छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग (सीजीपीएससी) की परीक्षाओं में गड़बड़ी पर सख्ती बरती जाएगी। अब गड़बड़ी करने वालों को सीधे जेल भेजने की तैयारी की जा रही है। इसके साथ ही उनसे लाखों का जुर्माना भी वसूला जाएगा। दरअसल, शासन को सीजीपीएससी की परीक्षाओं में लोक परीक्षा (अनुचित साधन निवारण) अधिनियम 2024 को लागू करने के लिए पत्र भेजा गया है। इसका मकसद सीजीपीएससी में रिफॉर्म करना है। केंद्र सरकार की ओर से कुछ महीने पहले यह कानून लागू किया गया है।
इसके अलावा उत्तरप्रदेश व बिहार में इस कानून को राज्य की परीक्षाओं में लागू करने के लिए अध्यादेश पारित हो चुका है। छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग (सीजीपीएससी) की परीक्षाओं में इसे लागू करने की दिशा में काम किया जा रहा है। संभावना है कि आने वाले दिनों में यह अधिनियम प्रदेश में लागू हो जाएगा।
इसे लेकर जानकारों का कहना है कि पिछले कुछ वर्षों में अलग-अलग राज्यों में पेपर लीक के कई मामले सामने आए। अभी हाल में नीट यूजी एग्जाम में भी पेपर लीक का मामला सामने आया। इससे परीक्षाओं पर असर पड़ा है। परीक्षाओं और रिजल्ट में देरी होती है। साथ ही विश्वसनीयता पर भी सवाल उठे। वहीं छत्तीसगढ़ में भी सीजीपीएससी की ओर से कुछ वर्ष पहले हुई राज्य सेवा परीक्षा की मेरिट में गड़बड़ी का मामला आया। इसकी सीबीआई जांच हो रही है।
पीएससी से राज्य सेवा के अलावा असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती भी
सीजीपीएससी से राज्य सेवा भर्ती के अलावा उच्च शिक्षा विभाग के सरकारी कॉलेजों के लिए असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती, मेडिकल कॉलेजों के लिए असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती समेत अन्य परीक्षाएं आयोजित की जाती है। सालभर में पीएससी से औसतन 10 से 12 वैकेंसी निकलती है। वर्ष 2022 में तो दो दर्जन से अधिक वैकेंसी निकली थीं। इसमें सिविल सर्विस एग्जाम, मेडिकल ऑफिसर, असिस्टेंट रजिस्ट्रार, माइनिंग ऑफिसर समेत अन्य की वैकेंसी शामिल है। हालांकि, 29 नवंबर 2023 के बाद अभी तक पीएससी से कोई नई भर्ती नहीं निकली है।
लोक परीक्षा अधिनियम के तहत दोषी को 5 साल तक कैद
- इस नियम के तहत दोषी पाएं जाने वाले व्यक्यिों के लिए करावास और जुर्माने का प्रावधान है। तीन से पांच साल तक कारावास और 10लाख रुपए जुर्माना हो सकता है। जुर्माना नहीं देने पर अतिरिक्त कैद हो सकती है।
- सेवा प्रदाताओं पर एक करोड़ का जुर्माना और चार साल तक सार्वजनिक परीक्षा आयोजित करने पर रोक लगाई जा सकती है।
- सार्वजनिक परीक्षाओं से संबंधित संगठित अपराध में शामिल होने पर पांच से दस साल तक कारावास और एक करोड़ का जुर्माना। संगठित अपराध में शामिल संस्थाओं की संपत्ति जब्त करने का प्रावधान।
- गड़बड़ी में शामिल मैनेजमेंट के सीनियर अधिकारी समेत अन्य को तीन से दस साल तक की जेल और एक करोड़ रुपए का जुर्माना हो सकता है।
एक्सपर्ट व्यू – अंकित अग्रवाल, पीएससी कोचिंग एक्सपर्ट
विश्वास बढ़ेगा पारदर्शिता आएगी
^यह अधिनियम लागू होने से युवाओं का विश्वास तो बढ़ेगा ही साथ ही पारदर्शिता भी आएगी। यह सराहनीय कदम होगा।