आज विश्व अंगदान दिवस है। इस मौके को सार्थक किया है खैरागढ़-छुईखदान-गंडई जिले की मुन्नी गोसाई ने। डॉक्टर्स ने उन्हें ब्रेन डेड घोषित कर दिया था। इसके बाद परिजन ने अंगदान का फैसला किया। इस क्रम में उनकी एक किडनी एम्स, एक किडनी और लिवर रामकृष्ण अस्पताल के मरीज को दिया गया है। आंखें आंबेडकर स्मृति चिकित्सालय को सौंपी गई हैं। लंग्स पुणे की 45 वर्षीय महिला को भेजे गए हैं।
मुन्नी के बेटे प्रकाश ने बताया, ‘पापा (राजकुमार) की तबीयत ठीक नहीं थी। इस झटके से मां डिप्रेशन में थी। इससे उनका बीपी और शुगर बढ़ गया था। उन्हें ऑक्सीजन की जरूरत पड़ी, लेकिन गंडई में वेंटीलेटर की सुविधा नहीं थी। इस कारण हम एंबुलेंस से मां को 10 अगस्त को रायपुर लाए। उस दिन सुबह मां ने कहा- बेटा मैं नहीं बच पाऊंगी।
बाद में डॉक्टर ने कहा कि इन्हें घर ले जाओ इनकी स्थिति में सुधार नहीं हो सकता। 11 अगस्त को मां का एपनिया टेस्ट हुआ। उसके बाद उन्हें ब्रेन डेड घोषित कर दिया। मां कहती थीं कि मरने के बाद मेरे अंग दान कर देना, ताकि और लोगों की जिंदगी गुलजार हो सके। उनकी इस ख्वाहिश को पूरा करने के लिए पापा, मैंने, तीन अन्य भाइयों ने मां के अंगदान का फैसला लिया।’
लंग्स पुणे भेजे, ये प्रदेश का पहला लंग डोनेशन
प्रकाश ने बताया कि अंगदान की कागजी प्रक्रिया पूरी होने के बाद 12 अगस्त को सुबह डॉक्टरों ने मां के अंग निकालना तय किया। इस बारे में क्षेत्रीय अंग और ऊतक प्रत्यारोपण संगठन(एसओटीटीओ) को बताया। इसके बाद डॉ डीवाई हॉस्पिटल पिम्परी पुणे की 45 वर्षीय महिला को प्रत्यारोपण के लिए चुना गया। डॉक्टर्स की टीम ने सोमवार सुबह अंगदान आगे बढ़ाया आसैर मां के लंग्स को एयर एम्बुलेंस से पुणे भेजा। इसके लिए ग्रीन कॉरिडोर बनाया गया। एसओटीटीओ के मुताबिक यह प्रदेश का पहला लंग्स डोनेशन है।