रायपुर के उरला प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में नवजात की मौत मामले में डॉक्टर पूनम सरकार पर FIR की गई है। डिलीवरी के दौरान बच्चे का सिर बाहर आ गया था। लेकिन डॉक्टर ने किसी भी नर्सिंग स्टाफ को मदद के लिए नहीं बुलाया। इसके पीछे की वजह नर्स-डॉक्टर के बीच आपसी विवाद बताया गया। महिला डॉक्टर के नहीं बुलाने पर कोई भी नर्स मदद करने के लिए अंदर नहीं गई। जिससे बच्चा भी अंदर फंसा रहा और मौत हो गई।
नवजात के पिता ने उरला थाने में शिकायत की थी। पुलिस ने CMHO की जांच रिपोर्ट के आधार पर डॉक्टर को आरोपी बनाया। इससे पहले आरोपी महिला डॉक्टर को नौकरी से बर्खास्त कर दिया गया था।
जांचकर्ता इंस्पेक्टर बी.एल. चंद्राकर के मुताबिक, 1 जुलाई को संतोष साहू अपनी पत्नी की डिलीवरी उरला प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में करवा रहे थे। ड्यूटी में सविंदा डॉक्टर पूनम सरकार मौजूद थी। शुरुआती जांच में महिला के एनीमिक होने की आशंका थी, उसके पैर और चेहरे पर सूजन होने के बावजूद डॉ. पूनम ने ब्लड और यूरिन टेस्ट नहीं कराया। न ही केस शीट में इसकी एंट्री की।
डॉक्टर-नर्स का था आपसी विवाद
इस घटना को लेकर स्टाफ के बीच चर्चा थी कि, डिलीवरी के दौरान बच्चे का सिर बाहर आ गया था। लेकिन डॉक्टर पूनम ने किसी भी नर्सिंग स्टाफ को मदद के लिए नहीं बुलाया। इसके पीछे की वजह नर्स-डॉक्टर के बीच आपसी विवाद बताया गया।
महिला डॉक्टर के नहीं बुलाने पर कोई भी नर्स मदद करने के लिए अंदर नहीं गई। जिससे बच्चा भी अंदर फंसा रहा और मौत हो गई।
शासन ने किया था बर्खास्त
इस घटना के सामने आने के बाद शासन ने सविंदा डॉक्टर को नौकरी से बर्खास्त कर स्वास्थ्य केंद्र के एक प्रभारी डॉक्टर को सस्पेंड कर दिया था। CMHO ने भी इन्हें जांच में दोषी पाया था। इस जांच के दौरान डॉ. पूनम सरकार से 3 सदस्यीय जांच दल ने करीब 5 घंटे तक पूछताछ की थी। उन्होंने पाया कि, डिलीवरी के दौरान डॉक्टर पूनम ने प्रोटोकॉल में लापरवाही की थी।
इसी तरह स्वास्थ्य केंद्र के प्रभारी चिकित्सा अधिकारी डॉ. सुनील साहू ने भी मामले में लापरवाही और कर्तव्यों के प्रति उदासीनता का परिचय दिया। जिस वजह से उन्हें सस्पेंड कर दिया गया था।