बांग्लादेश में हिंसा और तख्तापलट के बाद से कारोबार पूरी तरह ठप है। वहां प्याज का पूरा स्टॉक खत्म हो गया है। ऐसे में अब भारतीय व्यापारी बांग्लादेश में 100 रुपए प्रति किलो के हिसाब से प्याज का निर्यात कर रहे हैं। मुनाफाखोरी से भारत में भी प्याज के दाम दोगुना हो गए हैं। छत्तीसगढ़ में प्याज 50 से 60 रुपए किलो और लहसुन 220 रुपए किलो बिक रहा है। वहीं, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने अपने राज्य से आलू के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया है। इस वजह से आलू भी करीब 2 महीने से 40 से 50 रुपए प्रति किलो बिक रहा है। छत्तीसगढ़ में आलू और प्याज दोनों ही सब्जी के लिए महत्वपूर्ण हैं, लेकिन दोनों ही सब्जियां आम लोगों की पहुंच से थोड़ी दूर हैं। डबल रेट में खरीदना पड़ रहा है।
छत्तीसगढ़ में रोज 1250 टन 1650 प्याज की खपत
छत्तीसगढ़ में त्योहारी सीजन शुरू हो गया है। लिहाजा कीमतें नहीं घटी तो त्योहार का जायका फीका पड़ सकता है। आने वाले कुछ समय में कीमतों में सुधार की संभावना बहुत कम है। छत्तीसगढ़ में रोज प्याज की औसतन 50 से 55 गाड़ियां आती हैं। एक गाड़ी में 25 से 30 टन की भरती रहती है। लिहाजा छत्तीसगढ़ में रोज 1250 टन 1650 प्याज की खपत होती है।
चेकपोस्ट पर चल रहा कमीशन का खेल
कारोबारियों का कहना है कि पश्चिम बंगाल से आलू की सप्लाई नहीं हो रही है। वहां से कारोबारी चोरी-छिपे माल भेज रहे हैं। इसलिए चेक पोस्ट पर गाड़ियों को कमीशन देना पड़ रहा है। इससे छत्तीसगढ़ आने तक लागत काफी बढ़ जा रही है। बंगाल से आपूर्ति नहीं होने से आलू की सप्लाई का पूरा दबाव उत्तर प्रदेश पर है।
छत्तीसगढ़ के कारोबारियों का घटा मुनाफा
छत्तीसगढ़ ही नहीं, देश के अन्य राज्यों में वहीं से आलू की सप्लाई हो रही है। इसलिए वहां की मंडी में भी कीमतें बढ़ी हुई हैं। आलू महंगा होने से छत्तीसगढ़ के कारोबारियों का फिलहाल प्रॉफिट कम हो गया है। यहां रोज 1200 से 1600 टन आलू की खपत है।
खुदरा में लहसुन 220 रुपए किलो बिक रहा
श्रीराम थोक सब्जी मंडी के अध्यक्ष टी. श्रीनिवास रेड्डी ने बताया कि आलू-प्याज ही नहीं, लहसुन भी इस वक्त महंगा बिक रहा है। खुदरा में लहसुन 220 रुपए किलो चल रहा है। छत्तीसगढ़ में अभी त्योहारी सीजन शुरू होने वाला है। कीमत नहीं घटीं तो मुश्किल का सामना करना पड़ेगा। फिलहाल उम्मीद नहीं दिख रही है।
भनपुरी आलू-प्याज मार्केट के अध्यक्ष अजय अग्रवाल ने बताया कि बांग्लादेश निर्यात के कारण स्थानीय मंडियों में प्याज की कीमत बढ़ी हुई है। पश्चिम बंगाल से आलू की सप्लाई नहीं है। इस वजह से शार्टेज है। स्थिति में सुधार की फिलहाल गुंजाइश कम है। सरकार को इस दिशा में ठोस कदम उठाना होगा।