दूर हुए ताऊ-भतीजे के गिले-शिकवे 10 साल बाद एक हुए पति और पत्नी

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दुर्ग। राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण के निर्देश पर शनिवार को साल की दूसरी नेशनल लोक अदालत का आयोजन किया गया, जहां कुल 11 हजार 974 प्रकरणों का निराकरण हुआ। साथ ही समझौते की कुल राशि 31.54 करोड़ रुपए से अधिक रही। यहां वर्षों के विवाद का निपटारा चंद मिनटों में हो गया। सगे बड़े पिताजी और भतीजा के बीच मारपीट होने के कारण आपराधिक प्रकरण न्यायालय में लंबित था। न्यायमूर्ति छग उच्च न्यायालय बिलासपुर एनके चंद्रवंशी की समझाइश पर दोनों पक्ष राजीनामा के लिए तैयार हो गया। भतीजे ने बड़े पिताजी का पैर छूकर आशीर्वाद लिया तो उन्होंने भी भतीजे को प्यार से गले लगा लिया। एक टूटा हुआ परिवार फिर से एक होकर हंसी-खुशी अपने घर लौट गया। दूसरे में मामले में बीमार व अशक्त वृद्ध पिता को घर में अकेले छोड़कर अपने-अपने ससुराल में रहने वाले उनके दोनों बेटे को पिता के गुजर-बसर के लिए हर महीने 1000-1000 रुपए देने का फैसला सुनाया। ऐसे ही एक प्रकरण में एक बेटा अपनी वृद्ध मां को 4000 रुपए हर महीने देने राजी हुआ। पति से रूठकर मायके में रहने वाली पत्नी को समझाया तो वह पुरानी बातों को भूलकर साथ रहकर दाम्पत्य जीवन व्यतीत करने को तैयार हो गई। दोनों अपनी पुत्री के साथ राजीखुशी घर लौटे।

11974 मामले निराकृत हुए, अवार्ड राशि 31.54 रुपए रही: नेशनल लोक अदालत में कुल 37 खण्डपीठ का गठन किया गया। इस साल की द्वितीय नेशनल लोक अदालत में कुल 9428 न्यायालयीन प्रकरण एवं कुल 101546 प्री-लिटिगेशन प्रकरण निराकृत हुए, जिनमें कुल समझौता राशि 31 करोड़ 54 लाख 43 हजार 693 रुपए रहा। इसी कम में लंबित निराकृत हुए प्रकरण में 384 दाण्डिक प्रकरण, स्थायी लोक अदालत (जनोपयोगी सेवाएं) दुर्ग के कुल 1051 मामले निराकृत हुए।

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