छत्तीसगढ़ के भिलाई के इंडस्ट्रियल एरिया में स्थित शिवम हाइटेक नाम की फैक्ट्री में गुरुवार को भीषण आग लग गई। फैक्ट्री के अंदर बड़ी मात्रा में टाइटेनियम धातु रखा था। आग तब तक नहीं बुझी जब तक की पूरा टाइटेनियम जल नहीं गया। इस दौरान दमकल की गाड़ियां जितना पानी मार रही थी, आग उतनी तेजी से भड़क रही थी।
भिलाई में स्थित शिवम हाइटेक नाम की फैक्ट्री के अंदर टाइटेनियम का स्क्रैप गलाने का काम किया जाता है। गुरुवार दोपहर 12 बजे के करीब अचानक शॉर्ट सर्किट से आग लग गई। टाइटेनियम में आग पकड़ने से आग इतनी तेजी से फैली की कोई बुझा नहीं पाया। इसके बाद तुरंत जामुल थाने में घटना की सूचना दी गई।
सूचना मिलते ही पुलिस ने दुर्ग से दमकल की गाड़ियों को बुलाया गया। चार दमकल की गाड़ियां आग बुझाने के लिए पहुंची, लेकिन जब उन्हें पता चला कि आग टाइटेनियम धातु में लगी है तो वो लोग पीछे हट गए। जिला सेनानी और अग्निशमन अधिकारी नागेंद्र सिंह ने अपनी टीम को निर्देश दिया कि वो फैक्ट्री की दीवार और जहां टाइटेनियम नहीं है, वहां के हिस्से को आग लगने से बचाएं।
इसके बाद फायर ब्रिगड की टीम 8 गाड़ी पानी से फैक्ट्री के सेफ जोन को पानी से बचाती रही और दोपहर 3 बजे तक आग तब तक जलती रही, जब तक की पूरा टाइटेनियम अपने आप जलकर समाप्त नहीं हो गया।
विदेश से मंगाया जाता है टाइटेनियम का स्क्रैप
जानकारी के मुताबिक शिवम हाइटेक फैक्ट्री का संचालक चाइना, जापान और अमेरिका से टाइटेनियम धातु का स्क्रैप इंपोर्ट करता है। इसके बाद इसे अपनी फैक्ट्री में लाकर विशेष प्रकार की भट्ठी के अंदर उसे गलाकर फिर से नया रूप देता है। इसके बाद यहां से तैयार माल भिलाई स्टील प्लांट को सप्लाई किया जाता है।
फैक्ट्री संचालक की लापरवाही आई सामने
इस आग लगने की घटना में फैक्ट्री संचालक की लापरवाही सामने आई है। अग्निशमन अधिकारी ने बताया कि टाइटेनियम ऐसा धातु है कि यदि उसमें आग लगती है तो उसे बुझाने के लिए डोलोमाइट और टीईसी जैसे महंगे पाउडर और केमिकल का उयोग किया जाता है। यदि टाइटेनियम की आग में पानी या फोम मारेंगे तो आग और तेजी से भड़कती है। फैक्ट्री में आग बुझाने के लिए विशेष केमिकल और पाउडर नहीं रखा गया था, इससे आग नहीं बुझ पाई।
दूसरी बार ऐसी घटना, सो रहा उद्योग सुरक्षा विभाग
शिवम हाइट में इससे पहले भी जनवरी माह में आग लग चुकी है। 6 महीने में ये दूसरी घटना है। उस समय भी आग से फैक्ट्री संचालक का करोड़ों रुपए का नुकसान हुआ था और फैक्ट्री में आग बुझाने के लिए विशेष केमिकल नहीं रखा गया था। इसके बाद भी उद्योग सुरक्षा विभाग ने फिर से उन्हें क्लीन चिट दे दी। जब इस बारे में उद्योग सुरक्षा अधिकारी आशुतोष पाण्डेय को फोन लगाया गया तो उन्होंने फोन नहीं उठाया।