देश के लिए क्यों जरूरी है आर्थिक सर्वे, आज सदन में हुआ पेश

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नई दिल्‍ली। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण बजट पेश करेंगी। इससे पहले सदन में आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट पेश किया गया। पहले आर्थिक सर्वेक्षण यानी इकोनॉमिक सर्वे बजट का ही हिस्सा था, लेकिन अब इसे एक दिन पूर्व पेश किया जाता है। आर्थिक सर्वेक्षण एक तरह से देश का आर्थिक लेखा-जोखा होता है, जो यह बताता कि देश ने पिछले वित्तीय वर्ष में आर्थिक मोर्चे पर कैसा प्रदर्शन किया है। कौन से सेक्टर में ग्रोथ हासिल की है और वे कौन की आर्थिक चुनौतियां है, जो देश की प्रगति की राह में रोड़ा बन रही है।

क्या है इकोनॉमिक सर्वे

इकोनॉमिक सर्वे एक तरह से किसी भी सरकार का रिपोर्ट कार्ड है। इसमें अर्थव्यवस्था के तमाम पहलुओं को शामिल किया जाता है, जिसमें व्यापार, रोजगार, जीडीपी और महंगाई जैसे आंकड़ों को रखा जाता है। इन आंकड़ों का विश्लेषण कर आगामी नीतियों पर भी विचार किया जाता है। आर्थिक सर्वे में इन बातों पर भी गौर किया जाता है कि पिछले वित्तीय वर्ष में वे कौन सी चुनौतियां रहीं है, जिसने प्रगति पर असर डाला है। इस सर्वे में इन सभी चुनौतियाें का विश्लेषण और उन्हें दूर करने के लिए उठाए जा रहे कदमों पर चर्चा की जाती है। साथ ही विभिन्न सेक्टरों जैसे कृषि, मेन्यूफेक्चरिंग की प्रगति पर भी बात की जाती है।

1964 से बदली परंपरा

देश का पहला आर्थिक सर्वे साल 1950-51 में पेश हुआ था। उस दौरान बजट के साथ ही सर्वे पेश किया गया, लेकिन 1964 मे परंपरा को दला गया और बजट से एक दिन पूर्व आर्थिक सर्वे पेश करने की शुरुआत की गई। इस बार की इकोनॉमिक सर्वे रिपोर्ट मुख्य आर्थिक सलाहकार वी अनंत नागेश्वरन की अगुवाई वाली टीम द्वारा तैयार की गई है। फरवरी में पेश हुए अंतरिम बजट में इस रिपोर्ट को नहीं रखा गया था, उस वक्त अर्थव्यवस्था की जानकारी दी गई थी।

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