संस्कृत की साइकिल के संस्कार और संस्कृति दो पहिए – मदन मोहन त्रिपाठी

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संस्कृत मित्र मंडलम एवं आर्य समाज के संयुक्त तत्वावधान में आज सम्मान समारोह का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि मदन मोहन त्रिपाठी थे। जानकी शरण पांडे पूर्व विभाग अध्यक्ष कल्याण स्नातकोत्तर महाविद्यालय भिलाई, अवनी भूषण पुरंग एवं प्रोफेसर जनेंद्र दीवान साइंस कॉलेज दुर्ग कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि थे। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि मदन मोहन त्रिपाठी ने कहा कि महर्षि दयानंद सरस्वती संस्कृत के महान विद्वान थे। उन्होंने भारतीय परंपरा को संस्कृत से जोड़कर देखा था। समाज में संस्कृत शिक्षकों का दायित्व बढ़ गया है। आज 11 अगस्त को तुलसी जयंती भी है। तुलसी ने राम को समझने के लिए रामचरितमानस की रचना की थी। वर्तमान समाज में भी वह प्रासंगिक है। जानकी शरण पांडे ने कहा कि आर्य समाज ने संस्कृत को वैज्ञानिक रूप से स्थापित किया था। वेदों का उपनिषदों का संदेश जन-जन तक पहुंचाने का प्रयत्न करना चाहिए यही मानव कल्याण का मार्ग है । इस दृष्टि से संस्कृत वसुधैव कुटुंबकम का पाठ पढ़ाती है। प्रोफेसर जनेंद्र दीवान ने कहा कि संस्कृत भाषा या विषय नहीं है यह जीवन शैली है जो हमें अच्छा सोचने अच्छा करने और अच्छा होने के लिए प्रेरित करती है । अवनी भूषण पुरंग ने कहा कि हम सभी को संस्कृत पढ़ने की कोशिश करनी चाहिए, क्योंकि हम सब की मूल भाषा संस्कृत है। कार्यक्रम का संचालन डॉ. अजय आर्य एवं संतोष, कुमार चौबे ने किया। डॉ. अजय आर्य ने कहा कि संस्कृत पढ़िए और अपनी संस्कृति को जानिए। संस्कृत मित्र मंडल की अध्यक्षता आभा चौरसिया ने अतिथियों का स्वागत किया। अनुपम उपाध्याय, आभा चौरसिया एवं डॉ अजय आर्य ने अतिथियों को शाल एवं श्रीफल प्रदान किया। वहीं अतिथियों ने शत प्रतिशत अंक लाने वाले विद्यार्थियों को सम्मानित किया। कार्यक्रम में 500 से अधिक छात्र एवं अभिभावकों ने भाग लिया। प्रीति भट्ट, शीला लकुड़वार, जसविंदर कौर, रेखा पांड्या, संजीव पंडा, वागीशचंद्र, वेद प्रकाश, संतोष दाहतोंडे, जॉली थॉमस, आशा यादव, कमलेश आर्य, रवि आर्य, धीरज, अजय आदि की सराहनीय भूमिका रही।

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