छत्‍तीसगढ़ में कोल और शराब से भी बड़ा घोटाला आया सामने, लीकर का काम करने वाला सिंडीकेट इस स्‍कैम में भी शामिल

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रायपुर। छत्‍तीसगढ़ में कोल और शराब घोटाले की परत दर परत खुलती जा रही हैं। दूसरी ओर 4,500 करोड़ रुपये का रेत रॉयल्टी घोटाला हाथ से फिसलता हुआ दिखाई दे रहा है। इसकी अब तक न जांच हुई न कोई कार्रवाई। प्रदेश में करीब 250 खदानें हैं। प्रत्येक रेत खदान से आठ महीने में एक लाख घनमीटर (आठ हजार हाइवा) रेत निकालने की अनुमति दी गई है। एक हाइवा रेत से सरकार को 1,500 रुपये (रॉयल्टी 750 और 750 रुपये लोडिंग) मिलता है। वैध-अवैध प्रत्येक रेत खदानों से एक दिन में खनिज विभाग की मिलीभगत से प्रति खदान 100 हाइवा अतिरिक्त रेत निकाली जा रही है। इससे सिर्फ आठ महीने की अवधि में एक रेत खदान से लगभग तीन करोड़, 60 लाख का रॉयल्टी घोटाला सामने आ रहा है। एक वर्ष में 250 खदानों से नौ अरब का घोटाला हो रहा है। वहीं, पिछले पांच वर्षों में लगभग 4,500 करोड़ रुपये का रेत का अवैध कारोबार किया गया है। यदि मामले की जांच हाेती है तो बड़ा घोटाला सामने आ सकता है। कांग्रेस सरकार में शराब का काम करने वाला सिंडीकेट रेत खनन में भी शामिल हो गया था।

आखों-देखी

नईदुनिया ने कुछ दिनों पहले कुम्हारी, पारागांव और हरदीडीह में व्यापारी बनकर रेत खरीदने की बात की, जिसमें खदान में काम करने वाले कर्मचारी ने मौक पर रॉयल्टी पर्ची नहीं होने की बात की और सफेद कागज में बिल देने को कहा। रॉयल्टी के लिए खदान संचालक से बात करने को कहा। आंकड़ों के मुताबिक एक साल में रायपुर जिले में 20 रेत खदानों से 72 करोड़ का रेत घोटाला हर साल सिर्फ रायपुर में हो रहा है।

नियम विरुद्ध चेनमाउंटेन मशीन से खनन

राज्य सरकार ने खनन क्षेत्र के ग्रामीणों को रोजगार मिल सके इसलिए हाथ से रेत लोडिंग की शर्त निविदा के दौरान रखी थी, इसके बाद भी नियम विरुद्ध मशीन से खनन हो रहा है, हर घाट में चेन माउंटेन मशीन से खनन करते हुए खनिज विभाग द्वारा दर्जनों चेन माउंटन मशीनों को पकड़ा गया लेकिन ठेका निरस्त नहीं हुआ। कांग्रेस सरकार सत्ता में आई इसके बाद से ही रेत खदानों का संचालन ग्राम पंचायत से रेत माफियाओं के हाथ में चला गया। ठेका नियमों के मुताबिक सभी रेत खदानों की निगरानी सीसीटीवी कैमरे और जीपीएस सिस्टम लगाना था, लेकिन अब तक कहीं नहीं लगा।

खदान में निगरानी के लिए एक भी शासकीय कर्मचारी नहीं

बतादें कि सरकार ने जिन रेत खदानों का ठेका करोड़ों रुपए में दिया है। उनकी निगरानी के लिए एक भी शासकीय कर्मचारी नही रखा।

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