ्य एक आजीवन चिंता का विषय है। सच्चा स्वास्थ्य केवल बीमारियों का इलाज करना नहीं है, बल्कि उन्हें पूरी तरह से रोकना है। उन्होंने प्रस्ताव दिया कि युवा पीढ़ी को शादी से पहले आनुवांशिक अनुकूलता पर भी विचार करना चाहिए, जिसका उद्देश्य सिकल सेल एनीमिया जैसी बीमारियों को पूरी तरह से खत्म करना है। उन्होंने बताया कि रायपुर और बिलासपुर में 700 बेड के अस्पतालों के साथ-साथ बस्तर और सरगुजा में सुपर-स्पेशिलिटी अस्पतालों के निर्माण की योजना शामिल है।
आईआईटी भिलाई इनोवेशन एंड टेक्नोलॉजी से स्वास्थ्य सुविधा बढ़ाने पर दिया जोर छत्तीसगढ़ में हेल्थकेयर इनोवेशन सत्र की शुरुआत करते हुए आईआईटी भिलाई इनोवेशन एंड टेक्नोलॉजी फाउंडेशन के सीईओ प्रशांत माथुर ने आयोजन के उद्देश्य को बताया। आईआईटी के निदेशक प्रो. राजीव प्रकाश ने गांवों और दूरदराज के क्षेत्रों में छोटे दवा कंटेनरों को पहुंचाने के लिए ड्रोन टैक्सी तकनीक में प्रगति के साथ-साथ स्वास्थ्य सेवा एप तकनीक के विकास पर जोर दिया। आईआईएम रायपुर के निदेशक प्रो रामकुमार काकानी, प्रो. अनुराग मैराल, ग्लोबल आउटरिच प्रोग्राम के निदेशक, स्टैनफोर्ड बायर सेंटर फॉर बायोडिजाइन, स्टैनफोर्ड बायोडिजाइन की पूर्व छात्रा डॉ. मेघा अग्रवाल ने कहा कि छत्तीसगढ़ हेल्थकेयर इनोवेशन के साथ हम सब मिलकर काम करेंगे।