रायपुर । अमलीडीह में नहर की जमीन पर कब्जा कर प्लाटिंग कर दी गई है। इस संबंध में तहसीलदार ने पत्र लिखा, इसके बाद भी कलेक्टर ने भी रिपोर्ट भेजी, लेकिन नगर निगम ने कोई कार्रवाई नहीं की। इसे लेकर लगाई गई जनहित याचिका पर हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस रवींद्र कुमार अग्रवाल ने मुख्य सचिव को शपथ पत्र के साथ जवाब देने के निर्देश दिए हैं। इस मामले में अब 12 सितंबर को सुनवाई होगी। छत्तीसगढ़ अधिकार आंदोलन समिति ने एडवोकेट बदरुद्दीन खान के जरिए हाई कोर्ट में जनहित याचिका लगाई है, इसमें बताया है कि अमलीडीह में स्थित नहर की जमीन वर्ष 2006 में रायपुर नगर निगम को सौंप दी गई थी। तब इस नहर की चौड़ाई 40 फीट थी। नहर की करीब 35 फीट जमीन पर कुछ बिल्डरों ने कब्जा कर दीवार बना ली। इससे पानी निकासी के लिए अब सिर्फ 5 फीट जगह बची है। इसके साथ ही अमलीडीह में ही एक नाले के करीब 17 हजार वर्गफीट जमीन को पाटकर बिल्डरों ने निर्माण कर लिया। इसके अलावा नहर की जमीन पर अन्य लोगों ने भी मकान बना लिए हैं। इस संबंध में नगर निगम और कलेक्टर से शिकायत की गई, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई।
तीन बिल्डर बनाए गए हैं पक्षकार
जनहित याचिका में बिल्डर अमृतपाल बिंद्रा, संजय सुंदरानी और संतोष जैन को भी पक्षकार बनाया गया है। उन्हें हाई कोर्ट ने नोटिस भेजा था, लेकिन इसके बाद भी सरकारी जमीन कब्जा कर बेच दी गई।