अवैध कब्जों से छोटे हो रहे शहर के तालाब : राज्य का सबसे बड़ा एसटीपी महाराजबंध तालाब में, रोजाना 30 लाख लीटर गंदा पानी होगा साफ….!!

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शहर के तालाबों के आसपास बसाहटों और अवैध कब्जों की वजह से छोटे होते जा रहे हैं। बारिश का पानी भी तालाबों तक नहीं पहुंच रहा। कई बड़े नालों के आउटलेट तालाबों में छोड़ दिए गए हैं। रोज लाखों लीटर गंदा पानी तालाबों में ही गिर रहा है। कब्जों की वजह से ही 100 एकड़ का महाराजबंध तालाब अब सिमटकर 35 एकड़ का रह गया है। अब इस तालाब को बचाने वहां तीन एमएलडी का एसटीपी प्लांट लगाया जा रहा है। प्रदेश के किसी भी तालाब के किनारे एसटीपी लगाने का यह पहला बड़ा प्रोजेक्ट है। इससे रोज करीब 30 लाख लीटर गंदा पानी साफ होगा एसटीपी का सिविल कंस्ट्रक्शन का काम पूरा हो गया है। अगले 20 दिनों में नई मशीनें भी लग जाएंगी।

अफसरों का कहना है कि टेस्टिंग आदि का काम पूरा हो जाने के बाद सितंबर के अंत तक एसटीपी काम करना भी शुरू कर देगा। महाराजबंध एसटीपी में गंदा पानी प्राकृतिक और जैविक आधार पर ही साफ होगा। इस प्रोजेक्ट पर करीब 10 करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे। इस एसटीपी के शुरू होने से करीब आधा दर्जन बस्तियों और इलाकों से आ रहा गंदा पानी सीधे तालाब में नहीं पहुंचेगा। बल्कि पहले प्लांट में साफ होगा उसके बाद ही तालाब में जाएगा। नेहरू नगर की तरफ से आने वाला गंदा पानी भी इसी एसटीपी में साफ होगा।

स्मार्ट सिटी के अफसरों ने बताया कि एसटीपी से साफ हुए पानी को पंपिंग कर पहले बूढ़ातालाब में भेजा जाएगा। वहां से ओवरफ्लो होने पर पानी महाराजबंध में पहुंचेगा। इस तरह प्लांट से दोनों ही तालाबों को बड़ा फायदा होगा। एक एसटीपी से दो तालाबों की जान बचेगी। इससे तालाब गर्मी में भी नहीं सूखेंगे।

ठेका लेने वाली कंपनी ही करेगी पांच साल ऑपरेशन और मेंटनेंस

महाराजबंध का एसटीपी प्लांट सितंबर तक शुरू हो जाएगा। इसके बाद पांच साल तक संचालन और मेंटनेंस की जिम्मेदारी संबंधित काम लेने वाले संबंधित ठेकेदार की होगी। पांच साल के बाद इसे नगर निगम को हैंडओवर कर दिया जाएगा। इसके बाद एसटीपी का संचालन नगर निगम करेगा या किसी एजेंसी को इसकी जिम्मेदारी दी जाएगी।

महाराजबंध के अलावा खोखो तालाब में भी एक एमएलडी का प्लांट लगाया जा रहा है। यह काम भी लगभग पूरा होने वाला है। कोशिश की जा रही है कि दोनों एसटीपी सितंबर अंत तक शुरू हो जाएं। जिससे लोगों को तालाबों से साफ पानी मिलता रहा।

जानिए कैसे काम करेगा एसटीपी पानी को अलग-अलग छाना जाएगा

​विशेषज्ञों के अनुसार यह प्लांट एमबीआर तकनीक से स्थापित किया जा रहा है। एसटीपी दो अलग-अलग सिस्टम से काम करेगा। मेंब्रेन और बायोरिएक्टर। मेंब्रेन का अर्थ होता है झिल्ली। इसमें पानी को अलग-अलग प्रक्रियाओं से छाना जाता है। इसके बाद जैविक प्रक्रिया के तहत पानी में गंदगी खाने वाले कुछ कल्चर विकसित किए जाते हैं। इस तरह से आठ से नौ प्रक्रियाओं से गुजरने के बाद पानी साफ होगा। इसी सिस्टम की वजह से प्लांट लगाने की अनुमति दी गई है।

इस तरह के होंगे फायदे

  • राजधानी में पानी की क्षमता बढ़ेगी। जहां पानी की किल्लत है वहां टैकरों से पहुंचाएंगे।
  • तालाबों का साफ पानी निजी उद्योगों को बेचा भी जा सकेगा, इससे निगम की आय बढ़ेगी।
  • एसटीपी के आसपास खाली जगह पर गार्डन भी बनाया जा सकेगा।
  • नालों का गंदा पानी साफ होगा, इससे गंदगी रुकेगी। लोग भी बीमार नहीं होंगे।

एसटीपी का सिविल कंस्ट्रक्शन का काम पूरा हो गया है। नई मशीनों के आर्डर भी दे दिए हैं। अगले महीने से इनका इंस्टॉलेशन शुरू हो जाएगा। कोशिश है कि सितंबर अंत तक प्लांट शुरू हो जाए।
– अबिनाश मिश्रा, एमडी रायपुर स्मार्ट सिटी

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