भारत में बांझपन की समस्या काफी बढ़ रही है. खानपान की गलत आदतों बिगड़े हुए लाइफस्टाइल और देरी से शादी करने के कारण कपल इस समस्या का शिकार हो रहे हैं. इनफर्टिलिटी के बढ़ते मामलों के कारण देश में आईवीएफ सेंटरों की संख्या भी तेजी से बढ़ रही है. आईवीएफ के जरिए कई महिलाएं गर्भधारण भी करती हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि आईवीएफ के अलावा एक और तकनीक है. जिसके जरिए बांझपन की समस्या को दूर किया जाता है. इसके बारे में हमने एक्सपर्ट्स से बातचीत की है. आइए पहले जान लेते हैं कि आईवीएफ क्या होता है.
क्या होती है आईयूआई तकनीक
यशोदा सुपरस्पेशलिटी अस्पताल कौशांबी में कंसलटेंट इन्फर्टिलिटी एंड आईवीएफ डॉ. स्नेहा मिश्रा बताती हैं कि आईयूआई का यूज मुख्य रूप से पुरुषों के बांझपन के लिए किया जाता है. इसमें महिला के ओव्यूलेशन के समय वीर्य को एक ट्यूब के जरिए सीधे महिला के गर्भाशय के अंदर ट्रांसफर किया जाता है. इसकी लागत 10000 से 20000 रुपये तक होती है. इस प्रीसजर से पहले पुरुष के कई तरह के टेस्ट किए जाते हैं. इसके बाद पुरुष लैब में आकर स्टेरायल बोत्तल में वीर्य का सैम्पल देते हैं. इसके बाद सैंपल को लैब में तैयार करके महिला में ट्रांसफर किया जाता है.
इसके अलावा ऑपरेटिव हिस्टेरोस्कोपी और लैप्रोस्कोपी का उपयोग भी किया जाता है. जब किसी महिला को एंडोमेट्रियोसिस, फाइब्रॉएड जैसी परेशानी होती है जब इस सर्जरी को किया जाता है. इसकी लागत : 30000 से 1 लाख (अस्पताल के आधार पर काम या ज्यादा) हो सकती है.
क्यों बढ़ रही बांझपन की समस्या
डॉ स्नेहा मिश्रा कहती हैं कि बांझपन की समस्या होने के कई कारण हैं. बिगड़ा हुआ खानपान, खराब लाइफस्टाइल, पीसीओडी, पीसीओएस जैसी बीमारी और शरीर में हार्मोन का इंबेलेंस, कई मामलों में देरी से शादी करना भी इसका कारण बन सकती हैं. बांझपन की समस्या महिला और पुरुष दोनों में हो सकती है. पुरुषों में स्पर्म की खराब क्वालिटी और कम स्पर्म काउंट इसका कारण बन सकता है. कुछ महिलाओं के शरीर में अंडे ही नहीं बन पाते हैं वह भी इनफर्लिटी का शिकार हो जाती हैं.