रायपुर। राजधानी के 70 वार्डों का नए सिरे से परिसीमन करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। जल्द ही इसका प्रकाशन कर दावा-आपत्ति आमंत्रित की जाएगी। इसी के साथ शहर में निगम चुनाव को लेकर हलचल भी बढ़ने लगी है। यह तय माना जा रहा है कि भाजपा सरकार रायपुर समेत सभी निगमों में महापौर का चुनाव प्रत्यक्ष तरीके से कराएगी। यानी मतदाता पार्षद के साथ महापौर के लिए भी वोट करेंगे।
अब महापौर की उम्मीदवारी को लेकर भी नेताओं ने खींचतान शुरू हो गई है। इस बार महापौर पद का आरक्षण लॉटरी सिस्टम से तय होगा। इसमें सामान्य की पर्ची भी रहेगी। क्योंकि वार्डों का परिसीमन नए सिरे से हो रहा है। परिसीमन नहीं होता तो लॉटरी से सामान्य की पर्ची हटा दी जाती। राजधानी रायपुर में पिछले 2 चुनावों से महापौर की सीट सामान्य कोटे में जा रही है। इसकी वजह परिसीमन ही है। इस बार फिर आरक्षण की लॉटरी में सामान्य की पर्ची रहेगी।
कई वार्डों का भूगोल बदलेगा
2019 में परिसीमन के बाद 2024 में फिर से परिसीमन कराया जा रहा है। इस कारण पांच साल में ही वार्डों का भूगोल फिर से बदल जाएगा। कई वार्डों की जनसंख्या भी इधर से उधर हो जाएगी। इस स्थिति में वार्डों का भी फिर से आरक्षण किया जाएगा। एससी, एसटी और सामान्य के साथ ही 33 प्रतिशत वार्डों को महिलाओं के लिए आरक्षित किया जाएगा। महापौर का भी नए सिरे से आरक्षण होगा।
3 चुनाव में 2 सामान्य, 1 महिला
नगर निगम रायपुर के पिछले तीन चुनाव में रायपुर महापौर का पद सामान्य रहा है। परिसीमन के बाद 2009 में हुए चुनाव में रायपुर महापौर का पद अनारक्षित महिला के लिए रिजर्व किया गया था। उस समय कांग्रेस से किरणमयी नायक और भाजपा से प्रभा दुबे के बीच मुकाबला हुआ। इसमें किरणमयी जीतीं। 2014 में सीट सामान्य हुई। उस समय कांग्रेस से प्रमोद दुबे और भाजपा से सच्चिदानंद उपासने के बीच मुकाबला हुआ। प्रमोद दुबे जीते।
^ परिसीमन होने के कारण आरक्षण लॉटरी के आधार पर तय होता है। रायपुर समेत राज्य के सभी नगर निगमों में महापौर का पद इसी आधार पर आरक्षित किए जाएंगे। पर्ची के लिए रोटेशन सिस्टम लागू नहीं होगा।
डा. सुशील त्रिवेदी, निर्वाचन विश्लेषक-संविधान विशेषज्ञ